Petrol Diesel Price Today: भारत में हर दिन सुबह 6 बजे तेल विपणन कंपनियां (OMCs) पेट्रोल और डीजल की नई कीमतें जारी करती हैं. ये दरें अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल की कीमत और रुपये-डॉलर विनिमय दर में उतार-चढ़ाव पर निर्भर करती हैं. यही कारण है कि कीमतों में कभी स्थिरता रहती है तो कभी अचानक बदलाव देखने को मिलता है.
विशेषज्ञों का कहना है कि, 'पेट्रोल और डीजल की कीमतें न केवल घरेलू बाजार बल्कि अंतरराष्ट्रीय घटनाओं से भी प्रभावित होती हैं. इसलिए आम जनता को हर दिन की दरों पर नजर रखना जरूरी है.'
22 सितंबर 2025 को जारी रेट्स के मुताबिक देश के प्रमुख शहरों में कीमतें इस प्रकार रहीं:
| शहर | पेट्रोल (₹/लीटर) | डीजल (₹/लीटर) |
|---|---|---|
| नई दिल्ली | 94.72 | 87.62 |
| मुंबई | 104.21 | 92.15 |
| कोलकाता | 103.94 | 90.76 |
| चेन्नई | 100.75 | 92.34 |
| पटना | 105.58 | 93.80 |
| इंदौर | 106.48 | 91.88 |
| जयपुर | 104.72 | 90.21 |
| चंडीगढ़ | 94.30 | 82.45 |
इस सूची से साफ है कि मुंबई, जयपुर, पटना और इंदौर जैसे शहरों में पेट्रोल और डीजल अब भी महंगा है, जबकि दिल्ली और लखनऊ जैसे शहरों में कीमतें थोड़ी राहत देने वाली हैं.
मई 2022 में केंद्र और कई राज्य सरकारों ने टैक्स में कटौती की थी. इसके बाद से पेट्रोल-डीजल की कीमतों में उल्लेखनीय स्थिरता बनी हुई है. हालांकि, अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें लगातार ऊपर-नीचे होती रहती हैं, लेकिन भारतीय उपभोक्ताओं पर सीधा बोझ कम पड़ा है.
1. कच्चे तेल की कीमतें
पेट्रोल-डीजल उत्पादन का सबसे बड़ा आधार कच्चा तेल है. जैसे ही अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमत बढ़ती है, घरेलू दरों में भी असर दिखने लगता है.
2. डॉलर बनाम रुपया
भारत अधिकतर कच्चा तेल आयात करता है और यह सौदा डॉलर में होता है. रुपया कमजोर होने पर पेट्रोल-डीजल महंगा हो जाता है.
3. सरकारी टैक्स और शुल्क
केंद्र और राज्य सरकारें इस पर भारी टैक्स लगाती हैं. यही कारण है कि राज्यों के बीच कीमतों में अंतर देखने को मिलता है.
4. रिफाइनिंग की लागत
कच्चे तेल को इस्तेमाल लायक बनाने की प्रक्रिया में लागत आती है, जो कीमत पर असर डालती है.
5. मांग और आपूर्ति
त्योहारों और मौसम के हिसाब से जब ईंधन की मांग बढ़ती है, तो दरें भी चढ़ जाती हैं.
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