प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महात्मा गांधी पर कहा है कि एक फिल्म से पहले उन्हें दुनिया वाले नहीं जानते थे. 75 साल से गांधी को दुनिया में मान्यता दिलाने के लिए देश ने कुछ नहीं किया. उन्होंने यह भी कहा कि दुनियाभर में गांधी को जानने के लिए जिज्ञासा ही तब पैदा हुई जब रिचर्ड एटेनबरो ने साल 1982 की फिल्म गांधी बनी. कोई उनके बारे में नहीं जानता था. प्रधानमंत्री का यह बयान, तथ्यात्मक रूप से कितना सही है, इसे लेकर बुद्धीजीवी वर्ग में बहस छिड़ी है.
महात्मा गांधी पर जवाहर लाल नेहरू के पूर्व स्कॉलर डॉ. दीपक कहते हैं कि बापू किसी फिल्म के मोहताज नहीं हैं. ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ से लेकर वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन तक, शायद ही उस कालखंड में कोई ऐसा था, जो महात्मा गांधी को न जानता हो.
डॉ. दीपक बताते हैं कि गांधी, अपने जीवनकाल में ही दुनियाभर में दमितों और शोषितों की मजबूत आवाज हो गए थे. दुनियाभर में कॉलोनियल कल्चर के खिलाफ लड़ी जा रही जंग में वे क्रांति के सबसे बड़े प्रतीक बन गए थे. जाति प्रथा, दास प्रथा, रंगभेद, स्वतंत्रता, मानवता, युद्ध, सत्य और अहिंसा पर दिए गए उनके सिद्धांतों को दुनिया ने न केवल स्वीकारा, बल्कि दक्षिण अफ्रीकी देशों में उनके विचारों ने अलख जगाई, वह किसी से छिपी नहीं है. साल 1919 से लेकर 1948 तक के युग को ही गांधीवादी युग के नाम से जाना जाता है. उनके शरीर छोड़ने के बाद भी दुनियाभर में उनके दर्शन की चर्चा होती है.
डॉ. दीपक बताते हैं कि अगर उन्हें पहचाना नहीं गया होता तो भारतीय संविधान में महात्मा गांधी की छाप नहीं दिखती. अगर उन्हें पहचाना नहीं गया होता तो दुनियाभर के 70 से ज्यादा देशों में उनकी प्रतिमाएं नहीं लगी होतीं. उन्होंने कहा कि शायद पीएम नहीं जानते होंगे कि अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, जर्मनी, युरोप, एशिया से लेकर वियतनाम जैसे देशों तक में महात्मा गांधी की प्रतिमाएं लगी हैं, वह भी 'गांधी' फिल्म से बहुत पहले.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा क्या था?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा था, 'महात्मा गांधी दुनिया की एक महान आत्मा थे. इन 75 साल में क्या महात्मा गांधी के बारे में दुनिया को बताना हमारी जिम्मेदारी नहीं थी? कोई भी उनके बारे में नहीं जानता था. मुझे माफ करें, लेकिन दुनिया में पहली बार उनके बारे में जिज्ञासा तब पैदा हुई, जब फिल्म गांधी बनी. हमने ऐसा नहीं किया.'
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यहीं नहीं रुके, उन्होंने कहा, 'अगर दुनिया मार्टिन लूथर किंग, नेल्सन मंडेला को जानती है, तो गांधी उनसे कम नहीं थे और आपको यह स्वीकार करना होगा. मैं दुनिया भर की यात्रा करने के बाद यह कह रहा हूं.'
डॉ. दीपक बताते हैं कि सच्चाई ये है कि नेल्सन मंडेला ने 1952 अफ्रीका में रंगभेद के खिलाफ जो क्रांति की थी, वह गांधी से प्रभावित थी. मार्टिन लूथर किंग जूनियर ने कहा था कि ईसा महीस ने हमें राह दिखाई थी, वही राह महात्मा गांधी ने भारत में दिखाई और साबित किया कि यह कैसे काम कर सकती है. उन्होंने एक समाचार पत्र के लिए एक लेख 30 जनवरी, 1958 को लिखा था.
