UP News: उत्तर प्रदेश से एक बड़ी खबर सामने आई है. जौनपुर के पूर्व सांसद धनंजय सिंह को कोर्ट ने एक अपहरण मामले में दोषी करार दिया है. जौनपुर एडीजे कोर्ट ने फैसला सुनाने के साथ ही धनंजय सिंह को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया है. अब इस मामले में कल यानी 6 मार्च को कोर्ट अपना फैसला सुनाएगी. तो जानते हैं पूर्व सांसद धनंजय सिंह के खिलाफ किसके अपहरण का आरोप था?
ये मामला 10 मई साल 2020 का है. जौनपुर के सिविल लाइन थाने में एक केस दर्ज कराया गया था. मूलरूप से मुजफ्फरनगर के रहने वाले जूनियर इंजीनियर (JE) अभिनव सिंघल ने आरोप लगाया कि धनंजय सिंह और उनके कई साथियों ने उनका अपहरण किया और रंगदारी वसूलने का प्रयास किया. पुलिस को दी गई तहरीर में जेई ने कहा कि अपहरण के बाद उन्हें धनंजय सिंह के घर पर रखा गया था.
साथियों! तैयार रहिए...
— Dhananjay Singh (@MDhananjaySingh) March 2, 2024
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जेई अभिनव सिंघल ने आरोप लगाया था कि यहां धनंजय सिंह ने उन्हें धमकाया. पिस्तौल दिखाई और गाली-गलौच की. उन्होंने कहा कि आरोपियों ने उन पर दबाव बनाया कि वे सड़क निर्माण में घटिया सामग्री का इस्तेमाल करें. उन्हें रंगदारी दें. जब उन्होंने ऐसा करने से इनकार कर दिया तो आरोपियों ने उन्हें काफी धमकाया. हालांकि जेई की तहरीर पर धनंजय सिंह और उनके साथियों के खिलाफ तत्काल केस दर्ज हुआ और फिर पुलिस ने सभी को गिरफ्तार किया.
गिरफ्तारी के अगले दिन पुलिस ने सभी कोर्ट को पेश किया, जहां से उन्हें 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में जेल भेजा गया. हालांकि कुछ समय बाद उन्हें जमानत मिल गई थी. दावा किया जाता है कि कुछ समय बाद केस दर्ज कराने वाले जेई ने कोर्ट में एक अपील पत्र दिया और आरोपों से मुकर गए. इसमें कहा गया था कि वे उस वक्त काफी तनाव में थे.
धनंजय सिंह का काफी लंबा राजनीतिक करियर है. वे पहली बार साल 2002 में रारी विधानसभा क्षेत्र (वर्तमान में मल्हनी) से विधायकी के लिए निर्दलीय खड़े हुए थे और जीत हासिल की.
इसके बाद साल 2007 में उन्हें जेडीयू से टिकट मिला. इसमें भी उन्होंने जीत हासिल की. फिर साल 2008 में उन्होंने जेडीयू का दामन छोड़कर बसपा का साथ पकड़ लिया. साल 2009 में उन्होंने जौनपुर लोकसभा सीट पर बसपा के बैनर तले चुनाव लड़ा और जीत हासिल की.
रिपोर्ट्स में कहा जाता है कि धनंजय सिंह से पहले जौनपुर की लोकसभा सीट पर सपा, बीजेपी और कांग्रेस का कब्जा रहता था. साल 2009 के लोकसभा चुनाव में धनंजय सिंह ने समाजवादी पार्टी के पारस नाथ यादव को बड़े वोट अंतर से हराया था. बाद में पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोपों के चलते बसपा सुप्रीमो ने उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया था.
यहीं से बाहुबलि धनंजय सिंह का राजनीतिक पतन होने शुरू हो गया था. इसके बाद साल 2012 में धनंजय सिंह की पत्नी जागृति सिंह ने भी निर्दलीय चुनाव लड़ा, लेकिन हार का मुंह देखना पड़ा.