Unique leadership Dynamic in UP: पूर्वी उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले को एक ऐसे व्यक्ति की जरूरत थी जो 'आईआईटी कानपुर' के नारे 'लीड मी फ्रॉम डार्कनेस टू लाइट' को जमीनी स्तर पर उतार सके. और ऐसा ही हुआ है. जिले के विकास की कमान संभाले चारों प्रमुख अधिकारी आईआईटी के छात्र रहे हैं.
देवरिया के सांसद, जिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक और मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) सभी आईआईटी से पढ़े हैं. सांसद शशांक मणि त्रिपाठी 1986 बैच के आईआईटी दिल्ली के छात्र रहे हैं और उन्होंने स्विट्जरलैंड के लॉज़ेन में एक बिजनेस स्कूल से एमबीए भी किया है. जिलाधिकारी दिव्या मित्तल 2013 बैच की आईएएस अधिकारी हैं और उन्होंने आईआईटी दिल्ली के साथ-साथ आईआईएम मुंबई से भी पढ़ाई की है. सिविल सेवा में आने से पहले वे इन्वेस्टमेंट बैंकर थीं.
एसपी संकल्प शर्मा आईआईटी रुड़की से केमिकल इंजीनियरिंग और सीडीओ प्रत्याशुष पांडे आईआईटी कानपुर से सिविल इंजीनियरिंग के साथ आईआईएम अहमदाबाद से एमबीए हैं.
हालांकि इनकी योग्यता का देवरिया के विकास पर कितना असर पड़ेगा, यह आने वाले समय पर ही पता चलेगा, लेकिन इस अनोखे संयोग ने जिले के लोगों में नई उम्मीद जगाई है.
जिलाधिकारी दिव्या मित्तल ने बताया कि तकनीकी शिक्षा का उनको प्रशासनिक काम में काफी फायदा मिला है. उन्होंने कहा, "आईआईटी से मिली जानकारी निश्चित रूप से एक सरकारी अधिकारी के रूप में कुछ स्थितियों में मदद करती है. उदाहरण के लिए, एक इंजीनियर के रूप में मैंने मिर्जापुर में रहते हुए पहाड़ की चोटी पर पानी लाने में अपनी जानकारी का इस्तेमाल किया."
उनके कार्यकाल में लहरिया दाह गांव के लोगों को आजादी के बाद पहली बार पाइप्ड पानी मिला था. दिव्या मित्तल ने कहा कि सिविल सेवा में विविधता का महत्व है. अलग-अलग पृष्ठभूमि के लोग अपने अनोखे विचार, संस्कृति और कार्यशैली लेकर आते हैं, जिससे सरकारी व्यवस्था में सुधार आता है.
सांसद शशांक मणि त्रिपाठी ने आईआईटी की शिक्षा के व्यापक लाभों पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा, "आईआईटी हमें कड़ी मेहनत करने और समस्याओं के नवोन्मेषी समाधान लाने के लिए प्रतिबद्धता सिखाता है. किसी भी विधानसभा, जिले या राज्य के विकास के लिए गैर-वैज्ञानिक पृष्ठभूमि के व्यक्ति की बुद्धि भी उतनी ही महत्वपूर्ण है."
सांसद के पिता लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) प्रकाश मणि त्रिपाठी पूर्व सांसद थे और उनके दादा सुरती नारायण मणि त्रिपाठी उत्तर प्रदेश के पहले आईसीएस अधिकारी और गोरखपुर विश्वविद्यालय के संस्थापक थे.
एसपी शर्मा ने पुलिसिंग में अपनी इंजीनियरिंग बैकग्राउंड की पूरक भूमिका पर जोर दिया. उन्होंने कहा, "एक इंजीनियर होने के नाते मैं तर्क पर निर्भर रहता हूं. हालांकि, अकादमिक ज्ञान पुलिसिंग में कम उपयोगी होता है, लेकिन क्षेत्र में प्राप्त अनुभव जनता की सेवा में बेहद उपयोगी होता है. मुझे विश्वास है कि साथी आईआईटीयन लोगों के भले के लिए मिलकर काम करेंगे." शर्मा 2022 में देवरिया आए थे.