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India Daily

Monsoon 2025: मानसून की जोरदार शुरुआत, देशभर में 7% अधिक बारिश; फिर दिल्ली-NCR से क्यों खफा हैं इंद्रदेव 

पूरे देश में मानसून की शुरुआत जोरदार रही है, बारिश का स्तर सामान्य से 7 प्रतिशत अधिक रहा है. खास तौर पर उत्तर-पश्चिम भारत में पिछले सप्ताह बारिश में असाधारण वृद्धि देखी गई, जो इस समय के औसत से 102 प्रतिशत अधिक दर्ज की गई.

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Edited By: Reepu Kumari
Heatwave in delhi-ncr
Courtesy: Pinterest

Monsoon in Delhi-NCR: बारिश कब होगी? इस वक्त दिल्ली-एनसीआर में रह रहे लोगों का यही सवाल है. दिल्ली वाले इन दिनों आसमान की तरफ टकटकी लगाए बैठे हैं. घर, ऑफिस, घूमने की जगह या फिर स्कूल, लोग बारिश का इंतजार कर रहे हैं. उमस ने हाल बेहाल कर दिया है. हर दिन उम्मीद लगा रहे हैं आज शायद बारिश हो जाए, लेकिन नतीजा वही बादल आते हैं, गरजते हैं और बिना बरसे लौट जाते हैं. हालात देखकर एहसास होता है सच ही कहा है किसी ने मौसम और इंसान एक जैसे होते हैं कब बदल जाए ये कोई नहीं कह सकता है.

हैरानी की बात ये है कि दिल्ली के आसपास के इलाकों जैसे हरियाणा और पश्चिमी यूपी में जमकर बारिश हो रही है, लेकिन राजधानी खुद बूंदों को तरस रही है. भारत में मानसून की शुरुआत अच्छी रही है. बारिश सामान्य से 7 प्रतिशत अधिक रही है. जान लें कि उत्तर-पश्चिम भारत में 102 प्रतिशत ज्यादा बारिश हो रही है. भारी बारिश के बावजूद, दिल्ली में सूखा पड़ा हुआ है.

चेतावनी और अलर्ट का सिलसिला जारी?

मौसम विभाग हर रोज चेतावनी और अलर्ट जारी कर रहा है. बादल भी दिल्ली के ऊपर मंडराते नजर आते हैं, फिर भी बारिश का नामोनिशान नहीं. आखिर ऐसा क्यों हो रहा है? क्या दिल्ली की किस्मत में फिलहाल बरसात नहीं? चलिए समझते हैं कि इस बार मॉनसून दिल्ली से आंखमिचौली क्यों खेल रहा है.

दिल्ली में क्यों नहीं हो रही भरपूर बारिश?

दिल्ली की भौगोलिक स्थिति बारिश के लिए बहुत कुछ तय करती है. दिल्ली एक लैंडलॉक्ड क्षेत्र है यानी समुद्र से दूर. यही कारण है कि यहां नमी वाले बादलों को टिके रहना और बरसना मुश्किल हो जाता है.

इसके साथ ही इस समय दिल्ली के उत्तर-पश्चिम क्षेत्र में साइक्लोनिक सर्कुलेशन (चक्रवातीय हवा) सक्रिय है, जो एक खास तरह की क्वासी-जियोस्ट्रोफिक हवा बनाता है. यह हवा बारिश को दबा देती है और दिल्ली तक मॉनसूनी ताकत नहीं पहुंच पाती.

बादल तो हैं, बारिश क्यों नहीं?

दिल्ली में बादल जरूर छाए रहते हैं, लेकिन यहां की गर्म और शुष्क हवा कन्वेक्टिव एक्टिविटी यानी वो ऊष्मा जो बादलों को ऊपर उठाकर बारिश में बदलती है उसे बनने नहीं देती. इसी वजह से बारिश नहीं हो पाती.

बाकी इलाकों में हो रही बारिश

दिल्ली से सटे हरियाणा, पश्चिमी यूपी, और राजस्थान के कुछ हिस्सों में अच्छे स्तर की बारिश हो रही है. वहीं दिल्ली में स्थिति बिलकुल उलट बनी हुई है. इसका असर सीधे राजधानी की हवा और उमस पर दिख रहा है.

क्या है आगे का हाल?

मौसम विभाग का कहना है कि अगर साइक्लोनिक सिस्टम की दिशा बदली और कन्वेक्टिव एक्टिविटी बढ़ी, तो अगले कुछ दिनों में हल्की से मध्यम बारिश हो सकती है. लेकिन फिलहाल दिल्ली वालों को इंतजार और गर्मी—दोनों से जूझना पड़ेगा.

ऐसे बदल रहा मौसम का मिजाज

फिलहाल, पूर्व, पश्चिम और मध्य भारत में तीन मौसमी प्रणालियां मानसून की गतिविधियों को आगे बढ़ा रही हैं. बंगाल की खाड़ी के उत्तर-पश्चिमी भाग और ओडिशा तथा पश्चिम बंगाल के तटीय क्षेत्रों में गुरुवार सुबह एक कम दबाव का क्षेत्र विकसित हुआ. इस प्रणाली के पश्चिम-उत्तर-पश्चिम की ओर बढ़ने की उम्मीद है, जिसका असर उत्तरी ओडिशा, गंगीय पश्चिम बंगाल, झारखंड और छत्तीसगढ़ सहित क्षेत्रों पर पड़ेगा.

इन राज्यों में ही क्यों हो रहा भारी बारिश?

इसके अलावा, पूर्वोत्तर अरब सागर से बंगाल की खाड़ी तक फैली एक द्रोणिका और पूर्वोत्तर मध्य प्रदेश पर चक्रवाती परिसंचरण के कारण व्यापक वर्षा हो रही है. परिणामस्वरूप, भारत के कई हिस्सों में अगले दो हफ़्तों में भारी से बहुत भारी बारिश होने की आशंका है. कोंकण और गोवा, मध्य महाराष्ट्र और गुजरात में तेज बारिश होने की संभावना है. पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, जम्मू और कश्मीर और मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा, झारखंड और पश्चिम बंगाल सहित मध्य और पूर्वी भारत के कुछ हिस्सों में भी भारी बारिश होने की संभावना है.

10 जुलाई तक जमकर बरसेंगे बादल 

दक्षिणी राज्य भी इस मॉनसून की लहर की राह पर हैं. केरल और दक्षिणी आंतरिक कर्नाटक में 26 जून को 24 घंटों में 20 सेमी से ज्यादा बारिश होने की संभावना है. इस बीच, 29 जून तक कर्नाटक, तटीय आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और आस-पास के इलाकों में 40 से 60 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से तेज़ सतही हवाएँ चलेंगी.

आईएमडी का अनुमान है कि सक्रिय मानसून का यह दौर कम से कम 10 जुलाई तक जारी रहेगा. इस अवधि के दौरान, मध्य भारत में सामान्य से अधिक वर्षा होने की उम्मीद है, जबकि पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र सहित उत्तर-पश्चिम भारत में सामान्य से अधिक वर्षा होगी. पूर्वोत्तर को छोड़कर देश के अधिकांश हिस्सों में तापमान औसत से 2-4 डिग्री सेल्सियस कम रहने की संभावना है.