भारत और अमेरिका के बीच लंबे समय से बातचीत में चल रहा व्यापार समझौता अब अंतिम दौर में पहुंच गया है. सरकारी सूत्रों के मुताबिक, दोनों देशों के बीच यह समझौता 9 जुलाई की रात को घोषित किया जा सकता है. यह कदम ऐसे उठाया जा रहा है जब अमेरिका द्वारा लगाए गए जवाबी शुल्क की समयसीमा भी खत्म हो रही है. दोनों देशों के बीच व्यापार घाटे को कम करने और रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने के उद्देश्य से यह डील अहम मानी जा रही है.
भारत ने इस व्यापार समझौते में अपने कुछ प्रमुख और संवेदनशील क्षेत्रों को लेकर सख्त रुख अपनाया है. गेहूं, मक्का, डेयरी और जेनेटिकली मॉडिफाइड फसलों जैसे क्षेत्रों को समझौते से बाहर रखा गया है. भारत का मानना है कि इन क्षेत्रों में किसी भी तरह की छूट से घरेलू किसानों की आजीविका पर असर पड़ सकता है और खाद्य सुरक्षा को खतरा हो सकता है. भारत इस बात पर जोर दे रहा है कि वह अमेरिकी उत्पादों के लिए सीमित बाजार पहुंच दे सकता है, लेकिन अपने कृषि हितों से कोई समझौता नहीं करेगा.
हालांकि भारत ने कुछ क्षेत्रों में लचीलापन भी दिखाया है. अमेरिकी सरकार ने भारत से कॉर्न (मक्का) और कुछ विशेष फलों के लिए अपने बाजार खोलने की मांग की थी. सूत्रों के अनुसार, इन मांगों को कुछ हद तक स्वीकार किया गया है. इसके अलावा भारत ने अमेरिकी वस्त्र, चमड़ा और फार्मास्युटिकल क्षेत्रों पर शुल्कों में कुछ राहत देने पर भी सहमति जताई है. यह समझौता अमेरिका के व्यापारिक दबाव को संतुलित करने और घरेलू उद्योगों को नए अवसर देने के प्रयास का हिस्सा है.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पहले ही संकेत दिया था कि भारत के साथ व्यापार समझौता जल्द हो सकता है. उन्होंने इजरायल के राष्ट्रपति बेंजामिन नेतन्याहू के साथ डिनर के दौरान कहा, “हम भारत के साथ एक डील के बेहद करीब हैं.” ट्रंप ने यह भी कहा कि अमेरिका ने ब्रिटेन और चीन के साथ भी समझौते कर लिए हैं. हालांकि उन्होंने भारत के साथ होने वाले संभावित समझौते की संरचना या दायरे को लेकर स्पष्ट जानकारी नहीं दी, लेकिन यह जरूर कहा कि अमेरिका उन देशों के लिए लचीलापन दिखा सकता है जिनके पास वैध कारण हैं.
सूत्रों के अनुसार, भारत-अमेरिका व्यापार समझौते की घोषणा उसी दिन की जा सकती है जिस दिन जवाबी टैरिफ की समयसीमा समाप्त हो रही है. यह समझौता दोनों देशों के लिए लाभदायक हो सकता है क्योंकि भारत को अमेरिकी टेक्सटाइल और फार्मा उत्पादों के लिए बाजार विस्तार मिलेगा, वहीं अमेरिका को अपने कृषि उत्पादों के लिए सीमित भारतीय बाजार तक पहुंच मिल सकती है. अगर यह समझौता समय रहते हो जाता है, तो इससे दोनों देशों के बीच व्यापारिक रिश्तों को नई मजबूती मिलेगी और वैश्विक स्तर पर भी सकारात्मक संकेत जाएगा.