न्यूयॉर्क की एक अदालत ने आदेश दिया है कि गौतम अडानी और अन्य के खिलाफ दायर आपराधिक और दीवानी मामले एक ही न्यायाधीश के पास सौंपे जाएंगे. ये मामले एक बड़े घोटाले से जुड़े हुए हैं, जिसमें कथित रूप से भारतीय अधिकारियों को 250 मिलियन डॉलर की रिश्वत देने की योजना शामिल है. अदालत का यह निर्णय न्यायिक प्रक्रिया में दक्षता लाने और मामलों के बीच किसी भी प्रकार के समय-सारणी के टकराव से बचने के उद्देश्य से लिया गया है.
अदालत का आदेश और मामलों का सम्बंध
अमेरिकी जिला अदालत (ईस्टर्न डिस्ट्रिक्ट ऑफ न्यूयॉर्क) की वेबसाइट पर उपलब्ध आदेश में कहा गया है कि "USA v. Adani et al. (24 Crim. 433), Securities and Exchange Commission v. Adani et al. (24 Civ. 8080), और Securities and Exchange Commission v. Cabanes (24 Civ. 8081)" तीनों मामले एक जैसे आरोपों पर आधारित हैं और ये घटनाएं या लेन-देन एक ही से जुड़ी हैं. इस कारण से इन तीनों मामलों को 'संबंधित' करार दिया गया है और इन्हें उसी न्यायाधीश के पास सौंपने का आदेश दिया गया है, जो पहले दायर किए गए आपराधिक मामले की देखरेख कर रहे हैं. अदालत ने यह आदेश 12 दिसंबर 2024 को दिया था और अब यह मामला अमेरिकी जिला न्यायाधीश निकोलस गरौफिस के पास स्थानांतरित कर दिया गया है.
अडानी पर क्या आरोप है?
अडानी समूह पर आरोप है कि उन्होंने भारतीय अधिकारियों को 250 मिलियन डॉलर की रिश्वत दी थी, ताकि उन्हें सौर ऊर्जा से संबंधित फायदे मिल सकें. यह योजना कथित रूप से वर्षों तक चल रही थी. अमेरिकी न्याय विभाग ने गौतम अडानी और उनके साथियों के खिलाफ यह आरोप लगाया है.
अडानी समूह ने इन आरोपों को पूरी तरह से खारिज किया है और कहा है कि यह आरोप "बुनियादी" हैं. समूह का कहना है कि यह आरोप निराधार हैं और वे इसके खिलाफ सभी कानूनी रास्तों का इस्तेमाल करेंगे. अडानी समूह के प्रवक्ता ने यह भी कहा कि कंपनी ने हमेशा अपने सभी कार्यों में उच्चतम स्तर की शासन व्यवस्था और पारदर्शिता बनाए रखी है और वह कानून का पालन करती है.
सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन (SEC) द्वारा चार्ज
नवंबर 2024 में, अमेरिकी सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन (SEC) ने गौतम अडानी, सागर अडानी और अज़्योर पावर ग्लोबल लिमिटेड के एक्जीक्यूटिव सिरिल काबेन्स पर आरोप लगाए. इन आरोपों के अनुसार, ये लोग एक बड़े रिश्वत घोटाले में शामिल थे, जिसके परिणामस्वरूप उन्होंने अमेरिकी निवेशकों से झूठे और भ्रामक बयान देकर अरबों डॉलर की धनराशि जुटाई.