Nuh Violence: हरियाणा के नूंह जिले में मंगलवार शाम मामूली कहासुनी ने हिंसा का रूप ले लिया. राजस्थान बॉर्डर से सटे गांव मुंडाका में गाड़ी खड़ी करने को लेकर शुरू हुआ विवाद देखते ही देखते पथराव और आगजनी में बदल गया. दोनों पक्षों के बीच जमकर कांच की बोतलें फेंकी गईं और एक बाइक व झुग्गी नुमा दुकान को आग के हवाले कर दिया गया. इस झड़प में लगभग 10 लोग घायल हो गए हैं. हालांकि, अगले ही दिन हालात सामान्य हो गए और पुलिस की तैनाती के बीच गांव में शांति बनी हुई है.
सूचना मिलते ही फिरोजपुर झिरका थाना पुलिस मौके पर पहुंची, लेकिन बढ़ते तनाव को देखते हुए अतिरिक्त पुलिस बल और डीएसपी रैंक के अधिकारी बुलाए गए. गांव के सरपंच के अनुसार, भीड़ ने इस विवाद को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने समय रहते हालात काबू में कर लिए. पुलिस ने अपील की है कि लोग शांति बनाए रखें और अफवाहों से दूर रहें. लेकिन ये कोई पहला मामला नहीं है. इससे पहले ही कई बार सांप्रदायिक हिंसा ने नूंह को दहलाया है.
सांप्रदायिक हिंसा वह स्थिति है, जब अलग-अलग धर्म, जाति या संप्रदाय के लोगों के बीच आपसी विवाद या तनाव हिंसक रूप ले लेता है. इसमें एक समुदाय के लोग दूसरे समुदाय के लोगों पर हमला करते हैं, उनकी संपत्ति को नुकसान पहुंचाते हैं, धार्मिक स्थलों को निशाना बनाते हैं या उनके खिलाफ हिंसक गतिविधियां करते हैं. ऐसे मामले अक्सर अफवाह, भड़काऊ भाषण, धार्मिक आयोजनों के दौरान हुई कहासुनी, ऐतिहासिक विवाद या राजनीतिक उद्देश्यों से भड़काए जाते हैं.
नूंह जैसे इलाकों में समय-समय पर इस तरह की घटनाएं सामने आई हैं, जहां मामूली विवाद ने बड़े सांप्रदायिक टकराव का रूप ले लिया. इसका असर न केवल स्थानीय लोगों की सुरक्षा पर पड़ता है, बल्कि समाज की शांति और भाईचारे पर भी गहरा घाव छोड़ जाता है.
भारतीय न्याय संहिता में सांप्रदायिक हिंसा से जुड़े अपराधों के लिए कई धाराओं के तहत सजा का प्रावधान है.
इसके अलावा, राज्य सरकारें दंगों के दौरान राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA), अपराधी नियंत्रण अधिनियम या कर्फ्यू जैसे सख्त कदम भी लागू कर सकती हैं.