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India Daily

'केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही बीजेपी', सौरभ भारद्वाज और सत्येंद्र जैन पर हुई FIR को छुपाने का मामला, आप का भाजपा पर तीखा हमला

आप ने दिल्ली सरकार के पूर्व मंत्री सौरभ भारद्वाज और सत्येंद्र जैन के खिलाफ दर्ज एफआईआर को छिपाने के मुद्दे पर तीखा हमला बोला है. पार्टी ने सवाल उठाया है कि आखिर क्यों इस एफआईआर को सार्वजनिक नहीं किया जा रहा और इसके बजाय प्रेस नोट के जरिए मीडिया में भ्रामक जानकारी फैलाई जा रही है.

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Edited By: Garima Singh
 Saurabh Bhardwaj and Satyendra Jain
Courtesy: X

Aam Aadmi Party: आम आदमी पार्टी ने दिल्ली सरकार के पूर्व मंत्री सौरभ भारद्वाज और सत्येंद्र जैन के खिलाफ दर्ज एफआईआर को छिपाने के मुद्दे पर तीखा हमला बोला है. पार्टी ने सवाल उठाया है कि आखिर क्यों इस एफआईआर को सार्वजनिक नहीं किया जा रहा और इसके बजाय प्रेस नोट के जरिए मीडिया में भ्रामक जानकारी फैलाई जा रही है. "आप" ने आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग कर "आप" नेताओं को बदनाम करने की साजिश रच रही है.  

"आप" ने सवाल किया कि क्या एफआईआर में कोई ठोस आधार नहीं है या यह इतनी कमजोर है कि इसे सार्वजनिक करने पर भाजपा की किरकिरी हो सकती है. पार्टी ने सरकारी दस्तावेजों का हवाला देते हुए दावा किया कि अस्पताल परियोजनाएं 2017-18 में स्वीकृत हुई थीं और हॉस्पिटल इंफॉर्मेशन मैनेजमेंट सिस्टम (एचआईएमएस) की घोषणा 2016-17 में हुई थी. उस समय सौरभ भारद्वाज मंत्री नहीं थे, क्योंकि उन्होंने मार्च 2023 में ही स्वास्थ्य मंत्री का पद संभाला था.  

सौरभ भारद्वाज ने जारी किया बयान 

सौरभ भारद्वाज ने कहा, "24 जून 2025 को उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने एक प्रेस नोट जारी किया और गुरुवार को दिल्ली एसीबी प्रमुख मधुर वर्मा ने भी प्रेस नोट जारी किया. आपराधिक मामलों में सामान्य प्रथा है कि एफआईआर को मीडिया के साथ साझा किया जाता है. लेकिन उपराज्यपाल और एसीबी जानबूझकर एफआईआर को छिपा रहे हैं, क्योंकि इससे खुलासा हो जाएगा कि भाजपा सरकार किस तरह कानून का मजाक बना रही है."

बिना सबूत के निशाना बनाए जा रहे नेता

"आप" ने आरोप लगाया कि बिना किसी ठोस सबूत के सौरभ भारद्वाज और सत्येंद्र जैन को निशाना बनाया जा रहा है, जबकि परियोजनाओं को लागू करने वाले स्वास्थ्य और लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के अधिकारियों को छोड़ दिया गया है. सत्येंद्र जैन ने कहा, "उपराज्यपाल का 24 जून 2025 का प्रेस नोट कुछ परियोजनाओं का जिक्र करता है, जो 2018-19 और 2021 में स्वीकृत हुईं. दूसरी ओर, एसीबी प्रमुख का प्रेस नोट सिर्फ 2017-18 में स्वीकृत 24 परियोजनाओं की बात करता है. यह एक निर्विवाद तथ्य है कि सौरभ भारद्वाज मार्च 2023 में मंत्री बने थे."

जैन ने आगे कहा कि अभी तक कोई सबूत नहीं मिला जो यह साबित करे कि इन परियोजनाओं में भ्रष्टाचार हुआ था. उन्होंने सवाल उठाया, "फिर एक मंत्री को उन कार्यों के लिए कैसे जिम्मेदार ठहराया जा सकता है, जो उनके कार्यकाल से दो से पांच साल पहले हुए? क्या यह कोई मजाक किया जा रहा है?"

एचआईएमएस पर बेबुनियाद आरोप

सौरभ भारद्वाज ने एसीबी प्रमुख मधुर वर्मा द्वारा हॉस्पिटल इंफॉर्मेशन मैनेजमेंट सिस्टम (एचआईएमएस) को भ्रष्टाचार का उदाहरण बताने पर भी सवाल उठाए. उन्होंने कहा, "एचआईएमएस की घोषणा 2016-17 में हुई थी, जबकि मैं 2023 में मंत्री बना. पहली बात, उस घोषणा में भ्रष्टाचार का कोई सबूत नहीं है. दूसरी बात, यह समझ से परे है कि मुझे इन कथित अपराधों के लिए कैसे जिम्मेदार ठहराया जा सकता है?"

सौरभ भारद्वाज ने एक्स पर लिखा, "सभी जानते हैं कि मैं 2023 में मंत्री बना. 2018-19 में सैंक्शन हुए हॉस्पिटल प्रोजेक्ट के मामले में मुझे कैसे आरोपी बनाया? 2016-17 में एचआईएमएस की घोषणा से मैं कैसे आरोपी बना? 24 जून 2025 को दिए गए दिल्ली के एलजी के प्रेस नोट और आज दिए एसीबी चीफ के प्रेस नोट पर कुछ प्रश्न हैं. आशा है कि एलजी साहब जवाब देंगे."

"आप" की मांग पारदर्शिता और जवाबदेही

"आप" ने मांग की है कि एफआईआर को तुरंत सार्वजनिक किया जाए ताकि सच सामने आ सके. पार्टी ने कहा कि यह मामला न केवल दिल्ली सरकार के नेताओं को बदनाम करने की साजिश है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि कैसे केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग किया जा रहा है.