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Uniform KYC: नॉर्मल से कितनी अलग है Uniform KYC, जानें कैसे रोक देगी फाइनेंशियल धोखाधड़ी

Uniform KYC: वर्तमान में, वित्तीय संस्थाओं में खाता खोलने, म्यूचुअल फंड या शेयरों में निवेश करने, या बीमा खरीदने से पहले ग्राहकों को हर बार केवाईसी विवरण प्रदान करना होता है. केवाईसी का मतलब "अपने ग्राहक को जानें" (Know Your Customer) है. यह एक ऐसी प्रोसेस है जहां वित्तीय संस्थान यह सुनिश्चित करते हैं कि उनके ग्राहक कौन हैं और वे कहां रहते हैं.

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Know Your Customer

Uniform KYC: आपने कभी न कभी तो बैंक खाता खोलते समय या बीमा करवाते समय KYC (Know Your Customer) करवाया होगा. केवाईसी एक मेंडेटरी प्रोसेस है जिसके जरिए फाइनेंशियल ऑर्गेनाइजेशन आपके पहचान और पते को वैरिफाई करते हैं. यह धोखाधड़ी, आतंकवादी गतिविधियों के बढ़ावे को रोकने और फाइनेंशियल सिस्टम में ट्रांसपैरेंसी बनाए रखने में अहम भूमिका निभाता है.

मगर, मौजूदा व्यवस्था में परेशानी ये है कि हर फाइनेंशियल ऑर्गेनाइजेशन के लिए अलग से केवाईसी करवाना पड़ता है. हर बार डॉक्यूमेंट्स जमा करना और अलग-अलग प्रोसेस से गुजरना समय लेने वाला और झंझट भरा काम हो सकता है.

आखिर क्या है यूनिफॉर्म केवाईसी

यहीं पर यूनिफॉर्म केवाईसी (Uniform KYC) का आइडिया क्रांति लाने की क्षमता रखती है. यूनिफॉर्म केवाईसी का मतलब है कि आपको केवल एक बार ही केवाईसी करवाना होगा, जिसे अलग-अलग फाइनेंशियल ऑर्गेनाइजेशन स्वीकार कर सकेंगे. केंद्रीय सरकार इस दिशा में कदम उठा रही है और यूनिफॉर्म केवाईसी सिस्टम को लागू करने की संभावनाओं पर गौर कर रही है. 

कैसे काम करेगा यूनिफॉर्म केवाईसी सिस्टम

सरकार यूनिफॉर्म केवाईसी सिस्टम लाने का प्रस्ताव कर रही है. इस सिस्टम के तहत, आपको केवल एक बार ही केवाईसी कराना होगा. एक बार आपकी केवाईसी जानकारी केंद्रीय केवाईसी रिकॉर्ड्स रजिस्ट्री (सीकेवाईसीआर) में दर्ज हो जाने के बाद, आपको एक यूनीक सीकेवाईसी आईकार्ड मिलेगा.

यह एक 14 अंकों का नंबर है जो आपके पहचान डॉक्यूमेंट्स से जुड़ा होता है. भविष्य में, जब आप किसी भी बैंक, बीमा कंपनी या अन्य फाइनेंशियल संस्था के साथ खाता खोलते हैं, तो वे सीकेवाईसी रजिस्ट्री से आपकी केवाईसी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं.

यूनिफॉर्म केवाईसी से क्या फायदे हैं?

यूनिफॉर्म केवाईसी के कई फायदे हैं. सबसे पहले, इससे ग्राहकों का समय और प्रयास बचेगा. दूसरा, यह फाइनेंशियल ऑर्गेनाइजेशनों के लिए भी अधिक कुशल होगा. उन्हें अब हर नए ग्राहक के लिए अलग से केवाईसी नहीं करना होगा. तीसरा, यूनिफॉर्म केवाईसी से डिजिटलीकरण को बढ़ावा मिलेगा और धन शोधन जैसी अवैध फाइनेंशियल गतिविधियों को रोकने में मदद मिलेगी.

