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'हममें में से कोई भी हाथ पर हाथ धरे नहीं बैठ सकता...', दिल्ली में 'जानलेवा' वायु प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट सख्त

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर की वायु गुणवत्ता पर नियमित सुनवाई की घोषणा की है. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि प्रदूषण का समाधान खोजने से कोई भी संस्था पीछे नहीं हट सकती. अदालत ने एक्शन प्लान की प्रभावशीलता पर भी गंभीर सवाल उठाए हैं.

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Edited By: Kuldeep Sharma
Supreme Court on pollution india daily
Courtesy: social media

नई दिल्ली: दिल्ली-एनसीआर की बदतर हवा पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि प्रदूषण को मौसमी समस्या मानना बड़ी भूल है. मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने साफ किया कि समाधान विशेषज्ञों से ही मिलेंगे, लेकिन सभी जिम्मेदार एजेंसियों को सक्रिय भूमिका निभानी होगी. 

अदालत ने पूछा कि अब तक लागू उपायों ने कितना असर दिखाया है और क्या पहले से बने एक्शन प्लान को दोबारा जांचने की जरूरत है. अदालत ने चेताया समस्या का हल खोजे बिना कोई भी खाली नहीं बैठ सकता.

नियमित निगरानी पर सुप्रीम कोर्ट का जोर

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वायु प्रदूषण को हर साल केवल अक्टूबर-नवंबर की समस्या समझना गलत है. अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि वह इस मामले की नियमित सुनवाई करेगी, ताकि समाधान की दिशा में लगातार प्रगति की समीक्षा हो सके. मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि पर्यावरण संबंधी मुद्दों पर अदालत सभी पक्षों को एक साझा मंच देगी.

एक्शन प्लान की प्रभावशीलता पर सवाल

अदालत ने केंद्र से पूछा कि वायु गुणवत्ता सुधारने के लिए चल रहे कदम क्या वास्तव में असर दिखा रहे हैं. कोर्ट ने CAQM से जवाब तलब किया कि उसके द्वारा तैयार एक्शन प्लान ने हवा को साफ करने में कितना योगदान दिया. न्यायालय ने कहा कि यदि योजनाएं असरदार नहीं हैं, तो उन्हें नया रूप देने की जरूरत है.

अप्रभावी कदमों की समीक्षा की आवश्यकता

मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि यदि यह पाया जाए कि कुछ उपाय सफल रहे हैं, तो उन्हें व्यापक किया जाए, जबकि गैर-प्रभावी कदम तुरंत हटाए जाएं. अदालत ने यह भी कहा कि अधिकारियों को खुद यह जांचना चाहिए कि उनके प्लान ने अपेक्षित नतीजे क्यों नहीं दिए.

COVID-19 काल का किया जिक्र

सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि जब COVID-19 के दौरान भी पराली जल रही थी, तब आसमान इतना साफ क्यों था. अदालत ने कहा कि महामारी के समय कई गतिविधियां बंद थीं, इसलिए यह समझना जरूरी है कि प्रदूषण के मूल कारण आखिर कौन से हैं.

पराली पर एकतरफा दोष मढ़ने से अदालत ने रोका

मुख्य न्यायाधीश ने आगाह किया कि पराली को एकमात्र दोषी ठहराना गलत है. अदालत ने कहा कि प्रदूषण में कई कारक शामिल हैं- जैसे वाहन उत्सर्जन, निर्माण धूल और औद्योगिक उत्सर्जन. अदालत ने पूछा कि इनमें सबसे बड़ा योगदानकर्ता कौन है, यह स्पष्ट किया जाना चाहिए.