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India Daily

जयपुर में चौराहे पर चल रहा था ‘स्कैनर सिंडिकेट’, कांस्टेबल और होमगार्ड की अवैध वसूली ऐसे हुई उजागर

जयपुर में ट्रैफिक कांस्टेबल और होमगार्ड के जवान द्वारा पंचर की दुकान पर रखे स्कैनर से अवैध वसूली का मामला उजागर हुआ. शिकायत के बाद तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया और पूरे नेटवर्क की जांच जारी है.

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Edited By: Kuldeep Sharma
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Courtesy: social media

राजस्थान की राजधानी जयपुर में ट्रैफिक व्यवस्था के नाम पर चल रहा एक अनोखा रिश्वत तंत्र पकड़ में आया है. ट्रैफिक कांस्टेबल और होमगार्ड के जवान ने लंबे समय से चालान के भय दिखाकर वाहन चालकों से पैसे ऐंठने की व्यवस्था बना रखी थी.

अवैध वसूली के लिए उन्होंने पंचर की दुकान पर क्यूआर स्कैनर तक लगवा दिया था. एक मामूली विवाद के बाद पूरी सच्चाई सामने आई, जिसके बाद पुलिस ने तीन लोगों को हिरासत में लेकर मामला दर्ज कर लिया.

स्कैनर के जरिए वसूली का खुलासा

जयपुर के त्रिवेणी चौराहे पर तैनात ट्रैफिक कांस्टेबल भवानी सिंह और होमगार्ड जवान वकार वाहन चालकों से अवैध वसूली में लगे हुए थे. नियम तोड़ने वालों को भारी चालान का डर दिखाकर वे सीधे 300-400 रुपये लेने के लिए पंचर की दुकान पर भेज देते थे. वहां लगे स्कैनर से भुगतान कराए जाते थे, जिसकी राशि सीधे कांस्टेबल के खाते में जाती थी.

पंचर की दुकान बना ‘वसूली काउंटर’

पुलिसकर्मियों ने अपने फायदे के लिए पंचर की दुकान का इस्तेमाल किया. दुकान पर लगे स्कैनर को वैध भुगतान का बहाना बनाकर रिश्वत का माध्यम बना दिया गया था. वाहन चालक चालान से बचने के लिए कम राशि देकर निकल जाते थे. यह सिस्टम लंबे समय से बिना किसी रोक-टोक के चल रहा था.

विवाद के बाद खुल गई गड़बड़ी

पूरा मामला तब खुला जब दुकान मालिक मोहम्मद मुस्ताक और होमगार्ड वकार के बीच लेनदेन को लेकर झगड़ा हो गया. विवाद बढ़कर पुलिस तक पहुंचा. पूछताछ में मुस्ताक ने अवैध वसूली की पूरी कहानी बता दी. इसके बाद पुलिस अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर कार्रवाई शुरू की.

तीनों आरोपित गिरफ्तार

बजाज नगर थाना पुलिस ने कांस्टेबल भवानी सिंह, होमगार्ड वकार और दुकानदार मोहम्मद मुस्ताक को गिरफ्तार कर लिया. प्राथमिक जांच में सामने आया कि दुकान पर लगाया गया स्कैनर कांस्टेबल के बैंक खाते से जुड़ा था, जिससे सारी रकम सीधे उसके खाते में पहुंचती थी. मामले में आगे की जांच जारी है.

चालान का डर दिखाकर होता था शोषण

जांच में सामने आया कि वाहन चालकों को एक हजार से दो हजार रुपये के चालान की धमकी दी जाती थी. चालान से बचने के लिए लोग 300-400 रुपये देने को तैयार हो जाते थे. दोनों पुलिसकर्मी इस मनोविज्ञान का फायदा उठाकर रोजाना अच्छी-खासी वसूली कर लेते थे.