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'बेटा शहीद हो तो मां-बाप को भी मार दिया जाए...', शहीद मेजर मोहित शर्मा की मां ने बयां किया दर्द

Major Mohit Sharma: देश के लिए अपनी जान गंवा देने वाले शहीद मेजर मोहित शर्मा की मां ने नेक्स्ट ऑफ किन के नियमों पर सवाल उठाते हुए अपना दर्द बयां किया है. उनका कहना है कि बेटे की सैलरी उनकी बहू लेती है और उन्हें किसी भी सुविधा का कोई फायदा नहीं मिल रहा है. उन्होंने यह भी कहा कि एक बार पुलिस भी उनके घर पूछताछ करने आई थी और आरोप थे कि वह अपनी बहू को परेशान कर रही हैं.

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Edited By: India Daily Live
Major Mohit Sharma and Family
Courtesy: Social Media

साल 2009 में भारतीय सेना के मेजर मोहित शर्मा आतंकियों से लड़ते हुए शहीद हो गए थे. दाढ़ी और बाल बढ़ाकर हिज्बुल मुजाहिदीन के कैंप में घुसने वाले मोहित शर्मा को उनकी बहादुरी के लिए याद किया जाता है. उन्हीं मेजर मोहित शर्मा के माता-पिता आज बड़ी तकलीफों से जूझ रहे हैं. उनकी मां सुशीला शर्मा का कहना है कि जिस दिन बेटा शहीद हो, उसी दिन उसके मां-बाप को भी मार दिया जाए. अशोक चक्र से सम्मानित हो चुके मेजर मोहित की मां का कहना है कि उनकी बहू अब उनसे रिश्ता तोड़ चुकी है और मुआवजे में मिले सारे पैसे भी वही ले गई. उन्होंने सेना से संबंधित नेक्स्ट ऑफ किन (NOK) योजना पर भी सवाल उठाए हैं.

Switch को दिए एक इंटरव्यू में मेजर मोहित शर्मा की मां सुशीला शर्मा ने कई अहम बातें कही हैं. उनका कहना है कि उनका बेटा अशोक चक्र विजेता है, इसके बावजूद उन्हें कोई मेडिकल सुविधा भी नहीं दी जा रही है. बता दें कि देश के लिए शहादत देने वाले मेजर अशोक शर्मा को मरणोपरांत अशोक चक्र से सम्मानित किया गया था. यह सम्मान 26 जनवरी 2010 को दिया गया था. इसी घटना को याद करते हुए वह एक किस्सा सुनाती हैं. वह कहती हैं, '27 जनवरी को मेरे घर पर पुलिस आई कि आप अपनी बहू को कैसे तंग करती हैं. उस समय तो वह (मेजर मोहित शर्मा की पत्नी) दिल्ली में अशोक होटल में रुकी हुई थी और अशोक चक्र लेने गई थी तो मैं कैसे तंग कर सकती हूं.'

'बेटे की और अपनी सैलरी बहू ही लेती है...'

अपने बेटे को याद करते हुए वह रो पड़ती हैं और रोते-रोते बताती हैं, 'मेरा बेटा एक मिनट के लिए भी मुझे अकेला नहीं छोड़ता था. छुट्टी पर आता था तो यही था कि मम्मी चलो, यहां चलो, वहां चलो. आज की तारीख में मेरे बेटे की सैलरी और अपनी सैलरी बहू ही लेती है. उसे प्रमोशन मिल गए हैं. अब वह कर्नल है. यूपी सरकार या अन्य सरकारों ने जो भी पैसा दिया है, वह उसी के पास है.' बता दें कि कैप्टन मोहित शर्मा की पत्नी रिशिमा शर्मा सेना में ही काम करती हैं और फिलहाल वह कर्नल के पद पर तैनात हैं.

'पुरस्कारों पर हो मां का अधिकार'

2010 की घटना को याद करते हुए वह बताती हैं, 'जब हमें अशोक चक्र के लिए नहीं बुलाया गया तो मेरे बड़े बेटे ने बहुत ट्राई किया, तब जाकर दो लोग जा पाए. नहीं तो उससे पहले तो कई मतलब ही नहीं था.' नेक्स्ट ऑफ किन पर सवाल उठाते हुए वह कहती हैं, 'ये क्या है? पैरेंट्स का ओहदा कहां है? जो 26-27 साल पालते हैं. मां तो 9 महीने और पालती है, इतने कष्ट सहती है. वह तो खत्म हो जाता है शादी के बाद. ऐसा क्यों है? जो अधिकार हैं, वे मां को दिए जाएं. अशोक चक्र मां को दिया जाए. जो भी वीरता पुरस्कार है, वह पैरेंट्स को दिया जाए.'

अपने बेटे की बहादुरी के किस्से सुनाते हुई सुशीला शर्मा कहती हैं, 'कॉम्बैट ऑपरेशन की बहुत आदत थी उसे, बहुत करता था. आतंकियों के साथ रहा है, उनके साथ रहकर वहीं उनको मारा है. 2009 को हमारे यहां रात के डेढ़ बजे हमें खबर मिली थी कि हमारा बेटा शहीद हो गया है.' बताते चलें कि साल 2009 की 21 मार्च को मेजर मोहित को खबर मिली थी कि कुछ आतंकी हफरुदा के जंगलों में छिपे हुए हैं. वह गश्त पर गए और आतंकियों ने फायरिंग शुरू कर दी. इसी एनकाउंटर में मेजर शर्मा ने अपने दो साथियों की जान बचाते हुए दो आतंकियों को मार गिराया. हालांकि, इसी एनकाउंटर में वह खुद भी शहीद हो गए.