SSC MisManagement: एसएससी परीक्षाओं को लेकर छात्रों में जबरदस्त नाराजगी है. सोशल मीडिया पर SSC MisManagement ट्रेंड कर रहा है और दिल्ली के जंतर-मंतर से लेकर सोशल प्लेटफॉर्म तक विरोध की आवाज़ बुलंद हो गई है. पोस्ट फेज-13 परीक्षा के दौरान आई तकनीकी गड़बड़ियों और कुप्रबंधन ने छात्रों का सब्र तोड़ दिया है.
छात्रों के साथ-साथ कई नामी टीचर्स भी सड़क पर उतर आए हैं. उनका कहना है कि परीक्षा केंद्रों पर सिस्टम हैंग हो रहा है, माउस काम नहीं कर रहा और परीक्षा अचानक रद्द कर दी जा रही है. शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे छात्रों पर लाठीचार्ज की घटनाएं भी सामने आई हैं, जिससे आक्रोश और बढ़ गया है.
देशभर के हजारों छात्र इन दिनों कर्मचारी चयन आयोग (SSC) के खिलाफ सड़कों पर उतरकर विरोध कर रहे हैं. उनका आरोप है कि SSC परीक्षा प्रक्रिया में भारी कुप्रबंधन और अनियमितताएं देखने को मिल रही हैं. छात्रों के इस आंदोलन को शिक्षकों का भी समर्थन मिल रहा है. मशहूर शिक्षिका नीतू मैम भी अन्य शिक्षकों के साथ दिल्ली में गुरुवार को हुए इस प्रदर्शन में शामिल हुईं.जिन्हें पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. प्रदर्शन के दौरान छात्रों ने ‘दिल्ली चलो’ का नारा लगाते हुए परीक्षा प्रणाली में पारदर्शिता और जवाबदेही की मांग की.
परीक्षार्थियों ने आरोप लगाया है कि सर्वर क्रैश, सिस्टम हैंग और तकनीकी खामियों के कारण उन्हें परीक्षा बीच में छोड़नी पड़ी. कुछ छात्रों को तो 500-600 किलोमीटर दूर के सेंटर पर भेजा गया, जहां जाकर पता चला कि परीक्षा ही कैंसिल हो गई है. कुछ केंद्रों पर बेहद अमानवीय हालात बताए गए कहीं नीचे मवेशियों के कटे सिर पड़े थे तो कहीं कंप्यूटर काम नहीं कर रहे थे.
जब छात्रों ने इस बदइंतजामी के खिलाफ जंतर-मंतर पर शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया, तो उन पर लाठीचार्ज कर दिया गया. छात्रों का कहना है कि वे अपराधी नहीं हैं, सिर्फ एक बेहतर परीक्षा प्रणाली की मांग कर रहे हैं. कई जगहों पर बाउंसरों की तैनाती से छात्रों में डर का माहौल बन गया है.
छात्रों का कहना है कि परीक्षा आयोजन की जिम्मेदारी एक नई एजेंसी को दी गई है, जो पहले भी फेल हो चुकी है. इस एजेंसी का रिकॉर्ड खराब रहा है, बावजूद इसके इसे दोबारा मौका दिया गया. छात्रों और शिक्षकों की मांग है कि इस एजेंसी का कॉन्ट्रैक्ट तुरंत रद्द किया जाए और परीक्षा प्रणाली में पारदर्शिता लाई जाए.
13 अगस्त से शुरू होने जा रही CGL परीक्षा में करीब 30 लाख उम्मीदवार बैठेंगे. ऐसे में छात्रों की चिंता वाजिब है कि जब 3 लाख परीक्षार्थियों की परीक्षा ही नहीं संभली, तो 30 लाख की जिम्मेदारी यह सिस्टम कैसे निभाएगा? SSC को अब जवाबदेह बनना होगा, नहीं तो छात्रों का भविष्य दांव पर पड़ सकता है.