Mahabharat Facts: महाभारत के युद्ध में दुनियाभर के कई शूरवीर योद्धाओं ने भाग लिया था. इस दौरान एक ऐसा राजा भी था, जिसने बिना शस्त्र उठाए ही युद्ध को लड़ा. युद्ध के अंत में युधिष्ठिर के राजतिलक समारोह में उस राजा को बिना शस्त्र युद्ध लड़ने वाले राजा के नाम से सुशोभित किया गया था. पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब महाभारत युद्ध होने वाला था तो उड्डपी नरेश भगवान श्रीकृष्ण से मिलने आए. उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण से कहा कि यह युद्ध भाइयों के बीच हो रहा है. इस कारण वे इस बात का फैसला नहीं कर पा रहे हैं कि किसकी ओर से युद्ध लड़ा जाए.
उड्डपी नरेश ने भगवान श्रीकृष्ण से कहा कि वे युद्ध के समर्थक नहीं है. इस युद्ध का टाला भी नहीं जा सकता है. वे शस्त्रों के माध्यम से इस युद्ध में भाग नहीं लेना चाहते हैं पर इस युद्ध में शामिल होना चाहते हैं. भगवान श्रीकृष्ण उड्डपी नरेश के प्रयोजन को समझ गए और उन्होंने उनसे पूछा कि हे नरेश आप क्या चाहते हैं. इस पर उड्डपी नरेशन ने दोनों ओर के सैनिकों के भोजन के प्रबंध का प्रस्ताव रखा. भगवान श्रीकृष्ण ने उनके इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया.उड्डपी नरेशन ने दोनों ओर के सैनिकों के लिए 18 दिनों तक भोजन बनवाया था.
महाभारत युद्ध में भगवान श्रीकृष्ण की 1 अक्षौहिणी नरायणी सेना मिलकर कौरवों के पास 11 अक्षौहिणी सेना जुटाई गई थी. वहीं, पांडवों ने 7 अक्षौहिणी सेना एकत्रित की थी. इन सभी को मिलाकर युद्ध में करीब 45 लाख से ऊपर लोगों ने भाग लिया था.
उड्डपी नरेश प्रतिदिन सैनिकों के लिए भोजन बनवाते थे, लेकिन एक दिन भी न तो भोजन कम पड़ा और न ही भोजन अधिक हुआ. मान्यता है कि प्रतिदिन उतना ही भोजन बनाया जाता था, जितना सभी सैनिकों के लिए पर्याप्त हो सके.
मान्यता है कि उड्डपी के राजा एक दिन पहले ही यह अनुमान लगा लेते थे कि अगले दिन कितने सैनिक मारे जाएंगे और उनको कितने लोगों का भोजन बनाना पड़ेगा. इसके लिए भगवान श्रीकृष्ण उनकी मदद करते थे. पौराणिक कथा के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण को उड्डपी नरेश भोजन कराते थे. वे उबली हुई मूंगफली खाते थे. माना जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण रोज जितने मूंगफली खा लेते थे, उतने ही सैनिंकों की अगले दिन मृत्यु हो जाती थी. इससे राजा को पहले ही पता लग जाता था कि अगले दिन कितने लोगों की मृत्यु होने वाली है.
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