रांची: झारखंड के मंत्री इरफान अंसारी का एक विवादित बयान सामने आया है जिसने राजनीतिक माहौल गर्म कर दिया है. उन्होंने बूथ लेवल ऑफिसर यानी बीएलओ को लेकर कहा कि अगर कोई बीएलओ वोटर लिस्ट से नाम काटे तो उसे घर में बंद कर ताला मार दें. उन्होंने कहा कि इसके बाद वह खुद आकर ताला खोलेंगे. उनके इस बयान का एक वीडियो भी सामने आया है जिस पर विपक्ष ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है और इसे लोकतांत्रिक प्रक्रिया के खिलाफ बताया है.
इरफान अंसारी एक कार्यक्रम में लोगों को संबोधित कर रहे थे जहां उन्होंने बीएलओ को लेकर यह चेतावनी दी. उन्होंने दावा किया कि यह सब केंद्र की साजिश है और केंद्र सरकार वोट बैंक को कमजोर करने की कोशिश कर रही है. उन्होंने कहा कि जैसे पश्चिम बंगाल में एसआईआर प्रक्रिया लागू है वैसे ही केंद्र झारखंड में भी इसे लागू करवाना चाहता है लेकिन वह इसे होने नहीं देंगे. इरफान अंसारी के इस बयान से राजनीतिक विवाद और गहरा गया है.
भाजपा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने झारखंड के मंत्री इरफान अंसारी के बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि इरफान अंसारी खुलेआम कह रहे हैं कि अगर चुनाव आयोग द्वारा नियुक्त कोई बूथ लेवल अधिकारी सिर्फ जानकारी लेने आपके घर आए तो उसे बंधक बना लें. उन्होंने इंडी गठबंधन से सवाल किया कि क्या यह लोकतंत्र को बंधक बनाने की कोशिश नहीं है.
#WATCH | Delhi | BJP MP Sudhanshu Trivedi says, "Irfan Ansari, a Jharkhand minister, publicly says that if a booth-level officer, appointed by the Election Commission, comes to you simply to seek information, take him hostage. I want to ask the INDI alliance members: Is this not… pic.twitter.com/0JRSzmXYe8
— ANI (@ANI) November 24, 2025Also Read
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उधर पश्चिम बंगाल में एसआईआर प्रक्रिया को लेकर बीएलओ ने मांग है कि चुनाव आयोग तुरंत हस्तक्षेप करे और सुधार के कदम उठाए. बीएलओ अधिकारी संगठन ने कहा है कि एसआईआर प्रक्रिया के तहत घर घर जाकर गिनती का काम 4 नवंबर से शुरू हुआ है और 4 दिसंबर तक चलेगा. ड्राफ्ट रोल 9 दिसंबर को प्रकाशित होंगे. उनका कहना है कि यह काम दो साल का होता है लेकिन उन्हें एक महीने में पूरा करने को कहा गया है जिससे उनके ऊपर दबाव बहुत बढ़ गया है.
संगठन का कहना है कि सिस्टम की कई कमियां हैं जिनके कारण बीएलओ को परेशानी उठानी पड़ रही है. झारखंड में मंत्री का बयान और बंगाल में बीएलओ का विरोध दोनों मिलकर चुनावी प्रक्रिया को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर रहे हैं.