नेल्सन मंडेला ने अफ्रीका के रंगभेद संघर्ष को दिशा दे रहे थे, तब उन्होंने कहा था कि महात्मा गांधी एक पवित्र योद्धा थे, जिन्होंने नैतिकता के आधार पर अत्याचारी ब्रिटिश साम्राज्य की चूलें हिला दी थीं. इन सबसे बहुत पहले विश्व प्रसिद्ध वैज्ञानिक आइंस्टीन ने कहा था कि भविष्य की पीढ़ियों को इस बात पर विश्वास करने में मुश्किल होगी कि हाड़-मांस से बना ऐसा कोई व्यक्ति भी कभी धरती पर आया था.
क्या थी रिचर्ड एटनबरो की फिल्म गांधी?
रिचर्ड एटनबरो की फिल्म गांधी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रियता मिली थी. इस फिल्म ने साल 1983 में आठ अकादमी पुरस्कार जीते. इस फिल्म में बेन किंग्सले ने स्क्रीन पर गांधी का किरदार निभाया था. उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता और एटनबरो को सर्वश्रेष्ठ निर्देशक और सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार मिला था. यह फिल्म ऑस्कर जीती थी. फिल्म ने पांच बाफ्टा पुरस्कार भी जीते थे.
हंगामा क्यों बरपा है?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने इस बयान पर बुरी तरह से ट्रोल हो रहे हैं. अब इस पर राजनीतिक बयानबाजी हो रही है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा, 'महात्मा गांधी वह सूर्य हैं, जिन्होंने पूरी दुनिया को अंधकार से लड़ने की ताकत दी. सत्य और अहिंसा के रूप में बापू ने दुनिया को एक ऐसा रास्ता दिखाया, जो सबसे कमजोर व्यक्ति को भी अन्याय के खिलाफ खड़े होने का साहस देता है.'
उन्होंने कहा कि गांधी जी पूरी दुनिया के लिए प्रेरणा थे. मार्टिन लूथर किंग जूनियर, नेल्सन मंडेला, अल्बर्ट आइंस्टीन वे सभी गांधी से प्रेरित थे. फिल्म 1982 में शूट की गई थी. उनका बयान बेहद गलत है.
महात्मा गांधी वो सूर्य हैं जिसने पूरे विश्व को अंधेरों से लड़ने की ताकत दी।
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) May 29, 2024
सत्य और अहिंसा के रूप में बापू ने दुनिया को ऐसा मार्ग दिखाया, जो कमज़ोर से कमज़ोर व्यक्ति को भी अन्याय के खिलाफ खड़े होने का साहस देता है।
उन्हें किसी ‘शाखा शिक्षित’ के प्रमाणपत्र की ज़रूरत नहीं है। pic.twitter.com/OK4aRtunKB
राहुल गांधी ने कहा, 'महात्मा गांधी के सिद्धांत अहिंसा का अध्ययन 90 से ज्यादा देशों ने किया और गांधी के आदर्शों के आधार पर मानवाधिकारों, न्याय और स्वतंत्रता की वकालत की. फिल्म की रिलीज़ से पहले 100 से ज्यादा देशों ने गांधी पर डाक टिकट, सिक्के और मूर्तियां जारी की थीं.' राहुल के अलावा कई विपक्षी नेताओं ने पीएम मोदी के बयान की आलोचना की है.
गांधी किसी पिकचर के मोहताज नहीं। गांधी के जीते-जी ही उनकी सोच और उनकी ताक़त को दुनिया ने पहचान लिया था। RSS के शाखाओं में भले ही गांधी से नफ़रत की जाती है, लेकिन बाक़ी दुनिया गांधी का सम्मान करती है। मंडेला और मार्टिन लूथर किंग जैसे लोगों ने अगर अहिंसा का रास्ता चुना तो उसकी वजह…
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) May 29, 2024
AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने लिखा, 'गांधी किसी पिकचर के मोहताज नहीं. गांधी के जीते-जी ही उनकी सोच और उनकी ताक़त को दुनिया ने पहचान लिया था. RSS के शाखाओं में भले ही गांधी से नफ़रत की जाती है, लेकिन बाक़ी दुनिया गांधी का सम्मान करती है. मंडेला और मार्टिन लूथर किंग जैसे लोगों ने अगर अहिंसा का रास्ता चुना तो उसकी वजह गांधी ही थे. भाजपा के नेता गोडसे को देश भक्त.बताते हैं, कम से कम उन्हें ही ये पिकचर दिखा देते.'