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India Daily

बॉम्बे हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, सिर्फ आधार, पैन या वोटर आईडी से नहीं मिल सकती भारतीय नागरिकता, क्या है पूरा मामाला

अदालत ने माना कि मामला केवल दस्तावेज़ों की गड़बड़ी का नहीं बल्कि जानबूझकर भारतीय नागरिकता का लाभ उठाने के लिए पहचान छिपाने और जाली दस्तावेज़ तैयार करने का है. इसी आधार पर आरोपी की जमानत याचिका खारिज कर दी गई.

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Edited By: Reepu Kumari
Bombay High Court's big decision, Indian citizenship cannot be obtained only with Aadhaar, PAN or Vo
Courtesy: Pinterest

Indian Citizenship Rules: बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक अहम मामले में स्पष्ट किया है कि केवल आधार कार्ड, पैन कार्ड या मतदाता पहचान पत्र जैसे दस्तावेज़ रखने से किसी व्यक्ति को भारतीय नागरिक नहीं माना जा सकता है. न्यायमूर्ति अमित बोरकर की पीठ ने यह टिप्पणी उस समय की, जब ठाणे निवासी एक व्यक्ति की ज़मानत याचिका पर सुनवाई हो रही थी, जिस पर आरोप है कि वह बांग्लादेशी नागरिक है और उसने जाली दस्तावेज़ों के ज़रिए भारत में रहना शुरू किया. अदालत ने नागरिकता अधिनियम, 1955 का हवाला देते हुए कहा कि नागरिकता के दावों की सख्ती से जांच की जानी चाहिए और यह अधिनियम में तय कानूनी प्रावधानों के तहत ही मान्य होगी.

मामले में अभियोजन पक्ष का आरोप है कि बाबू अब्दुल रूफ सरदार नामक आरोपी 2013 से भारत में रह रहा है और उसने आधार, पैन, वोटर आईडी और पासपोर्ट जैसे दस्तावेज़ तैयार कराए हैं. फोरेंसिक जांच में उसके फोन से उसकी मां और बांग्लादेश में जारी जन्म प्रमाण पत्र की डिजिटल प्रतियां बरामद हुईं. साथ ही, वह कई बांग्लादेशी नंबरों से संपर्क में भी पाया गया. अदालत ने इसे केवल आव्रजन नियमों का तकनीकी उल्लंघन नहीं बल्कि जानबूझकर पहचान छिपाकर नागरिकता का लाभ उठाने की कोशिश माना.

मामला कैसे शुरू हुआ

ठाणे के वागले एस्टेट पुलिस स्टेशन में बाबू अब्दुल रूफ सरदार के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई. पुलिस के अनुसार, आरोपी ने अवैध रूप से भारत में प्रवेश किया और जाली भारतीय पहचान दस्तावेज़ बनवाए. उसके पास मौजूद आधार कार्ड का सत्यापन अभी भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) से होना बाकी है.

हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी

न्यायमूर्ति अमित बोरकर ने कहा कि आधार, पैन या वोटर आईडी केवल पहचान और सेवाओं के लाभ के लिए होते हैं, लेकिन ये भारतीय नागरिकता का प्रमाण नहीं हो सकते. नागरिकता अधिनियम, 1955 में नागरिकता प्राप्त करने और खोने की स्पष्ट व्यवस्था दी गई है, जिसका पालन अनिवार्य है.

जांच में क्या मिला

फोरेंसिक जांच में आरोपी के फोन से बांग्लादेशी जन्म प्रमाण पत्र और उसकी मां के पहचान दस्तावेज़ों की डिजिटल कॉपियां मिलीं. इसके अलावा, वह कई बांग्लादेशी मोबाइल नंबरों से लगातार संपर्क में था. इन साक्ष्यों को अदालत ने गंभीर माना.

जमानत याचिका खारिज

अदालत ने माना कि मामला केवल दस्तावेज़ों की गड़बड़ी का नहीं बल्कि जानबूझकर भारतीय नागरिकता का लाभ उठाने के लिए पहचान छिपाने और जाली दस्तावेज़ तैयार करने का है. इसी आधार पर आरोपी की जमानत याचिका खारिज कर दी गई.