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SP Congress Alliance: कांग्रेस के हिस्से वाली 17 सीटों का क्या है चुनावी गणित? जानें पूरा समीकरण

SP Congress Alliance: लोकसभा चुनाव के मद्देनजर सपा-कांग्रेस गठबंधन का ऐलान हो गया है. कांग्रेस पार्टी यूपी में 17 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ेंगी. सीट बंटवारे के बाद कांग्रेस पार्टी पूरी तरह एक्शन मोड में है और उम्मीदवारों के चयन प्रक्रिया को लेकर आगे बढ़ रही है. उम्मीद जताई जा रही है कि कांग्रेस उम्मीदवारों की नई लिस्ट जल्द जारी कर सकती है. ऐसे में आईए जानते है कि 17 सीटों पर कांग्रेस पार्टी के पक्ष में क्या रहने वाले है समीकरण.

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Avinash Kumar Singh
SP Congress Alliance

Lok Sabha Election 2024: कांग्रेस और सपा के बीच सीट बंटवारे के बाद चुनावी चौसर पर लड़ाई की व्यूह रचना तैयार होने लगी है. तय किये गए फॉर्मूले के आधार पर कांग्रेस पार्टी यूपी की 17 सीटों पर चुनावी ताल ठोकेंगी बाकी सीटों पर सपा गठबंधन के उम्मीदवार चुनावी हुंकार भरेंगे. यूपी की जिन 17 लोकसभा सीटों पर कांग्रेस चुनाव लड़ेगी उसमें रायबरेली, अमेठी, कानपुर नगर, फतेहपुर सीकरी, बांसगांव, सहारनपुर, प्रयागराज, महाराजगंज, वाराणसी, अमरोहा, झांसी, बुलंदशहर, गाजियाबाद मथुरा, सीतापुर, बाराबंकी और देवरिया का नाम शामिल हैं. ऐसे में कांग्रेस पार्टी जल्द ही अपने उम्मीदवारों के नामों का ऐलान कर सकती है. कांग्रेस के यूपी प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे ने बड़ी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कहा कि पार्टी नेतृत्व विचार विमर्श के बाद इसे जल्द ही अपने प्रत्याशियों की सूची जारी करेगी.

यूपी की रायबरेली सीट कांग्रेस की परंपरागत सीट मानी जाती है. सीट पर कांग्रेस का 1999 से कब्जा है. कांग्रेस पार्टी ने इस सीट पर कई बार जीत का परचम लहरायया है, वहीं बीजेपी ने दो बार इस सीट पर जीत दर्ज की है. 2004 से सोनिया गांधी इस सीट पर काबिज हैं, हालांकि सोनिया गांधी के राज्यसभा जाने के बाद इस सीट पर प्रियंका गांधी के चुनाव लड़ने की चर्चा है. 

रायबरेली

सियासी हलकों में इस बात की चर्चा है कि सोनिया गांधी की रायबरेली सीट से कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी को चुनाव लड़ाया जा सकता है. सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव अमेठी और रायबरेली की सीट हमेशा गांधी परिवार के लिए छोड़ते आये हैं. ऐसे में अखिलेश ने कांग्रेस को यह सीट देकर पिता की परंपरा को निभाने के कोशिश की है. देश में अब तक हुए 17 लोकसभा चुनाव में 3 चुनाव छोड़ दें तो ये सीट हर बार कांग्रेस के पास रही है. देश के 72 साल के चुनावी इतिहास में उत्तर प्रदेश की रायबरेली सीट 66 साल तक कांग्रेस के पास रही है. 

अमेठी

अमेठी सीट भी कांग्रेस की पारंपरिक सीट रही है, वो दीगर बात है कि पिछले 2019 लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने इस सीट पर कांग्रेस के किले को ध्वस्त किया था. इस सीट पर केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को बड़े अंतर से हराया था. इस सीट पर गांधी परिवार का कोई न कोई सदस्य चुनाव जीतता आया है. जिसमें पूर्व पीएम राजीव गांधी, संजय सिंह, सोनिया गांधी और राहुल गांधी इस सीट पर चुनाव जीत चुके हैं. ऐसे में कांग्रेस की कोशिश इस लोकसभा चुनाव में इस सीट को जीतने की होगी. 

