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खााली शीशियों में भर देते थे कीमोथेरेपी की नकली दवा, कैंसर अस्पताल के कर्मचारी ही कर रहे थे खतरनाक खेल

आरोपी दिल्ली और गुरुग्राम के शीर्ष अस्पताल में काम करने वाले कर्मचारियों और फार्मासिस्टों से असली दवाओं की खाली शीशियां लेते थे और उनमें नकली दवाएं भरकर उन्हें मार्केट में बेच दिया करते थे. इन नकली दवाओं को लाखों रुपए में बेचा जाता था क्योंकि कैंसर की दवाएं काफी महंगी होती हैं. नकली दवा लेने से एक कैंसर मरीज की मौत भी हो गई.

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Edited By: India Daily Live
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Courtesy: social media

Delhi News: कैंसर की नकली दवाओं को बेचने वाले गिरोह का भंडाभोड़ करने के तीन महीने बाद दिल्ली पुलिस ने अपनी चार्जशीट में कहा है कि जिन आठ लोगों ने इन नकली दवाओं का सेवन किया उनका पता लगा लिया गया है. पुलिस ने कहा कि उन आठ में से एक मरीज की कैंसर की नकली दवा लेने से मौत हो चुकी है. तीस हजारी कोर्ट में दाखिल की गई चार्जशीट में कहा गया है कि आरोपी दिल्ली और गुरुग्राम में शीर्ष अस्पतालों में काम करते थे.

4 करोड़ में बेची गईं 140 शीशियां जब्त

पुलिस ने कहा कि आरोपी फार्मासिस्ट और हॉस्पिटल के कर्मचारियों से महत्वपूर्ण दवाओं की खाली शीशियां लेते थे और उनमें नकली दवा भरकर उन्हें फार्मासिस्ट और वेबसाइट्स के जरिए बेच देते थे. पुलिस ने कहा कि गिरोह द्वारा खुले बाजार में बेची गईं 4 करोड़ रुपए की नकली दवाओं की 140 शीशियों को जब्त किया गया है.

इन मरीजों को बेची गईं लाखों की नकली दवाई

पुलिस ने जिन आठ मरीजों का पता लगाया है उनमें से एक उज्बेकिस्तान का है जिसने 5.92 लाख रुपए में 6 इंजेक्शन खरीदे थे,  एक जम्मू-कश्मीर से है जिसने 1.80 लाख रुपए में दो  इंजेक्शन खरीदे थे. एक हरियाणा से है जिसने 5.67 लाख में 5 इंजेक्शन, एक चंडीगढ़ की रहने वाली महिला ने 13.50 लाख में अपनी मां के लिए 10 इंजेक्शन, पंजाब के एक शख्स ने अपनी मां के लिए 16.20 लाख में 12 इंजेक्शन, चंडीगढ़ की रहने वाली एक महिला ने अपनी दादी के लिए 13.50 लाख में 10 इंजेक्शन, पश्चिम बंगाल के एक शख्स ने 24 लाख में 24 इंजेक्शन खरीदे थे.

नकली दवा लेने से एक महिला की मौत

चार्जशीट के मुताबिक, बिहार के मधुबनी के रहने वाले एक शख्स ने बताया कि उसकी पत्नी मुंह और फेफड़ों के कैंसर से जूझ रही थी और उसका राजीव गांधी कैंसर संस्थान (RGCI) और पटना के बुद्ध कैंसर अस्पताल में इलाज चल रहा था.

शख्स ने कहा, 'डॉक्टर ने उसकी पत्नी के लिए कीट्रूडा इंजेक्शन की सलाह दी थी जिसके बाद उन्होंने इंडियामार्ट पर लव नरूला नामके शख्स से यह इंजेक्शन खरीदा. नरूला ने एक इंजेक्शन के लिए उनसे 90,000 रुपए मांगे. उन्होंने अप्रैल से अगस्त 2022 के बीच नरूला से 3.60 लाख रुपए में चार इंजेक्शन खरीदे. बुद्ध कैंसर अस्पताल में इलाज के दौरान दो इंजेक्शन लेने के बाद उनकी पत्नी की तबीयत और ज्यादा खराब हो गई और 11 सितंबर 2022 को उसकी मौत हो गई.'

सात आरोपियों जिनमें दिल्ली और गुरुग्राम के अस्पतालों में काम करने वाले कर्मचारी भी शामिल हैं, को इस साल 12 मार्च को क्राइम ब्रांच की एक अंतरराज्यीय सेल और दिल्ली सरकार के औषधि नियंत्रण विभाग द्वारा छापेमारी के बाद गिरफ्तार किया गया था. पांच अन्य आरोपियों को बाद में जांच के दौरान गिरफ्तार किया गया. आरोपियों की पहचान विफिल जैन (44) जो सरगना है, सूरज शत (27), नीरज चौहान (38), तुषार चौहान (28), परवेज (33), कोमल तिवारी (39), अभिनय सिंह (30), आदित्य कृष्णा (23) , रोहित सिंह बिष्ट (36), जितेंद्र (33), माजिद खान (34), और साजिद (34) के रूप में हुई है.

कहां से लेते थे खाली शीशियां

जांचकर्ताओं ने जांच में पाया कि नकली दवाओं को भरने के लिए खाली शीशियां उन चार आरोपियों से ली गईं थीं जो दिल्ली और गुरुग्राम के तीन शीर्ष अस्पतालों के ऑन्कोलॉजी विभाग में काम करते थे. 12 आरोपियों में से दो राजीव गांधी कैंसर संस्थान में फार्मासिस्ट के तौर पर काम करते थे. वहीं अन्य आरोपी फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुरुग्राम के मिलेनियम कैंसर सैंटर और दिल्ली के  वैंकटेश्वर अस्पताल में काम करते थे.

3 से 6 हजार में खरीदते थे खाली शीशियां
आरोपी तीन से छ हजार में खाली शीशियां खरीदते थे और उसमें नकली दवा भर देते थे जिसे बाद में फार्मासिस्ट और वेबसाइट्स के माध्यम से 40 हजार से 50 हजार में बेचा जाता था. सप्लायरों को शीशियों को बेचने के अलावा आरोपी इंडियामार्ट के जरिए भी अपनी नकली दवाओं का प्रचार करते थे. सात आरोपियों ने इंडियामार्ट पर अपना अकाउंट बना रखा था.