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बिना अनुमति वाले मदरसों पर सख्ती, उत्तराखंड हाईकोर्ट ने दी चेतावनी

उत्तराखंड में लंबे समय से बिना पंजीकरण के संचालित हो रहे मदरसों को लेकर विवाद चल रहा था. कई संस्थानों ने मदरसा बोर्ड के नियमों का पालन किए बिना अपने नाम में 'मदरसा' शब्द का उपयोग किया, जिसके खिलाफ याचिकाएं दायर की गई थीं.

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Edited By: Gyanendra Sharma
Uttarakhand High Court
Courtesy: Social Media

Uttarakhand High Court: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने प्रदेश में बिना पंजीकरण के संचालित हो रहे मदरसों को लेकर महत्वपूर्ण निर्देश जारी किए हैं. हाई कोर्ट ने कहा कि बगैर मदरसा बोर्ड की अनुमति के चल रहे मदरसे के ऊपर मदरसा न लिखें. कोर्ट ने चेतावनी दी कि यदि ऐसे संस्थान 'मदरसा' शब्द का उपयोग करते पाए गए, तो जिला प्रशासन उनके खिलाफ कार्रवाई कर सकता है.

हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान यह भी निर्देश दिया कि जिन मदरसों को अब तक सील किया गया है, उनकी सील खोली जाए. यह फैसला उन संस्थानों के लिए राहत की बात हो सकता है, जो पंजीकरण की प्रक्रिया में हैं या अन्य नियमों का पालन कर रहे हैं. कोर्ट का यह आदेश प्रदेश में बिना वैधानिक अनुमति के चल रहे शिक्षण संस्थानों के लिए एक सख्त संदेश है.

क्या है पूरा मामला? 

उत्तराखंड में लंबे समय से बिना पंजीकरण के संचालित हो रहे मदरसों को लेकर विवाद चल रहा था. कई संस्थानों ने मदरसा बोर्ड के नियमों का पालन किए बिना अपने नाम में 'मदरसा' शब्द का उपयोग किया, जिसके खिलाफ याचिकाएं दायर की गई थीं. इन याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि केवल वही संस्थान 'मदरसा' शब्द का उपयोग कर सकते हैं, जो मदरसा बोर्ड में विधिवत पंजीकृत हों. कोर्ट ने यह भी कहा कि बिना पंजीकरण के संचालित हो रहे संस्थानों को अपने नाम से 'मदरसा' शब्द हटाना होगा. 

हाईकोर्ट ने उन मदरसों को राहत दी है, जिन्हें प्रशासन द्वारा सील कर दिया गया था. कोर्ट ने निर्देश दिया कि इन संस्थानों की सील खोली जाए, ताकि वे अपनी स्थिति स्पष्ट कर सकें और नियमों का पालन कर पंजीकरण की प्रक्रिया पूरी कर सकें. यह कदम उन संस्थानों के लिए महत्वपूर्ण है, जो शैक्षिक गतिविधियों को जारी रखना चाहते हैं.