नवंबर 2025 बिहार के छात्रों के लिए एक व्यस्त शैक्षणिक महीना होगा. इस दौरान आंतरिक मूल्यांकन, प्री-बोर्ड परीक्षाएं और आगामी बोर्ड परीक्षाओं की तैयारियां शामिल होंगी. हालांकि लंबे समय की छुट्टियां नहीं होंगी, फिर भी छात्रों को कुछ महत्वपूर्ण एक दिन की छुट्टियां मिलेंगी. इनमें गुरु नानक जयंती (5 नवंबर) और बिहार विधानसभा चुनाव (6 नवंबर) के लिए स्कूल बंद होने की छुट्टियां शामिल हैं. ये छुट्टियां छात्रों को पढ़ाई और आराम दोनों का अवसर देंगी.
इस दिन कार्तिक पूर्णिमा भी है और भारत के कई हिस्सों में धार्मिक आयोजन होंगे. केंद्र सरकार ने गुरु नानक जयंती को राजपत्रित अवकाश के रूप में सूचीबद्ध किया है. ऐसे में अधिकांश सरकारी और निजी स्कूल इस दिन बंद रहेंगे. हालांकि जिन स्कूलों में चुनाव नहीं हो रहा है, वे सामान्य रूप से खुले रह सकते हैं. छात्रों और अभिभावकों को प्रशासनिक अधिसूचना के अनुसार योजना बनानी चाहिए.
बिहार में गुरुवार को मतदान होने के कारण, सुरक्षा कारणों और आवश्यक व्यवस्थाओं को सुगम बनाने के लिए मतदान प्रक्रिया से जुड़े स्कूल बंद रहेंगे. वहीं, जिन स्कूलों में मतदान नहीं हो रहा है, वे बुधवार को खुले रहेंगे. साथ ही कुछ स्कूलों में बच्चें की ऑनलाइन क्लास होंगी.
पंजाब, हरियाणा और केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ में 5 नवंबर को सार्वजनिक अवकाश घोषित किया गया है. इन राज्यों में गुरु नानक देव जी की जयंती को बेहद श्रद्धा और धूमधाम से मनाया जाता है. पंजाब, जो सिख धर्म की जन्मभूमि मानी जाती है, में इस दिन सभी शैक्षणिक संस्थान और सरकारी दफ्तर बंद रहेंगे. वहीं, हरियाणा और दिल्ली में भी स्कूलों और कॉलेजों में अवकाश रहेगा.
उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश सरकारों ने भी 5 नवंबर को स्कूलों में अवकाश की घोषणा की है. इन पर्वतीय राज्यों में सिख समुदाय की अच्छी-खासी आबादी है और यहां भी गुरु नानक देव जी की जयंती उत्साहपूर्वक मनाई जाती है. धार्मिक जुलूसों, गुरुद्वारा सजावट और सामूहिक लंगर की विशेष परंपरा यहां देखने को मिलेगी.
गुरु नानक देव जी दुनिया के प्रमुख धर्मों में से एक , सिख धर्म के संस्थापक हैं . वे 15वीं और 16वीं शताब्दी में जन्मे एक महान आध्यात्मिक गुरु थे. उन्होंने अपना जीवन लोगों को ईश्वर की एकता और एक ईमानदार, दयालु और मददगार जीवन जीने के महत्व की शिक्षा देने में समर्पित कर दिया. उनकी शिक्षाएं उस समय की सामाजिक समस्याओं, जैसे जाति व्यवस्था, के विरुद्ध थीं और इस बात पर ज़ोर देती थीं कि सभी मनुष्य समान हैं. यह दिन प्रार्थना, सामुदायिक सेवा (लंगर) और गुरु की समानता और सत्य की शिक्षाओं को याद करने के लिए समर्पित है.