हिमाचल रोड ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन (HRTC) के ड्राइवरों की यूनियन ने अपनी हड़ताल वापस ले ली है. यह फैसला तब आया जब सरकार ने उनकी कई अहम मांगों को मानने का भरोसा दिया. यूनियन पिछले कुछ समय से बकाया भुगतान, मेडिकल भत्ते और काम के घंटों को लेकर आंदोलन कर रही थी. सरकार की ओर से कुछ मांगों पर तुरंत निर्णय लिए गए, जिससे यूनियन में भरोसा कायम हुआ और सेवा बहाल हो गई.
हिमाचल प्रदेश में बस सेवाएं बाधित होने के खतरे के बीच राहत की खबर आई है. HRTC ड्राइवर यूनियन द्वारा सरकार के साथ लंबी बातचीत के बाद आंदोलन खत्म करने की घोषणा कर दी गई है. यह निर्णय डिप्टी सीएम और परिवहन मंत्री मुकेश अग्निहोत्री के साथ हुई बैठक के बाद लिया गया. बैठक में यूनियन ने विस्तार से अपनी मांगों को रखा और सरकार ने उनमें से कई को तत्काल मानने का आश्वासन दिया.
क्या थीं ड्राइवर यूनियन की मुख्य मांगें?
यूनियन की प्रमुख मांगों में बीते पांच वर्षों की नाइट ओवरटाइम अलाउंस, तीन साल से लंबित मेडिकल बिलों की प्रतिपूर्ति, वेतन आयोग की सिफारिशों के तहत बकाया भुगतान और आठ घंटे की शिफ्ट जैसे मुद्दे शामिल थे. यूनियन ने चेतावनी दी थी कि यदि 31 जुलाई तक मांगे नहीं मानी गईं, तो रात की बस सेवाएं बंद कर दी जाएंगी. इससे राज्य की सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था पर बड़ा असर पड़ सकता था.
सरकार के त्वरित फैसले और भरोसा बहाल
डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री ने यूनियन की गंभीर मांगों को ध्यान में रखते हुए कुछ फैसले तुरंत लिए. इनमें 205 वरिष्ठतम ड्राइवरों को "डिज़िग्नेटेड सीनियर ड्राइवर" का दर्जा देना, छह महीने के भीतर मेडिकल प्रतिपूर्ति का निपटारा और जुलाई व अगस्त की सैलरी के साथ दो किस्तों में नाइट ओवरटाइम भत्ता देना शामिल हैं. इसके अलावा, ड्राइवरों को दो सेट यूनिफॉर्म देने का भी निर्णय हुआ है.
वित्तीय सहायता और आगे की उम्मीदें
सरकार ने HRTC को ₹150 करोड़ का ऋण स्वीकृत किया है, जिसे सरकारी गारंटी के साथ बैंक से लिया जाएगा और उसका ब्याज राज्य सरकार ही वहन करेगी. HRTC में इस समय करीब 12,000 कर्मचारी हैं, जिनमें 7,000 ड्राइवर और कंडक्टर शामिल हैं. कुल मिलाकर, राज्य सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि वह कर्मचारियों और पेंशनर्स की समस्याओं को लेकर संवेदनशील है और उनकी जायज मांगों को समयबद्ध तरीके से पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है.