menu-icon
India Daily

देश में जमकर बरसा मानसून, लेकिन यूपी का ये जिला रह गया 'प्यासा', पूरे देश में सबसे कम हुई बारिश

Deoria drought 2025: जहां पूर्वांचल बारिश की कमी से जूझ रहा है, वहीं पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 12 प्रतिशत ज्यादा बारिश हुई है. यहां केवल पीलीभीत जैसे कुछ जिले ही कमी की श्रेणी में आए हैं. इससे साफ है कि मॉनसून का पैटर्न अब क्षेत्रीय असंतुलन दिखा रहा है.

reepu
Edited By: Reepu Kumari
 Deoria drought 2025
Courtesy: Pinterest

Deoria drought 2025: इस साल मॉनसून ने देशभर में अलग-अलग रंग दिखाए हैं. कहीं भारी बारिश से तबाही मची तो कहीं बादल बरसने से ही कतराते रहे. पूर्वी उत्तर प्रदेश का देवरिया जिला इस बार देश का सबसे सूखा जिला बन गया है, जहां अब तक 87 प्रतिशत कम बारिश दर्ज की गई. औसतन 759.4 मिमी बारिश की जगह देवरिया में सिर्फ 97.2 मिमी पानी बरसा, जिससे जिले के किसानों के चेहरे मुरझा गए हैं.

पिछले 16 हफ्तों के मॉनसून सीजन में देवरिया में एक भी हफ्ता ऐसा नहीं रहा जब बारिश सामान्य स्तर पर हुई हो. कई बार कमी 90 से 100 प्रतिशत तक पहुंची, तो कभी 80 से 90 प्रतिशत तक. कृषि वैज्ञानिक भी मान रहे हैं कि इतनी कम बारिश ऐतिहासिक है और इसे जलवायु परिवर्तन का बड़ा असर बताया जा रहा है. किसानों और विपक्ष ने सूखा घोषित करने की मांग उठाई है, लेकिन प्रशासन अब तक ठोस कदम उठाने से बचता नजर आ रहा है.

देवरिया में भयंकर सूखा

देवरिया कृषि विज्ञान केंद्र की मानें तो पिछले चार वर्षों से यहां लगातार कम बारिश दर्ज हो रही है, जो जलवायु परिवर्तन की तरफ इशारा करता है. 2023 और 2024 में भी क्रमशः 46 और 43 प्रतिशत कम बारिश हुई थी.

पूर्वांचल में बारिश की कमी

आईएमडी की रिपोर्ट बताती है कि पूर्वी उत्तर प्रदेश के 42 जिलों में औसतन 16 प्रतिशत कम बारिश हुई. लेकिन देवरिया और कुशीनगर बड़े डेफिसिट वाले जिलों में शामिल हैं. कुशीनगर में 64 प्रतिशत कम बारिश हुई है, जबकि देवरिया ने रिकॉर्ड तोड़ 87 प्रतिशत की कमी दर्ज की.

पश्चिम यूपी से अलग तस्वीर

जहां पूर्वांचल बारिश की कमी से जूझ रहा है, वहीं पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 12 प्रतिशत ज्यादा बारिश हुई है. यहां केवल पीलीभीत जैसे कुछ जिले ही कमी की श्रेणी में आए हैं. इससे साफ है कि मॉनसून का पैटर्न अब क्षेत्रीय असंतुलन दिखा रहा है.

किसानों की मुश्किलें

कुशीनगर में धान की खेती पर सीधा असर पड़ रहा है. सिंचाई व्यवस्था होने के बावजूद उत्पादन में 40-60 प्रतिशत तक गिरावट आ रही है. चार-पांच साल से मॉनसून पूर्वांचल को बाईपास कर रहा है.

आईएमडी की पुष्टि

आईएमडी के आंकड़े बताते हैं कि पूर्वांचल के जिलों जैसे आजमगढ़, गोरखपुर, मऊ, जौनपुर और सिद्धार्थनगर में भी 20 से 53 प्रतिशत तक कम बारिश हुई है. यह ट्रेंड लगातार पिछले कुछ वर्षों से कायम है.

जलवायु परिवर्तन की छाया

विशेषज्ञ मानते हैं कि इस तरह की स्थिति सिर्फ बारिश की अनियमितता नहीं, बल्कि जलवायु परिवर्तन का संकेत है. बिहार के पड़ोसी जिलों में भी यही हाल है, जो बताता है कि पूरे गंगा बेसिन में मौसम का पैटर्न बदल रहा है.