श्रावण महीने की पवित्र कांवड़ यात्रा के दौरान हरिद्वार में गंगाजल लेने आए करीब साढ़े चार करोड़ कांवड़ यात्री भारी मात्रा में गंदगी छोड़ गए. नगर निगम के अनुसार, इस दौरान लगभग 10 हजार मीट्रिक टन कूड़ा हरिद्वार शहर में जमा हुआ, जिसे साफ करने में दो से तीन दिन का समय लग सकता है. सफाई के लिए नगर निगम ने युद्ध स्तर पर अभियान शुरू किया है.
गंगा घाटों की सफाई को लेकर विशेष महाअभियान चलाया जा रहा है। प्रशासन ने चार नोडल अधिकारी और 11 मुख्य सफाई निरीक्षक नियुक्त किए हैं, जिन्हें अलग-अलग घाटों की जिम्मेदारी दी गई है. संध्याकालीन गंगा आरती से पहले सुभाष घाट, नाई सोता, बिरला घाट और कांगड़ा पुल जैसे प्रमुख घाटों पर सफाई पूरी कर ली गई है, जबकि बाकी घाटों की सफाई कार्य गुरुवार सुबह तक पूरी करने का दावा किया गया है.
नगर आयुक्त नंदन कुमार के अनुसार, श्रावण कांवड़ मेले की शुरुआत से अब तक रोजाना औसतन 600 से 700 मीट्रिक टन कूड़ा एकत्र किया गया. 19 जुलाई से डाक कांवड़ के शुरू होने के बाद यह आंकड़ा प्रतिदिन 1000 से 1200 मीट्रिक टन तक पहुंच गया, जबकि सामान्य दिनों में शहर से सिर्फ 250-300 मीट्रिक टन कूड़ा निकलता है.
सफाई के लिए नगर निगम ने 1,000 अतिरिक्त सफाईकर्मियों की तैनाती की है. सफाई कार्य में 15 ट्रैक्टर ट्रालियां, तीन लोडर, तीन टिपर और आठ सीएनजी वाहन लगाए गए हैं. हरकी पैड़ी क्षेत्र से सबसे अधिक कूड़ा उठाया गया है, जिसमें प्लास्टिक की बोतलें, पन्नी, कपड़े, जूते-चप्पल जैसी चीजें शामिल हैं.
हालांकि, यह स्थिति केवल घाटों तक ही सीमित नहीं रही. शहर के अंदरूनी हिस्सों की हालत भी खराब रही. ज्वालापुर रेलवे रोड और पीपलान मोहल्ला के ट्रांसफर स्टेशन पर भी दोपहर तक गंदगी के ढेर लगे नजर आए.
इस बीच, एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) के आदेशों की खुलेआम अवहेलना भी सामने आई. हरिद्वार में प्लास्टिक पर प्रतिबंध के बावजूद घाटों पर प्लास्टिक कैन, पन्नी, पालीथिन की चटाई जैसी चीजें खुलेआम बिकीं. रोड़ीबेलवाला और पंतद्वीप क्षेत्र में अस्थायी दुकानों पर प्लास्टिक उत्पाद धड़ल्ले से बिकते रहे, लेकिन पुलिस प्रशासन की कार्रवाई बेहद सीमित रही. हरकी पैड़ी से लेकर कनखल, भूपतवाला, पंतद्वीप और ऋषिकुल मैदान तक गंदगी और बदबू फैली रही. जगह-जगह खुले में शौच की वजह से हालात और भी बिगड़ गए.