भारत में गौतम बुद्ध के बाद अगर किसी हिंदुस्तानी को दुनिया ने अपनी पलकों पर बिठाया तो वे थे मोहन दास करम चंद्र गांधी. अमेरिका से लेकर दक्षिण अफ्रीका तक, जब भी इंसानियत हाशिए पर होती और हैवानियत सत्ता के शीर्ष पर, महात्मा गांधी अपने आप प्रासंगिक हो जाते. महात्मा गांधी के उदय के बाद अमेरिका हो या दक्षिण अफ्रीका कहीं भी उत्पीड़न हो, महात्मा गांधी ने दुनिया को ऐसा हथियार दिया, जिसके आगे बड़े-बड़े सत्ताधीशों की तलवारें टूट गईं. आधी धोती और एक लाठी उनकी पहचान बनी लेकिन दुनिया की कोई तोप उनका मुकाबला नहीं कर पाई.
महात्मा गांधी हिंसा के विरोधी थे. जब देश गुलामी की जंजीरों में जकड़ा था, तब एक शख्सियत ने अहिंसा के दम पर हिंसा का ऐसा दमन किया कि आज तक भारत की ओर आंख उठाकर कोई देख नहीं पाया. उन्होंने उन अंग्रेजों को भगा दिया, जिनका आज भी कई देशों पर कब्जा है.
महात्मा गांधी ने खुद को एक हाड़ मांस से शरीर से ऊपर देवता साबित कर दिया था. उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को हुआ था. पोरबंदर रियासत के दरबार में दीवान करमचंद ने यह सपने में भी नहीं सोचा होगा कि एक दिन दुनिया की हर रियासत उनके बेटे का अदब से नाम लेगी और उनके सम्मान में बड़े-बड़े राष्ट्राध्यक्षों को झुकना पड़ेगा. उनके निजी जीवन की कहानी तो दुनिया जानती है लेकिन कभी सोचा है कि उनकी वजह से क्या-क्या बदला. उनके सत्य, अहिंसा और प्रेम ने दुनिया की दिशा कैसे बदल दी. आइए जानते हैं.
बापू लंदन में पढ़ाई करने गए थे. वे थियोसॉफिकल सोसाइटी से जुड़े. उन्होंने कानून की पढ़ाई पूरी की तो देश लौटे. उन्होंने वकालत शुरू की. पहला मुकदमा हारे और उन्हें एक अंग्रेज ने अपमानित किया. इसी दौरान उन्हें दक्षिण अफ्रीका जाने का मौका मिला. वे ट्रेन के फर्स्ट क्लास डिब्बे में सफर कर रहे थे, लेकिन एक अंग्रेज ने उन्हें सामान सहित बाहर भगा दिया.
दुनिया में कैसे छाए महात्मा गांधी
मोहन दास को यह रास नहीं आया. उन्होंने अफ्रीका में हो रहे भारतीयों के साथ अमानवीयता पर आवाज उठाई. उन्होंने इंडियन कांग्रेस की स्थापना की और नटाल से सामाजिक लड़ाई की शुरुआत की. महात्मा गांधी ने स्व शुद्धीकरण, सत्याग्रह जैसे सिद्धांतों की बदौलत सरकार की चूलें हिला दीं. महात्मा गांधी ने संकल्प लिया कि वे आधी धोती पहनेंगे, आधी ओढ़ेंगे. वजह थी कि भारत की एक बड़ी आबादी के पास पहनने को पूरे कपड़े नहीं थे. उन्होंने संकल्प लिया कि पूरा भारत जब तक समृद्ध नहीं हो जाएगा, तब तक ऐसे कपड़ों का त्याग करेंगे.
क्यों गांधी को पूजती है दुनिया?
