गाजा में बीते दो दिनों के दौरान हुए इजराइली हवाई हमलों और गोलीबारी में कम से कम 53 फिलिस्तीनियों की मौत हो गई. स्थानीय स्वास्थ्य विभाग और एम्बुलेंस सेवा के मुताबिक, अधिकांश मौतें उन लोगों की हुईं जो भोजन और मानवीय सहायता की तलाश में थे. वहीं, भुखमरी के कारण भी लोगों की जान जा रही है. मृतकों में महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग भी शामिल हैं.
पिछले 48 घंटों के भीतर ज़िकिम क्रॉसिंग के पास दो बार इजराइली सेना की तरफ से घातक गोलीबारी की गई. पहली घटना में सहायता ट्रकों का इंतजार कर रही भीड़ पर फायरिंग हुई, जिसमें दर्जनों लोग मारे गए. शिफा अस्पताल के कर्मचारियों ने पुष्टि की कि मृतकों की संख्या लगातार बढ़ रही है.
इजराइली सेना ने दावा किया कि उसने भीड़ को चेतावनी देने के लिए फायरिंग की और किसी के हताहत होने की जानकारी नहीं है. लेकिन प्रत्यक्षदर्शी शेरिफ अबू आयशा ने बताया कि लोग सहायता ट्रकों के आने की उम्मीद में दौड़े थे, लेकिन वहां इजराइली टैंक खड़े थे, जिन्होंने अचानक गोलीबारी शुरू कर दी. मृतकों में उनके चाचा भी शामिल थे.
शनिवार शाम को एक और घटना में, गाजा शहर के शिफा अस्पताल के निदेशक डॉ. मोहम्मद अबू सेल्मिया ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र के काफिले से खाना लेने की कोशिश कर रही भीड़ पर इजराइली सेना ने गोलियां चलाईं, जिसमें कम से कम 11 लोग मारे गए और 120 से ज्यादा घायल हुए. डॉ. सेल्मिया ने चेतावनी दी कि आने वाले घंटों में यह आंकड़ा और बढ़ सकता है. गाजा शहर की एक अपार्टमेंट बिल्डिंग में भी हमले की चपेट में आने से चार लोगों की मौत हो गई. वहीं, दक्षिण गाजा के खान यूनिस स्थित मुवासी के भीड़भाड़ वाले तंबू शिविर में इजराइली हमले में चार बच्चों समेत कम से कम आठ लोग मारे गए. नासेर अस्पताल ने इस हमले की पुष्टि की है.
खान यूनिस के मोराग गलियारे में भी ऐसा ही मंजर देखने को मिला, जहां सहायता प्राप्त करने की कोशिश कर रहे नौ लोगों को गोली मार दी गई. ज़िकिम में हुई फायरिंग से कुछ दिन पहले ही करीब 80 फिलिस्तीनी सहायता पाने के प्रयास में मारे गए थे, जिससे यह दौर युद्ध के सबसे घातक समयों में से एक बन गया है. यह संघर्ष अब 21वें महीने में प्रवेश कर चुका है, जिसमें फिलिस्तीनी नागरिकों को न केवल बमबारी, बल्कि भूख और चिकित्सा संकट का भी सामना करना पड़ रहा है.
इजराइल को अब बढ़ते अंतरराष्ट्रीय दबाव का सामना करना पड़ रहा है. 24 से अधिक पश्चिमी देशों और 100 से ज्यादा धर्मार्थ व मानवाधिकार संगठनों ने युद्ध समाप्त करने और सहायता पहुंचाने के मौजूदा इजराइली मॉडल की कड़ी आलोचना की है. संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय के अनुसार, मई से अब तक 1,000 से अधिक फिलिस्तीनी सहायता पाने की कोशिश में मारे जा चुके हैं.
मानवाधिकार संगठनों ने बताया कि उनके स्वयं के कर्मचारियों को भी भोजन हासिल करने में कठिनाई हो रही है. इस संकट ने गाजा में रहने वालों की जिंदगी को नरक बना दिया है. इस बीच, बेथलहम स्थित चर्च ऑफ़ द नेटिविटी के ग्रीक ऑर्थोडॉक्स पादरी फादर इस्सा थलजीह ने लोगों से अपील की कि वे गाजा के लिए खड़े हों. उन्होंने कहा, "चुप रहना अपराध है और उदासीनता, मानवता से विश्वासघात है.''