नई दिल्ली. भगवान शिव का एक नाम रुद्र भी है और रुद्र अभिषेक का अर्थ रुद्र को स्नान कराना होता है. इसमें तांबे के पात्र से शिवलिंग पर जल धारा अर्पित की जाती है. इसके अलावा भगवान शिव का जल, शहद, दूध, दही जैसी चीजों से भी अभिषेक किया जाता है. इसके पीछे एक खास कथा प्रचलित है.
समुद्रमंथन से जुड़ी है यह कथा
मान्यता है कि प्राचीन समय में जब देवता और दानवों ने मिलकर अमृत निकालने के लिए समुद्र मंथन किया तो इसमें अमृत से पहले विष निकला था. इस विष की वजह से संपूर्ण सृष्टि के जीवों के प्राण संकट में आ गए थे. उस समय भगवान शिव ने इस विष का पान किया था, लेकिन उन्होंने विष को अपने गले से नीचे नहीं जाने दिया था. इस कारण भगवान शिव का गला नीला हो गया था और तभी से भोलेनाथ को नीलकंठ कहा जाने लगा.
विष पीने की वजह से शिवजी के शरीर में तेज जलन होने लगी और गर्मी बढ़ने लगी. इस तपन तो दूर करने के लिए भगवान शिव को ठंडा जल चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई. यह समुद्र मंथन सावन के महीने में हुआ था, तब से इस महीने में भगवान शिव का अभिषेक किया जाने लगा.
एक और कथा के अनुसार, भगवान विष्णु की नाभि से उत्पन्न कमल से ब्रह्मा जी की उत्पत्ति हुई. ब्रह्माजी जब अपने जन्म का कारण जानने के लिए भगवान विष्णु के पास पहुंचे तो उन्होंने ब्रह्मा की उत्पत्ति का रहस्य बताया. उन्होंने कहा कि मेरे कारण ही आपकी उत्पत्ति हुई है परन्तु ब्रह्माजी यह मानने के लिए तैयार नहीं हुए और दोनों में भयंकर युद्ध हुआ.
इस युद्ध से नाराज भगवान रुद्र लिंग रूप में प्रकट हुए. इस लिंग का आदि अन्त जब ब्रह्मा और विष्णु को कहीं पता नहीं चला तो उन्होंने हार मान लिया और लिंग का अभिषेक किया, जिससे भगवान प्रसन्न हुए. कहा जाता है कि यहीं से रुद्राभिषेक का आरम्भ हुआ.
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सावन में काफी फलदायी होता है रुद्राभिषेक
मान्यताओं के अनुसार सावन में रुद्राभिषेक काफी फलदायी होता है. इस माह में रुद्राभिषेक करने से कई जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं. ग्रह दोषों का नाश होता है. इसके साथ ही मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. भगवान शिव के षडाक्षरी मंत्र– ॐ नम:शिवाय का जाप करते हुए रुद्राभिषेक करने से इसका पूर्ण लाभ मिलता है. रूद्राभिषेक करने से परिवार में सुख-शांति और सफलता आती है. रुद्राभिषेक में भगवान शिव का दूध से अभिषेक करने का विशेष महत्व है. इससे संतान प्राप्ति करने की इच्छा पूरी होती है. वहीं दही से अभिषेक करने पर कार्यों में आ रही बाधाएं दूर हो जाती है. इसके अलाव गंगाजल, शहद, घी, इत्र, गन्ने का रस, सरसों के तेल और शुद्ध जल से अभिषेक करने से भी शिवजी की विशेष कृपा प्राप्ति होती है.
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