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Meerut News: नीले ड्रम में गंगाजल ले जाता दिखा कांवड़िया, मेरठ मर्डर केस से इस तरह जुड़ा है लिंक

सावन का पवित्र महीना शुरू होते ही उत्तर प्रदेश के मेरठ का नीला ड्रम एक बार फिर सुर्खियों में है. लेकिन इस बार यह नकारात्मक कारणों से नहीं, बल्कि श्रद्धा और भक्ति के रंग में रंगा हुआ है.

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Edited By: Garima Singh
Blue Drum Kavad yatra
Courtesy: x

Blue Drum Kavad yatra: सावन का पवित्र महीना शुरू होते ही उत्तर प्रदेश के मेरठ का नीला ड्रम एक बार फिर सुर्खियों में है. लेकिन इस बार यह नकारात्मक कारणों से नहीं, बल्कि श्रद्धा और भक्ति के रंग में रंगा हुआ है. गाजियाबाद के एक कावड़िए का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें वह अपने कंधों पर नीले ड्रम में गंगाजल लेकर कावड़ यात्रा करता नजर आ रहा है. यह दृश्य न केवल आस्था का प्रतीक है, बल्कि नीले ड्रम की बदनामी को शुद्धिकरण की दिशा में ले जाने की एक अनोखी कोशिश भी है.

नीला ड्रम मेरठ में सौरभ हत्याकांड के कारण बदनाम हुआ था. इस हत्याकांड में सौरभ की पत्नी मुस्कान ने अपने प्रेमी के साथ मिलकर सौरभ की हत्या की थी और उनके शव को टुकड़ों में काटकर नीले ड्रम में सीमेंट से चुनवा दिया था. इस घटना ने मेरठ और नीले ड्रम को नकारात्मक चर्चा में ला दिया था. लेकिन अब सावन के इस पवित्र महीने में एक कावड़िया इस बदनामी को मिटाने की दिशा में कदम उठाता दिख रहा है.

कावड़ यात्रा में नीला ड्रम की नई पहचान

गाजियाबाद से हरिद्वार तक की करीब 200 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर यह कावड़िया गंगाजल लेकर लौट रहा है. उसके कंधों पर दो बड़े नीले ड्रम हैं, जिनमें 80 लीटर से अधिक गंगाजल भरा हुआ है. राहगीरों ने जब इस अनोखे दृश्य के बारे में पूछा, तो कावड़िए ने कहा, "मुस्कान की वजह से नीला ड्रम बदनाम हुआ था. लेकिन अब इस नीले ड्रम के शुद्धिकरण की बारी है." कांवड़ियें ने बताया कि वह इस गंगाजल से अपने माता-पिता को स्नान करवाएगा, ताकि नीले ड्रम की नकारात्मक छवि को पवित्रता में बदला जा सके.

भक्ति और समर्पण की मिसाल

कावड़िए ने यह भी साझा किया कि उसकी शादी अभी नहीं हुई है. उसका यह समर्पण और आस्था न केवल कावड़ यात्रा की महत्ता को दर्शाता है, बल्कि समाज में नीले ड्रम से जुड़ी नकारात्मक धारणा को बदलने की एक सकारात्मक पहल भी है. हरिद्वार से गाजियाबाद तक की कठिन यात्रा में वह अपने विश्वास और भक्ति के बल पर आगे बढ़ रहा है.

सावन में आस्था का रंग

ऐसा माना जाता है सावन का महीना भगवान शिव की भक्ति का प्रतीक है. इस दौरान लाखों कावड़िए गंगाजल लेकर अपने गंतव्य की ओर बढ़ते हैं. इस कावड़िए का नीले ड्रम के साथ यात्रा करना न केवल उसकी श्रद्धा को दर्शाता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि आस्था और सकारात्मक सोच के साथ किसी भी नकारात्मक छवि को बदला जा सकता है. यह कहानी न केवल मेरठ और गाजियाबाद के लोगों के लिए प्रेरणादायक है, बल्कि पूरे देश में आस्था और विश्वास की एक नई मिसाल प्रस्तुत करती है.