दिल्ली-एनसीआर में ट्रैफिक की विकराल समस्या को देखते हुए केंद्र और दिल्ली सरकार ने मिलकर एक बड़ी योजना को हरी झंडी दी है. करीब 24,000 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले इन 9 प्रोजेक्ट्स का मकसद राजधानी की यातायात व्यवस्था को 2027 तक पूरी तरह बदल देना है. यह पहल सिर्फ अस्थायी समाधान नहीं, बल्कि दिल्ली की आवाजाही का ढांचा दोबारा गढ़ने की दिशा में बड़ा कदम मानी जा रही है.
इस योजना में सबसे बड़ा बदलाव मेट्रो नेटवर्क में होने जा रहा है. मजलिस पार्क से मौजपुर तक 12.3 किमी की पिंक लाइन एक्सटेंशन को मंजूरी दी गई है, जिससे दिल्ली में मेट्रो रिंग रोड पूरी हो जाएगी. इससे यात्री बिना लाइन बदले राजधानी में आसानी से यात्रा कर सकेंगे. वहीं, एम्स से महिपालपुर बायपास तक एक नया एलिवेटेड कॉरिडोर बनाया जाएगा, जो एयरपोर्ट की ओर जाने वाली भीड़ को कम करेगा.
शिव मूर्ति से वसंत कुंज तक 5 किमी लंबी सुरंग बनाई जाएगी, जिससे एनएच-48 को महिपालपुर और वसंत कुंज से जोड़ा जाएगा. इस क्षेत्र में जाम की गंभीर समस्या को देखते हुए यह सुरंग काफी कारगर मानी जा रही है. आउटर दिल्ली जैसे रोहिणी, नरेला और बवाना को जोड़ने के लिए नई सड़कें, फ्लाईओवर और अंडरपास की योजना भी शामिल है. गुरुग्राम-जयपुर हाईवे और UER-II पर भी भारी वाहनों के लिए मार्ग सुगम बनाए जाएंगे.
दिल्ली-नोएडा कॉरिडोर पर दबाव घटाने के लिए डीएनडी फ्लाईवे के पास अतिरिक्त अंडरपास और सर्विस रोड बनाए जाएंगे. नई दिल्ली रेलवे स्टेशन का पुनर्विकास भी इस योजना का हिस्सा है, जिसमें स्टेशन के बाहर यातायात को सुव्यवस्थित किया जाएगा. वहीं, दिल्ली-कटरा एक्सप्रेसवे और आईजीआई एयरपोर्ट की कनेक्टिविटी को बेहतर करने के लिए नई सुरंगें और फ्लाईओवर बनेंगे. इन प्रोजेक्ट्स का काम चरणबद्ध तरीके से 2024 से शुरू होगा और 2027 तक पूरा करने का लक्ष्य है.