Vatsala Elephant: मध्य प्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व से एक भावुक करने वाली खबर सामने आई है. एशिया की सबसे बुजुर्ग हथिनी मानी जाने वाली 'वत्सला' का मंगलवार को 100 साल से अधिक उम्र में निधन हो गया. वन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों ने पूरे सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया.
वत्सला को पहले केरल से नरमदापुरम लाया गया था और बाद में पन्ना टाइगर रिजर्व में स्थानांतरित किया गया. वहां वे वर्षों तक पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बनी रहीं. अपनी उम्र और अनुभव के चलते वत्सला हाथियों के दल की अगुआ रही थीं. जब भी अन्य हथिनियों ने बच्चों को जन्म दिया, वत्सला ने दादी की भूमिका निभाते हुए उनकी देखभाल की. उनके शांत और स्नेही स्वभाव ने उन्हें सभी हाथियों और वनकर्मियों का प्रिय बना दिया था.
'वत्सला' का सौ वर्षों का साथ आज विराम पर पहुंचा। पन्ना टाइगर रिज़र्व में आज दोपहर 'वत्सला' ने अंतिम सांस ली।
— Dr Mohan Yadav (@DrMohanYadav51) July 8, 2025
वह मात्र हथिनी नहीं थी, हमारे जंगलों की मूक संरक्षक, पीढ़ियों की सखी और मप्र की संवेदनाओं की प्रतीक थीं।
टाइगर रिज़र्व की यह प्रिय सदस्य अपनी आंखों में अनुभवों का सागर… pic.twitter.com/u8a6ZBAKEj
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'X' पर लिखा,
- वत्सला की शताब्दी लंबी संगति आज विराम ले गई. आज दोपहर पन्ना टाइगर रिजर्व में 'वत्सला' ने अंतिम सांस ली.
- वह केवल एक हथिनी नहीं थीं, बल्कि हमारे जंगलों की मौन प्रहरी, पीढ़ियों की सखी और मध्य प्रदेश की भावनाओं की प्रतीक थीं.
- उन्होंने कैम्प हाथियों के दल का नेतृत्व किया और एक दादी के रूप में बच्चों की स्नेहपूर्वक देखभाल की.
- भले ही वह आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी यादें हमारी माटी और हृदय में सदा जीवित रहेंगी. 'वत्सला' को विनम्र श्रद्धांजलि!
उम्रदराज होने के चलते वत्सला की आंखों की रोशनी जा चुकी थी और वे ज्यादा दूर चलने में भी असमर्थ हो गई थीं. वे पन्ना के हीनौता हाथी शिविर में रहती थीं और हर दिन खैरैयां नाले पर स्नान के लिए ले जाई जाती थीं. वहीं उन्हें खिचड़ी खिलाई जाती थी.
कुछ दिनों से उनके आगे के पैरों के नाखूनों में चोट थी, जिसके चलते वे खैरैयां नाले के पास बैठ गई थीं. वन विभाग के कर्मचारियों ने उन्हें उठाने की काफी कोशिश की, लेकिन मंगलवार दोपहर उनका निधन हो गया.