महात्मा गांधी ने 1913 में पाउंड टैक्स के खिलाफ आंदोलन किया. यहीं उन्होंने मजदूरों को इकट्ठा किया और उनके नेता बने. कई साल के संघर्ष के बाद उन्होंने हजारों लोगों के साथ विरोध यात्रा निकली. उन्होंने इसे सविनय अवज्ञा आंदोलन का नाम दिया. वे गिरफ्तार हुए, हड़ताल पर बैठे और अंग्रेजों को कानून वापस लेना पड़ा. अंग्रेजों की ये पहली हार थी. वे अंग्रेजी अखबारों में छा गए थे और दुनिया उन्हें पहचानने लगी थी.
गांधी का कर्जदार क्यों रहेगा हमेशा भारत?
साल 1915. महात्मा गांधी विजेता बन गए थे. उन्होंने रेलवे के तीसरे डिब्बे में हिंदुस्तान घूमा. उन्होंने देखा कि देश की आबादी बुनियादी जरूरतों के लिए तरस रही है. उसका दमन हो रहा है. उन्होंने अंग्रेजों के रौलट एख्ट का विरोध करना शुरू किया. उनकी अगुवाई में हजारों लोग उमड़ने लगे. जनरल डायर ने जलियावालां बाग में सैकड़ों लोगों को मार डाला. उन्होंने कसम ली अंग्रेजों को भगाएंगे. वे देश में लोकप्रिय होने लगे. उन्होंने कांग्रेस को लोकप्रिय बनाया. गांधी को लोगों का साथ मिला. उनके साथ हर धर्म के लोग आ गए उन्होंने असहयोग आंदोलन किया. गिरफ्तार हुए तो दुनिया की नजरें उन पर गईं.
उन्होंने 1930 में नमक यात्रा निकाली. उन्होंने डांडी मार्च किया और ब्रिटिश ने फिर उन्हें गिरफ्तार कर लिया. लोगों ने अंग्रेजों को टैक्स देने से इनकार कर दिया. अंग्रेज झुके और गांधी पहली बार लंदन गोलमेज सम्मेलन में पहुंचे. उन्होंने भारत का पक्ष रखा लेकिन कामयाबी नहीं मिली. ब्रिटिश भारत को आजाद नहीं करना चाहता था. गांधी ब्रिटिश राजा जॉर्ज पंचम से मिले. उन्होंने दुनियाभर के अखबारों ने छापा.
1942 में उन्होंने अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की. वे और उनकी पत्नी कस्तूरबा जेल मे बंद हो गईं. गांधी की रिहाई की मांग को लेकर दुनियाभर में आंदोलन हुआ. ब्रिटिश सरकार उन्हें रिहा ही नहीं करना चाहती थी. उनकी पत्नी मरीं. साल 1944 में वे जेल से रिहा हुए. उन्होंने कहा कि अब भारत गुलामी की जिंदगी नहीं जी पाएगा. साल 1947 में भारत आजाद हुआ. विभाजन धार्मिक आधार पर हुआ था. गांधी इस बंटवारे को रोक नहीं पाए थे. हिंदू मुसलमानों में हिंसा भड़की, हजारों लोग मरे, विस्थापित हुए.
जब गांधी के विचारों ने बदली दुनिया
भारत ही नहीं, गांधी के विचारों ने दुनिया में भी क्रांति लाई. पाकिस्तान में खान अब्दुल गफ्फार खान को सीमांत गांधी कहा जाता है. वे गांधी की अहिंसक नीतियों से प्रभावित थे. उन्होंने पाकिस्तान में लोकतांत्रिक आवाज उठाई थी. डॉ. मार्टिन लूथर किंग जूनियर, नेल्सन मंडेला जैसी हस्तियां गांधी को पूजती थीं. साल 2009 से लेकर 2012 तक के बीच अरब में हुए आंदोलनों में भी गांधी की छाप दिखी थी. यहां अहिंसक आंदोलन हुए थे. 30 जनवरी 1948 को नाथू राम गोड़से ने गांधी की हत्या कर दी थी लेकिन गांधी कभी मरते नहीं हैं. वे हमेशा अमर थे, अमर ही रहेंगे.