यूनिफॉर्म केवाईसी में इस बात का रहेगा खतरा

हालांकि, यूनिफॉर्म केवाईसी से डेटा सुरक्षा को लेकर भी चिंताएं हैं. चूंकि सभी केवाईसी जानकारी एक केंद्रीय रजिस्ट्री में कलेक्ट की जाएगी, इससे डेटा चोरी का खतरा बना रहता है तो बचाव के लिये, मजबूत सुरक्षा उपायों को लागू करना आवश्यक है.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2024 के बजट भाषण में वर्तमान "यूनिफॉर्म सॉल्यूशन" के स्थान पर "रिस्क बेस्ड" नजरिया अपनाकर केवाईसी प्रोसेस को आसान बनाने पर भी चर्चा की. इसका मतलब है कि ग्राहक के जोखिम प्रोफाइल के आधार पर केवाईसी डिटेल्स को कलेक्ट किया जाएगा. हाई रिस्क वाले ग्राहकों के लिए ज्यादा डिटेल्ड जानकारी की आवश्यकता होगी, जबकि लो रिस्क वाले ग्राहकों के लिए कम जानकारी की आवश्यकता होगी.

यूनिफॉर्म केवाईसी लागू होने से क्या फायदे हैं?

समय की बचत और आसान प्रोसेस: यूनिफॉर्म केवाईसी सिस्टम लागू होने से बार-बार डॉक्यूमेंट्स जमा करने और अलग-अलग केवाईसी प्रोसेस से गुजरने की झंझट समाप्त हो जाएगी. इससे आपका काफी समय बच सकता है. आपको हर बार बैंक खाता खोलने, म्यूचुअल फंड में निवेश करने या बीमा पॉलिसी खरीदने के लिए अलग से केवाईसी न करवाना पड़ेगा. यह न सिर्फ समय की बचत करेगा बल्कि प्रोसेस को भी काफी सरल बना देगा.

खाता खोलने और निवेश करने में आसानी: यूनिफॉर्म केवाईसी से नए बैंक खाते खोलना, म्यूचुअल फंड में निवेश करना या बीमा पॉलिसी खरीदना काफी आसान हो जाएगा. आपको हर बार डॉक्यूमेंट्स का एक ही सेट जमा नहीं कराना पड़ेगा. इससे फाइनेंशियल ऑर्गेनाइजेशनों के बीच खाता खोलने या निवेश करने की प्रोसेस अधिक कॉम्पिटीटिव बन सकता है और इसका सीधा फायदा कस्टमर्स को मिलेगा.

कागजी कार्रवाई में कमी और पर्यावरण संरक्षण: यूनिफॉर्म केवाईसी सिस्टम लागू होने से कागजी कार्रवाई में भारी कमी आएगी. बार-बार डॉक्यूमेंट्स जमा करने की जरूरत न होने से कागज की खपत कम होगी जो पर्यावरण के लिए भी लाभदायक है. साथ ही, डॉक्यूमेंट्स के खोने या गुम होने का जोखिम भी कम हो जाएगा.

डिजिटल प्रोसेस और बेहतर सुविधा: यूनिफॉर्म केवाईसी को पूरी तरह से डिजिटल रूप से लागू किया जा सकता है. इससे प्रोसेस और भी तेज और सुविधाजनक हो जाएगी. डिजिटल केवाईसी न सिर्फ समय बचाएगा बल्कि इसे और अधिक सुरक्षित बनाने में भी मदद करेगा.

यूनिफॉर्म केवाईसी को लागू करने में मिलने वाली चुनौतियां

हालांकि, यूनिफॉर्म केवाईसी को लागू करने में कुछ चुनौतियां भी हैं जिन पर गौर करना जरूरी है. उदाहरण के लिए, यह सुनिश्चित करना होगा कि डेटा सुरक्षा कायम रहे और डिजिटल प्रोसेस में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी या धोखाधड़ी की संभावना न हो. इसके अलावा, विभिन्न फाइनेंशियल ऑर्गेनाइजेशनों के लिए केवाईसी आवश्यकताओं में मामूली अंतर हो सकते हैं, जिन्हें यूनिफॉर्म सिस्टम में समायोजित करने की आवश्यकता होगी. साथ ही, यह भी देखना होगा कि दूरदराज के क्षेत्रों में रहने वाले लोगों या जिनकी डिजिटल पहुंच सीमित है, उनके लिए भी यह प्रोसेस सुलभ हो.

कुल मिलाकर, यूनिफॉर्म केवाईसी ग्राहकों के लिए एक सकारात्मक बदलाव हो सकता है. यह न केवल प्रोसेस को आसान और तेज बनाएगा, बल्कि समय और प्रयास की बचत के साथ-साथ फाइनेंशियल समावेशन को भी बढ़ावा देगा. डिजिटल प्रोसेस अपनाने से यह और भी सुविधाजनक हो जाएगा. हालांकि, डेटा सुरक्षा और सिस्टम को व्यापक बनाने पर ध्यान देना होगा ताकि सभी ग्राहकों को इसका लाभ मिल सके.