कानपुर

कानपुर लोकसभा सीट पर मौजूदा समय में बीजेपी सांसद सत्यदेव पचौरी सांसद हैं. यहां से 2019 लोकसभा चुनाव में सत्यदेव पचौरी ने कांग्रेस प्रत्याशी श्रीप्रकाश जायसवाल को 1,55,033 मतों के बड़े अंतर से हराया था. 1996 और 1998 में यहां से बीजेपी जीतने में कामयाब रही. उसके बाद कांग्रेस नेता श्रीप्रकाश जायसवाल ने ने 1999, 2004 और 2009 में यहां से जीतने आ रहे लेकिन 2014 लोकसभा चुनाव में बीजेपी के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी ने इस सीट पर जीत हासिल की थी.

फतेहपुर 

फतेहपुर लोकसभा सीट पर देश के पूर्व पीएम लाल बहादुर शास्त्री के बेटे हरिकिशन शास्त्री कांग्रेस के टिकट पर 1980 और 84 में लगातार दो बार जीत दर्ज किये थे. वहीं 1989 और 91 के चुनाव में जनता दल से विश्वनाथ प्रताप सिंह ने जीत दर्ज कर देश के प्रधानमंत्री बने. उसके बाद 1996 में बसपा के विशंभर प्रसाद निषाद, 1998 और 99 में बीजेपी के अशोक कुमार पटेल, 2004 में बसपा के महेंद्र निषाद. 2009 में सपा के राकेश सचान, 2014 और 2019 में बीजेपी के टिकट पर साध्वी निरंजन ज्योति लगातार दो बार सांसद चुनी गई और केंद्र सरकार में मंत्री है. ऐसे में इस सीट पर कांग्रेस पार्टी जीत की नई इबारत लिखना चाहेगी. 

बांसगांव

यूपी की बांसगांव सीट आरक्षित सीट है और पिछले तीन चुनाव से इस सीट पर बीजेपी के कमलेश पासवान सांसद चुने जाते रहे है.  कांग्रेस ने इस सीट पर आखिरी बार 2004 में जीत दर्ज की थी. कांग्रेस ने इस सीट पर आखिरी बार 2004 में जीत दर्ज की थी.

सहारनपुर 

पश्चिमी यूपी में सहारनपुर लोकसभा महत्वपूर्ण सीटों में से एक है. कांग्रेस के खाते में यह सीट आने के बाद चर्चा है कि इमरान मसूद यहां से चुनाव लड़ सकते है. मुस्लिम वोटों पर उनकी मजबूत पकड़ मानी जाती है. बीते दिनों मायावती ने इमरान मसूद को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाने के बाद उन्होंने कांग्रेस में घर वापसी कर ली.

 प्रयागराज

यूपी की प्रयागराज सीट पर बीजेपी के टिकट पर रीता बहगुणा जोशी प्रयागराज सांसद हैं. इस सीट पर कांग्रेस को आखिरी बार 1984 में जीत मिली थी. अमिताभ बच्चन ने इस सीट पर कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीता था. इसके बाद इस सीट पर कांग्रेस को जीत नसीबनहीं हुई.

महाराजगंज

महाराजगंज सीट पर कांग्रेस को आखिरी बार 2009 में जीत मिली थी. कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत महारागंज लोकसभा सीट से चुनावी मैदान में उतार सकती है. इस सीट से उनके पिता सांसद रह चुके है. 

वाराणसी 

यूपी की वाराणसी सीट पर पिछले दो चुनावों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जीत रहे हैं. पिछले दो चुनावों में पीएम मोदी के सामने यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय चुनाव लड़ते आए है. ऐसे में इस सीट से वो एकबार फिर चुनाव लड़ सकते है. 

