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Sawan 2025: केदारनाथ से रामेश्वरम तक, ‘शिव शक्ति रेखा’ पर मौजूद हैं भारत के 7 भोलेनाथ के मंदिर; जरूर करें दर्शन

क्या आप जानते हैं कि उत्तर भारत का केदारनाथ और दक्षिण भारत का रामेश्वरम एक ही 79 डिग्री देशांतर रेखा पर स्थित हैं? इस 'शिव शक्ति रेखा' पर कुल सात प्रमुख शिव मंदिर मौजूद हैं, जो पंचतत्वों का प्रतिनिधित्व करते हैं और गहरे आध्यात्मिक रहस्यों से जुड़े हैं.

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Edited By: Princy Sharma
Sawan 2025
Courtesy: Pinterest

Sawan 2025: क्या आपने कभी सोचा है कि देश की दो जगह उत्तर के केदारनाथ और दक्षिण के रामेश्वरम के बीच कोई आध्यात्मिक संबंध हो सकता है? अगर नहीं, तो आपको जानकर हैरानी होगी कि ये दोनों पवित्र स्थल एक ही 79 डिग्री देशांतर रेखा पर स्थित हैं, जिसे अब 'शिव शक्ति रेखा' कहा जाता है. और सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि इस रहस्यमयी सीधी रेखा पर केवल दो नहीं, बल्कि भारत के सात प्रमुख शिव मंदिर मौजूद हैं!

इन मंदिरों में देश के पांच पंचभूत स्थलों के शिव मंदिर भी शामिल हैं, जो शिव के पांच तत्वों जल, अग्नि, वायु, पृथ्वी और आकाश का प्रतिनिधित्व करते हैं. आइए जानते हैं इन सात चमत्कारी शिव मंदिरों के बारे में, जो भौगोलिक रूप से तो एक सीध में हैं ही, साथ ही आध्यात्मिक रूप से भी अद्भुत रहस्य समेटे हुए हैं.

1. केदारनाथ धाम 

भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक, केदारनाथ धाम इस रेखा की शुरुआत मानी जाती है. यह मंदिर समुद्र तल से करीब 3,583 मीटर की ऊंचाई पर और 79.0669°E देशांतर रेखा पर स्थित है. केदारनाथ को अर्द्ध ज्योतिर्लिंग भी कहा जाता है.

 2. श्रीकालाहस्ती मंदिर (आंध्र प्रदेश)

यह मंदिर वायु तत्व का प्रतिनिधित्व करता है. चित्तूर जिले में स्थित यह मंदिर 'शिव का सांस लेने वाला रूप' कहा जाता है. इसकी विशेषता है कि यहां की शिवलिंग स्वयंभू मानी जाती है.

3. एकाम्बेश्वरनाथ मंदिर (कांची, तमिलनाडु)

यह पवित्र स्थल पृथ्वी तत्व का प्रतीक है. यह मंदिर कांचीपुरम में स्थित है और शिव को यहां पृथ्वी स्वरूप में पूजा जाता है. माना जाता है कि माता पार्वती ने यहां मिट्टी के शिवलिंग की पूजा की थी.

4. अरुणाचलेश्वर मंदिर (तिरुवन्नामलाई)

यहां शिव को अग्नि लिंग के रूप में पूजा जाता है. अरुणाचल पर्वत की तलहटी में स्थित यह मंदिर भक्तों के लिए आत्मज्ञान की राह खोलता है.

 5. थिल्लई नटराज मंदिर (चिदंबरम)

यह मंदिर आकाश तत्व का प्रतीक है और भगवान शिव को नटराज, यानी तांडव नृत्य करते हुए रूप में दर्शाया गया है. इसकी वास्तुकला और नृत्य मुद्राएं विश्वविख्यात हैं.

6. जम्बुकेश्वर मंदिर (तिरुचिरापल्ली)

यह मंदिर जल तत्व को दर्शाता है. यहां शिवलिंग के नीचे से जलधारा बहती है, जो इसे विशेष और रहस्यमयी बनाती है.

7. रामेश्वरम मंदिर (तमिलनाडु)

यह 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है और शिव शक्ति रेखा की अंतिम कड़ी मानी जाती है. रामेश्वरम वही स्थान है जहां भगवान राम ने लंका पर चढ़ाई से पहले शिवलिंग की स्थापना की थी.

क्या है इस रेखा का रहस्य?

79 डिग्री पूर्व देशांतर पर स्थित इन सभी मंदिरों को केवल भूगोल का संयोग कहना आसान है, लेकिन भक्तों के लिए यह शिव की शक्ति का सीधा प्रमाण है. इसे केवल धार्मिक दृष्टि से नहीं, बल्कि भौगोलिक और आध्यात्मिक चमत्कार के रूप में देखा जा रहा है.