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धर्मेंद्र के निधन पर शरद पवार ने दी श्रद्धांजलि, शोले फिल्म के मशहूर ‘पानी की टंकी’ वाले सीन का किया जिक्र

शरद पवार ने अभिनेता धर्मेंद्र को श्रद्धांजलि देते हुए शोले के प्रसिद्ध ‘पानी की टंकी’ सीन को याद किया. उन्होंने कहा कि धर्मेंद्र का प्रभाव पीढ़ियों तक कायम रहा है. उनके निधन पर फिल्म उद्योग और देश में शोक की लहर है.

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Edited By: Kuldeep Sharma
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Courtesy: social media

मुंबई: बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता धर्मेंद्र के निधन ने पूरे देश को शोक में डाल दिया है. पुणे में एनसीपी (एसपी) प्रमुख शरद पवार ने उनके निधन पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए कहा कि धर्मेंद्र भारतीय सिनेमा के ऐसे सितारे थे, जिनकी सरलता और अदाकारी ने पीढ़ियों को प्रभावित किया. 

पवार ने खास तौर पर फिल्म शोले के प्रसिद्ध ‘पानी की टंकी’ सीन का उल्लेख किया, जिसे आज भी राजनीतिक विरोध प्रदर्शनों में प्रतीकात्मक रूप से दोहराया जाता है. धर्मेंद्र के 65 साल लंबे फिल्मी सफर को पवार ने अद्भुत विरासत बताया.

पवार ने दी श्रद्धांजलि

धर्मेंद्र के निधन पर शरद पवार ने अपनी भावनाएं व्यक्त करते हुए कहा कि वे वह अभिनेता थे जिन्होंने 1960 के दशक में फिल्मी दुनिया में प्रवेश करके पूरे देश के दर्शकों का दिल जीत लिया. पवार ने कहा कि धर्मेंद्र ने आम आदमी की कहानियों को पर्दे पर इस तरह उतारा कि लोग उनसे खुद को जोड़ सकें. उन्होंने लिखा कि धर्मेंद्र ने अपने अभिनय और व्यक्तित्व से एक ऐसी पहचान बनाई जिसे भुलाया नहीं जा सकता.

धर्मेंद्र का असर पीढ़ियों पर

पवार ने कहा कि आज की युवा पीढ़ी शायद धर्मेंद्र के प्रभाव को पूरी तरह न समझ पाए, लेकिन एक समय ऐसा था जब देश भर में लोग उनके आकर्षक व्यक्तित्व, स्टाइल और अंदाज के दीवाने थे. वे उन सितारों में से थे जिन्होंने स्क्रीन पर आने भर से माहौल बदल दिया. उनकी उपस्थिति ही लोगों के लिए उत्साह का कारण होती थी.

‘वीरू’ का किरदार हमेशा याद रहेगा

फिल्म शोले में धर्मेंद्र द्वारा निभाया गया ‘वीरू’ का किरदार भारतीय सिनेमा का एक अमर पात्र बन गया. पवार ने कहा कि यह किरदार आज भी दोस्ती, बहादुरी और जज्बे का प्रतीक माना जाता है. धर्मेंद्र की सहजता और संवाद अदायगी ने इस भूमिका को और भी जीवंत बना दिया, जिससे ‘वीरू’ हमेशा के लिए लोगों के दिलों में बस गया.

वॉटर टैंक सीन आज भी राजनीतिक प्रतीक

पवार ने याद किया कि फिल्म का ‘पानी की टंकी’ सीन न केवल सिनेमाई इतिहास में अमर है, बल्कि आज भी राजनीतिक आंदोलनों का हिस्सा बन जाता है. प्रदर्शनकारियों और कार्यकर्ताओं द्वारा इस सीन को दोहराना आम बात है, क्योंकि यह विरोध और भावनात्मक अभिव्यक्ति का प्रतीक बन चुका है. पवार ने कहा कि यह सीन धर्मेंद्र की लोकप्रियता और प्रभाव का बड़ा उदाहरण है.

धर्मेंद्र की शानदार फिल्मी विरासत

65 साल के लंबे करियर में धर्मेंद्र ने धर्मवीर, चुपके चुपके, सत्यकाम, अनुपमा, मेरा गांव मेरा देश और ड्रीम गर्ल जैसी कई यादगार फिल्मों में काम किया. उन्होंने 300 से अधिक फिल्मों में अभिनय किया और हर भूमिका में अपनी अलग छाप छोड़ी. पवार ने कहा, 'धर्म पाजी को हमारी भावभीनी श्रद्धांजलि, और हम देओल परिवार के प्रति संवेदनाएं व्यक्त करते हैं.'