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सैलरी स्लिप नहीं है, टैक्स रिटर्न दाखिल नहीं करते हैं? चिंता मत कीजिए, आपको मिल जाएगा होम लोन

How To Get Home Loan: अगर आप होम लोन लेना चाहते हैं और आपके पास सैलरी स्लिप नहीं है और न ही आप टैक्स रिटर्न दाखिल करते हैं, तो आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है. आपको होम लोन आसानी से मिल जाएगा. ये सब कुछ बस आपके डिजिटल लेन-देन की हिस्ट्री को ही देखकर संभव हो पाएगा. आइए आपको समझाते हैं.

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Edited By: India Daily Live
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Courtesy: Social Media

How To Get Home Loan: अगर आपके पास सैलरी स्लिप नहीं है, आप टैक्स रिटर्न दाखिल नहीं करते हैं, फिर भी आप होम लोन ले सकते हैं. ये सब आपके डिजिटल लेन-देन की हिस्ट्री से संभव हो जाएगा. एक रिपोर्ट के मुताबिक, डिजिटल पेमेंट हिस्ट्री वाले गैर-वेतनभोगियों को भी बैंक अब होम लोन देंगे. ये कदम होम लोन के लिए आवेदन करने वाले उन व्यक्तियों के लिए लाभकारी होगा, जो लोन लेने के पहले के जरूरी निर्धारित शर्तों के अधीन नहीं आते थे.

वित्तीय सेवा सचिव विवेक जोशी के मुताबिक, बजट में एक एमएसएमई के लिए नया ऋण मूल्यांकन मॉडल की घोषणा के बाद वित्त मंत्रालय अब डिजिटल फुटप्रिंट पर होम लोन उपलब्ध कराएगा. बजट 2024-25 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने घोषणा की कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक (PSB) बाहरी मूल्यांकन पर निर्भर रहने के बजाय एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम) को लोन देने के लिए अपनी आंतरिक क्षमता का निर्माण करेंगे. नए मॉडल के तहत, बैंक एमएसएमई बीआरडी का ऋण मूल्यांकन उसके डिजिटल फुटप्रिंट के आधार पर करेंगे, न कि उसकी बैलेंस शीट के आधार पर.

इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में जोशी ने बताया कि इसी तरह, हम हाउसिंग सेक्टर के लिए भी एक प्रोडक्ट विकसित कर रहे हैं. बैंक पहले ही इस मॉडल पर काम कर चुके हैं. अभी तक, बैंकों से होम लोन केवल उन लोगों को उपलब्ध है जो वेतनभोगी हैं या टैक्स रिटर्न दाखिल करते हैं. जिनके पास ये (आवश्यक दस्तावेज) नहीं हैं, बैंक उनके डिजिटल फुटप्रिंट देखकर (नए मॉडल के तहत) उन्हें लोन दे सकते हैं.

लोन देते समय बैंक आवेदनकर्ता के खर्च के पैटर्न को देखेंगे

जोशी ने कहा कि नए मॉडल के तहत (एक तिमाही के भीतर विकसित किए जाने की संभावना) बैंक लोन देते समय आवेदनकर्ता के खर्च के पैटर्न पर विचार करेंगे. एमएसएमई के लिए नए ऋण मूल्यांकन मॉडल पर जोशी ने कहा कि वर्तमान में बैंक, लोन देने से पहले एमएसएमई की बैलेंस शीट और बैंक अकाउंट की डिटेल देखते हैं और सरकार अब इसमें बदलाव करने की योजना बना रही है.

उन्होंने कहा कि हर एमएसएमई बैलेंस शीट तैयार नहीं कर सकता. बैंक एमएसएमई के साथ कॉरपोरेट जैसा ही व्यवहार करते हैं. जोशी ने कहा कि मध्यम आकार के एमएसएमई के लिए बैंकों की ऋण आवश्यकताओं का अनुपालन करना आसान है, लेकिन छोटे व्यवसायों के लिए उचित बैलेंस शीट नहीं है और इसलिए उन्हें ऋण प्राप्त करना मुश्किल होता है.

जोशी ने उदाहरण से पूरा प्रोसेस समझाया

जोशी ने एक उदाहरण के साथ बताया कि मान लीजिए किसी के पास चाय और समोसा बेचने वाली दुकान है, बैंक को पता है कि दुकान अच्छा चल रही है, लेकिन नियम उन्हें ऋण देने की अनुमति नहीं देते हैं. उन्होंने कहा कि कारोबारी अपना बैंक खाता या बिजली का बिल दिखा सकता है, जिससे बैंक के लिए 5 लाख या 10 लाख रुपये का लोन देना आसान हो जाएगा. उन्होंने कहा कि इससे अधिक संख्या में एमएसएमई को लोन देने में मदद मिलेगी.