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Pithori Amavasya 2025: पिठोरी अमावस्या आज, पितरों के श्राद्ध में हो न जाए कोई चूक, जान लें सही विधि

पिठोरी अमावस्या पर सुबह स्नान करके पितृ पूजन का संकल्प लेना चाहिए. इसके बाद किसी पवित्र स्थान पर कुशा हाथ में लेकर पितरों का स्मरण करें और 'ॐ पितृदेवाय नमः' या 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का जाप करें.

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Edited By: Reepu Kumari
Pithori Amavasya 2025
Courtesy: Pinterest

Pithori Amavasya 2025: भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को पिठोरी अमावस्या कहा जाता है. इस वर्ष यह तिथि शुक्रवार 22 अगस्त दोपहर 11:57 बजे से शुरू होकर शनिवार 23 अगस्त सुबह 11:37 बजे तक रहेगी. चूंकि अमावस्या काल में मध्यकाल को विशेष महत्व दिया जाता है, इसलिए इस बार पिठोरी अमावस्या 22 अगस्त को ही मनाई जा रही है. इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध, तर्पण और पूजा-अर्चना का आयोजन किया जाता है.

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस तिथि पर पितरों का विधिवत श्राद्ध करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है और वे पूरे वर्ष प्रसन्न रहते हैं. महिलाएं इस दिन आटे से देवी-देवताओं की मूर्तियां बनाकर पूजन करती हैं और अपने बच्चों की लंबी उम्र और परिवार की सुख-समृद्धि की कामना करती हैं. इस कारण इसे कुशग्रहणी अमावस्या और कुशोत्पाटनी अमावस्या भी कहा जाता है.

पिठोरी अमावस्या पर श्राद्ध की विधि

पिठोरी अमावस्या पर सुबह स्नान करके पितृ पूजन का संकल्प लेना चाहिए. इसके बाद किसी पवित्र स्थान पर कुशा हाथ में लेकर पितरों का स्मरण करें और 'ॐ पितृदेवाय नमः' या 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का जाप करें. तांबे या पीतल के पात्र में जल, तिल, चावल, पुष्प और कुशा डालकर अर्पित करें और दक्षिण दिशा की ओर जल प्रवाहित करें.

इसके बाद पके हुए चावल, तिल और घी मिलाकर गोल पिंड तैयार करें और पितरों को अर्पण करें. पूजा के पश्चात ब्राह्मण या जरूरतमंद को भोजन कराएं और सामर्थ्य अनुसार दान-दक्षिणा दें. माना जाता है कि इस दिन किया गया श्राद्ध पितरों को तृप्त करता है और पूर्वजों का आशीर्वाद परिवार पर सदैव बना रहता है. मान्यताओं के अनुसार घर तब ही फलता फूलता है जब हमारे पितर प्रसन्न हों. 

 Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी धार्मक मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. theindiadaily.com इन मान्यताओं और जानकारियों की पुष्टि नहीं करता है.