Mithun Chakraborty 75th Birthday: मिथुन चक्रवर्ती का बॉलीवुड सफर किसी प्रेरणादायक कहानी से कम नहीं है. 1980 का दशक हिंदी सिनेमा के लिए मुश्किल दौर था. अमिताभ बच्चन और विनोद खन्ना जैसे सितारे अपने करियर के नए रास्ते तलाश रहे थे, जबकि राजेश खन्ना जैसी हस्तियां औसत फिल्मों में काम कर रही थीं. इस दौर में मिथुन ने अपनी मेहनत और प्रतिभा से अपनी जगह बनाई. 1976 में मृणाल सेन की फिल्म 'मृगया' से डेब्यू करते हुए उन्होंने राष्ट्रीय पुरस्कार जीता, लेकिन यह शुरुआत उनके लिए आसान नहीं थी. मिथुन ने 2006 में स्टारडस्ट को बताया, 'मेरे लुक्स के कारण लोग मुझे हतोत्साहित करते थे. मैं नकारात्मक किरदार निभाने को भी तैयार था.'
मिथुन को बचपन से ही डांस का शौक था. उन्होंने राणा रेज के नाम से हेलन की डांस मंडली में बैकअप डांसर के तौर पर काम शुरू किया. हेलन उनके कौशल से इतनी प्रभावित हुईं कि उन्होंने मिथुन को 30 मिनट का सोलो स्लॉट दिया, जिसने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया. यह नृत्य कौशल बाद में उनकी पहचान बना. 1980 के दशक में जब मुख्यधारा के नायक डांस में कमजोर थे, मिथुन की यह प्रतिभा उन्हें अलग बनाती थी.
1982 में आई 'डिस्को डांसर' ने मिथुन के करियर को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया. यह हिंदी सिनेमा की पहली 100 करोड़ी फिल्म थी. बप्पी लाहिरी के संगीत और मिथुन के डांस ने दर्शकों को दीवाना बना दिया. गाना 'मैं हूं डिस्को डांसर' आज भी उनके करियर का पर्याय है. इस फिल्म ने डिस्को क्रांति को जन्म दिया, और मिथुन रातोंरात सुपरस्टार बन गए. हालांकि, फिल्म की कहानी और ड्रामा आज पुराने लगते हैं, लेकिन उस समय यह दर्शकों के लिए नया अनुभव था. लोग बार-बार उनके डांस नंबर देखने थिएटर पहुंचते थे.
'डिस्को डांसर' की सफलता के बाद मिथुन ने कई ऐसी फिल्में कीं, जो उसी फॉर्मूले की नकल थीं. 1986 में वे सबसे ज्यादा टैक्स देने वाले एक्टर बने, लेकिन उनकी ज्यादातर फिल्में गुणवत्ता में कमजोर थीं. साल में एक दर्जन से ज्यादा फिल्में करने वाले मिथुन पर उस दौर का असर साफ दिखता था. वे कहते हैं, 'मैंने कठिन समय देखा था. मैं जानता था कि मौका मिलते ही ज्यादा से ज्यादा काम करना है.' उनकी मेहनत ने उन्हें दर्शकों का प्यार दिलाया, लेकिन इंडस्ट्री की खराब स्थिति ने उनकी प्रतिभा को पूरी तरह उभरने से रोका.
2000 के दशक में 'डांस इंडिया डांस' ने मिथुन को नई पीढ़ी से जोड़ा. शो में 'ग्रैंडमास्टर' के तौर पर उनके डायलॉग 'क्या बात, क्या बात, क्या बात' ने उन्हें फिर से चर्चा में ला दिया. नई पीढ़ी को पता चला कि मिथुन वही डांस आइकन हैं, जिन्होंने 'डिस्को डांसर' से तहलका मचाया था. यह शो मिथुन के लिए वैसा ही साबित हुआ, जैसे 'कौन बनेगा करोड़पति' अमिताभ बच्चन के लिए.
मिथुन ने हिंदी और बंगाली सिनेमा में 100 से ज्यादा फिल्में कीं. 2025 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार ने उनकी उपलब्धियों को सम्मानित किया. अगर वे 1970 या 1990 के दशक में चमके होते, तो शायद उनकी तुलना अमिताभ या गोविंदा से होती. फिर भी, मिथुन की मेहनत, डांस और अभिनय ने उन्हें बॉलीवुड का 'डिस्को किंग' बनाया. उनकी कहानी मेहनत और जुनून का प्रतीक है.