उत्तराखंड सरकार ने आधुनिक शिक्षा को पारंपरिक ज्ञान के साथ जोड़ने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है. अब राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में प्रतिदिन श्रीमद्भगवद्गीता के श्लोकों का पाठ अनिवार्य कर दिया गया है. यह पहल तत्काल प्रभाव से लागू हो गई है, जिसके तहत छात्र सुबह की प्रार्थना सभा में गीता के एक श्लोक का पाठ करेंगे.
हर रोज एक श्लोक का पाठ
माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. मुकुल कुमार सती ने सभी मुख्य शिक्षा अधिकारियों को इस पहल को लागू करने का निर्देश जारी किया है. दिशा-निर्देशों के अनुसार, प्रत्येक दिन एक गीता श्लोक पढ़ा जाएगा, जिसके साथ उसका अर्थ और वैज्ञानिक या दार्शनिक महत्व भी समझाया जाएगा. शिक्षकों को "सप्ताह का श्लोक" चुनने, इसे स्कूल के नोटिस बोर्ड पर इसके अर्थ सहित प्रदर्शित करने और नियमित पाठ को प्रोत्साहित करने की जिम्मेदारी दी गई है. सप्ताह के अंत में छात्र कक्षा में श्लोक पर चर्चा करेंगे और अपने विचार साझा करेंगे.
#WATCH उत्तराखंड सरकार ने राज्य भर के स्कूलों में प्रार्थना सभाओं के दौरान भगवद् गीता के श्लोकों का पाठ अनिवार्य करने का निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि गीता का ज्ञान न केवल धार्मिक है, बल्कि नैतिक और जीवन मूल्यों की भी शिक्षा देता है, जिससे छात्र बेहतर… pic.twitter.com/mMQSo8Ltkh
— ANI_HindiNews (@AHindinews) July 16, 2025
अधिकारियों का कहना है कि इस पहल का उद्देश्य मूल्य-आधारित शिक्षा को बढ़ावा देना और छात्रों के बौद्धिक, भावनात्मक व नैतिक विकास को प्रोत्साहित करना है.
किताबों में शामिल होगी रामायण
उत्तराखंड के शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने इस पहल को व्यापक शैक्षिक सुधार का हिस्सा बताया. उन्होंने कहा, "मुख्यमंत्री के साथ बैठक में हमने एनसीईआरटी को 17,000 सरकारी स्कूलों के पाठ्यक्रम में भगवद्गीता और रामायण से सामग्री शामिल करने का कार्य सौंपा है. जब तक यह लागू नहीं होता, तब तक दोनों ग्रंथों के श्लोक दैनिक प्रार्थना में पढ़े जाएंगे."
यह कदम भारतीय संस्कृति और मूल्यों को युवा पीढ़ी तक पहुंचाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है.शिक्षा में नया अध्याययह पहल न केवल छात्रों में नैतिक मूल्यों को बढ़ावा देगी, बल्कि भारतीय दर्शन और संस्कृति को शिक्षा के माध्यम से जीवंत रखेगी. उत्तराखंड इस अनूठी पहल के साथ शिक्षा के क्षेत्र में एक नया कीर्तिमान स्थापित कर रहा है.