अमरोहा 

अमरोहा सीट पर पिछले चुनाव में बसपा के उम्मीदवार कुंवर दानिश अली की जीत हुई थी. बसपा से निष्कासित किये जाने के बाद सांसद दानिश अली को कांग्रेस अमरोहा से चुनावी मैदान में उतार सकती है.

झांसी सीट

झांसी सीट पर कांग्रेस ने आखिरी बार 2009 में जीत दर्ज की थी. कांग्रेस के टिकट पर प्रदीप जैन आदित्य ने चुनाव जीतकर मनमोहन सिंह सरकार में केंद्रीय मंत्री बने थे. कांग्रेस ने साल 1952 से लेकर 1971 के बीच हुए पांच लोकसभा चुनावों में कांग्रेस ने एक के बाद एक लगातार जीत दर्ज की थी. 1977 में पहली बार इस सीट पर किसी गैर कांग्रेसी प्रत्याशी ने जीत हासिल की थी. पिछले दो चुनावों में यह सीट बीजेपी के गढ़ के रूप में तब्दील हो गई है. 

बुलंदशहर

यूपी की बुलंदशहर सीट पर कांग्रेस ने आखिरी बार साल 1984 में जीत दर्ज की थी. फिलहाल इस सीट पर बीजेपी के भोला सिंह सांसद हैं, जो पिछले दो चुनावों में जीतते आ रहे है. ऐसे में कांग्रेस की कोशिश इस सीट पर जीत का परचम लहराने की होगी. 

गाजियाबाद

गाजियाबाद लोकसभा सीट पर इस समय बीजेपी के बीके सिंह सांसद और मोदी सरकार में मंत्री है. पिछले तीन चुनावों से बीजेपी ही इस सीट पर जीत बनाए हुए है. ऐसे में इस सीट पर कांग्रेस के सामने जीत की चुनौती है. 

देवरिया 

देवरिया सीट पर इस समय बीजेपी का कब्जा है और रमापति राम त्रिपाठी यहां से सांसद हैं. कांग्रेस को देवरिया सीट पर 1984 में जीत मिली थी. इसके अलावा सपा भी इस सीट पर साल 1998 और 2004 में जीत दर्ज कर चुकी है. ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू यहां से चुनाव लड़ सकते है. 

बाराबंकी

यूपी की बाराबंकी सीट आरक्षित है. कांग्रेस ने इस सीट पर साल 2009 में जीत दर्ज की थी. चर्चा है कि कांग्रेस नेता पीएल पुनिया या उनके बेटे तनुज पुनिया इस सीट से चुनाव लड़ सकते है. 

मथुरा 

यूपी की मथुरा सीट से हेमा मालिनी सांसद है. चर्चा है कि बीजेपी इस सीट पर किसी नये चेहरे को मैदान में उतार सकती है. ऐसे में कांग्रेस के सामने जीत दर्ज करने की बड़ी चुनौती रहने वाली है. कांग्रेस ने 2004 में इस सीट पर जीत दर्ज की थी. 

सीतापुर सीट

यूपी की सीतापुर सीट पर कांग्रेस को आखिरी बार 1989 में जीत मिली थी. इस समय सीतापुर सीट पर बीजेपी का कब्जा है और पिछले दो चुनावों से राजेश वर्मा बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीतते आ रहे है. ऐसे में कांग्रेस किसी मजबूत जनाधार वाले नेता को चुनावी मैदान में उतारकर चुनावी लड़ाई को दिलचस्प बना सकती है. 

गठबंधन को मुक्कमल शक्ल देने में प्रियंका की अहम भूमिका 

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने दोनों पार्टियों के बीच सुलह कराने और सीट-बंटवारे समझौते को अंतिम रूप देने में अहम भूमिका निभाई है. प्रियंका गांधी और अखिलेश यादव दोनों नेताओं की फोन पर लंबी चर्चा के बाद सीट बंटवारे पर सहमति बन पाई. एआईसीसी महासचिव और यूपी प्रभारी अविनाश पांडे ने गठबंधन को मुक्कमल शक्ल देने में प्रियंका गांधी वाड्रा का आभार जताया.