नई दिल्ली: राजस्थान में महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराध और आए दिन सामने आ रहे साइबर क्राइम के मामलों को लेकर हाई कोर्ट ने राज्य सरकार, बैंकों, गिग वर्कर प्लेटफार्म और अन्य संस्थाओं को कई बड़े और कड़े निर्देश जारी किए हैं. कोर्ट ने साइबर क्राइम को गंभीर समस्या बताते हुए कहा कि राज्य में इसे रोकने के लिए मजबूत सिस्टम की तत्काल जरूरत है.
जस्टिस रवि चिरानिया ने आदेश दिया कि राज्य सरकार केंद्र के I4C मॉडल पर राजस्थान साइबर क्राइम कंट्रोल सेंटर बनाए. कोर्ट ने कहा कि भले ही राज्य में साइबर क्राइम के लिए DGP ऑफिस बनाया गया है, लेकिन अपराध रोकने और जांचने की ठोस व्यवस्था नहीं है.
कोर्ट ने कहा कि किसी व्यक्ति को तीन से ज्यादा SIM कार्ड न दिए जाएं. चौथा SIM कार्ड सिर्फ कड़ाई से वेरिफिकेशन के बाद जारी हो. साथ ही, सभी बैंकों को निर्देश दिए गए कि सभी डेड या इनएक्टिव अकाउंट्स का दोबारा KYC हो. संदेहास्पद अकाउंट्स पर इंटरनेट बैंकिंग बंद की जाए. जिन खातों में 3 साल में 50,000 रुपये से कम लेनदेन हो, उन पर निगरानी रखी जाए. कोर्ट ने यह भी कहा कि राज्य में बिकने वाले नए और सेकंड-हैंड डिजिटल डिवाइस की सेल-खरीद को भी रेगुलेट किया जाए.
कोर्ट ने सरकार से कहा कि राइड-बुकिंग कंपनियां कम से कम 15% महिला ड्राइवर रखें, जिसे 2-3 साल में बढ़ाकर 25% किया जाए. ऐप सॉफ्टवेयर में महिला यात्रियों को पहले महिला ड्राइवर चुनने का विकल्प मिले. यह निर्देश महिलाओं की सुरक्षित यात्रा सुनिश्चित करने की दिशा में अहम माना जा रहा है.
क्लास 9 तक या 16 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए स्कूलों में मोबाइल फोन के इस्तेमाल पर सरकार को जल्दी ही एक स्पेशल SOP/सर्कुलर जारी करने के लिए कहा गया है.
कोर्ट ने रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि 2019 में 26,049 साइबर शिकायतें दर्ज हुई थीं. 2023 में यह बढ़कर 20 लाख से ज्यादा हो गईं. लेकिन FIR में बदलने वाले मामलों का प्रतिशत अभी भी बहुत कम है.