दिल्ली की जहरीली हवा में दो दिनों की तेज हवाओं ने थोड़ी राहत जरूर दी है, लेकिन हालात अभी भी चिंताजनक हैं. सीपीसीबी के मुताबिक रविवार को दिल्ली का औसत AQI 279 दर्ज किया गया. यह खराब श्रेणी में आता है, लेकिन पांच नवंबर के बाद यह पहला मौका है जब दिल्ली की हवा 300 के नीचे पहुंची है. शनिवार का AQI 305 रहा था, जो अति खराब श्रेणी में था. हालांकि यह सुधार अस्थायी माना जा रहा है क्योंकि हवा में मौजूद प्रदूषक अब भी मानकों से कहीं अधिक हैं.
सीपीसीबी के मुताबिक शाम तीन बजे दिल्ली एनसीआर की हवा में पीएम 10 का स्तर 223 और पीएम 2.5 का स्तर 118 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर पाया गया. स्वास्थ्यकारी हवा मानकों के अनुसार पीएम 10 का स्तर 100 और पीएम 2.5 का स्तर 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से कम होना चाहिए. स्पष्ट है कि दिल्ली की हवा अब भी दोगुना प्रदूषित है.
इस बार नवंबर दिल्ली के लिए सबसे प्रदूषित महीनों में से एक रहा. सीपीसीबी के आंकड़ों के अनुसार तीस में से 24 दिन वायु गुणवत्ता अति खराब श्रेणी में रही. तीन दिन AQI गंभीर श्रेणी में पहुंच गया जो 400 से ऊपर का स्तर होता है. पूरे महीने एक भी दिन AQI 200 से नीचे नहीं आया. सुबह और रात में प्रदूषण का स्तर और भी खतरनाक रहा, क्योंकि ठंडी हवाओं में कण नीचे ही फंस जाते हैं और विसर्जन धीमा होता है. नवंबर दिसंबर और जनवरी दिल्ली के सबसे प्रदूषित महीने माने जाते हैं और इस बार भी हालात कुछ अलग नहीं हैं.
वायु गुणवत्ता पूर्व चेतावनी प्रणाली के अनुसार दिल्ली को आने वाले दिनों में साफ हवा मिलना मुश्किल है. अगले तीन चार दिनों में हवा की गति दस किलोमीटर प्रति घंटे से कम रह सकती है. हवा की रफ्तार कम होने का मतलब है प्रदूषक तेजी से ऊपर नहीं उठते और हवा में ही स्थिर होकर जमा होते रहते हैं.
यही वजह है कि AQI फिर से अति खराब श्रेणी में जाने का अनुमान है. प्रदूषण फैलाने वाले कारकों जैसे पराली, वाहन धुआं, निर्माण कार्य और धूल से यह स्थिति और बिगड़ सकती है.
जब तक मौसम साफ नहीं होता तब तक दिल्लीवासियों को खुद को सुरक्षित रखना ही सबसे जरूरी कदम है.