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Falgun Amavasya 2024: फाल्गुन अमावस्या पर कर लें ये उपाय,खुश हो जाएंगे पितर

Falgun Amavasya 2024: हिंदू कैलेंडर की अंतिम अमावस्या फाल्गुन माह की अमावस्या होती है. इस बार फाल्गुन अमावस्या पर 5 शुभ संयोगों का योग बन रहा है. इस दिन कुछ आसान से उपायों को करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है. 

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Edited By: India Daily Live
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Courtesy: pexels

Falgun Amavasya 2024: विक्रम सम्वत 2080 की आखिरी अमावस्या फाल्गुन माह की अमावस्या होती है. इसके बाद से फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की शुरुआत हो जाती है. फाल्गुन माह की अमावस्या पर साल 2024 में 5 शुभ संयोग बन रहे हैं. इस कारण 2024 की अमावस्या दोगुनी खास है. 

साल 2024 में फाल्गुन माह की अमावस्या 10 मार्च दिन रविवार को पड़ रही है. इस दिन पवित्र नदी में स्नान और दान करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है. 

फाल्गुन अमावस्या के दिन का शुभ मुहूर्त 

फाल्गुन अमावस्या 9 मार्च दिन शनिवार की शाम 06:17 से शुरू हो रही है  और यह 10 मार्च दिन रविवार की दोपहर 02:29 तक रहने वाली है. फाल्गुन माह की अमावस्या पर स्नान और दान का मुहूर्त 10 मार्च 2024 की सुबह 04 बजकर 49 से सुबह 5 बजकर 58 मिनट तक रहेगा. वहीं दोपहर 12 बजकर 8 से 1 बजकर 55 तक अभिजीत मुहूर्त रहने वाला है. 

बन रहे हैं ये 5 शुभ संयोग 

फाल्गुन अमावस्या के दिन सर्वार्थ सिद्धि, साध्य और शुभ योग का निर्माण हो रहा है. इसके साथ ही इस दिन पूर्व भाद्रपद नक्षत्र और शिववास का भी योग इसी दिन बन रहा है.  माता पार्वती संग शिववास सूर्योदय से शुरू होकर दोपहर 02:29 तक है. रुद्राभिषेक के लिए शिववास काफी महत्वपूर्ण होता है. सर्वार्थ सिद्धि योग देर रात 01:55 से सुबह 06:35 मार्च 11 तक रहने वाला है. वहीं, साध्य योग अमावस्या पर सुबह से ही बन जाएगा. जो शाम 04:14 तक रहेगा. इसके बाद शुभ योग बन जाएगा. 

अमावस्या पर करें इन चीजों का दान

फाल्गुन माह की अमावस्या पर स्नान के बाद आप कंबल, वस्त्र, अनाज, फल, अन्न आदि चीजों का दान कर सकते हैं. इस दिन आप सूर्य से जुड़ी वस्तुओं का भी दान कर सकते हैं. 

अमावस्या पर करें ये उपाय

  • अमावस्या के दिन स्नान करने के बाद पितरों को तर्पण करें. इसके लिए जल में काले तिल, सफेद फूल डालकर कुश के पोरों के माध्यम से पितरों को तर्पण दें. इससे पितृ प्रसन्न होते हैं. 
  • फाल्गुन माह की अमावस्या के दिन पितृदोष से मुक्ति पाने के लिए पिंडदान, श्राद्धकर्म, पंचबलि कर्म, ब्राह्मण भोज और दान आदि काम करने चाहिए. इस दिन पितरों को देव अर्यमा का पूजन विशेष रूप से फलदायी होता है. इसके साथ ही इस दिन पितृ सूक्तम का भी पाठ कर सकते हैं. 
  • फाल्गुन माह की अमावस्या पर अंधेरा होने पर पितरों के निमित्त सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए. इस दीपक को किसी पीपल के पेड़ के नीचे या फिर घर के बाहर दक्षिण दिशा में जला सकते हैं. यह दीपक इसलिए जलाते हैं क्योंकि अमावस्या के बाद जब पितृ धरती से वापसी करें तो उनके मार्ग में अंधेरा न रहे. 

Disclaimer : यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है.  theindiadaily.com  इन मान्यताओं और जानकारियों की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह ले लें.