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India Daily

1.5 लाख में खरीद, 10 लाख में बिक रहे बेटे, तस्करी करने वाली महिलाएं निकली एग डोनर, ऐसे हुआ भंडाफोड़

दिल्ली में बच्चों की तस्करी का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां नवजात बेटों को राजस्थान और गुजरात जैसे गरीब राज्यों से लाकर अमीर परिवारों को 5 से 10 लाख रुपये में बेचा जा रहा था. यह गिरोह महिलाओं द्वारा चलाया जा रहा था, जिनमें से कई पहले एग डोनर रह चुकी हैं. पुलिस ने अब तक तीन बच्चों को बचाया है और चौथे की तलाश जारी है.

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Edited By: Kuldeep Sharma
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Courtesy: web

बच्चे भगवान का रूप माने जाते हैं, लेकिन जब उन्हें पैसों के बदले खरीदा और बेचा जाए तो यह मानवता के लिए सबसे बड़ा कलंक बन जाता है. दिल्ली में हाल ही में सामने आए एक गिरोह ने यह शर्मनाक सच उजागर किया है, जिसमें नवजात बेटों को प्रॉपर्टी की तरह बेचा जा रहा था. राजस्थान के आदिवासी गांवों से लाए गए ये मासूमों को अमीरों की मांग पर 10 लाख रुपये तक में बेच दिया गया.

राजस्थान के एक गांव से जब एक 4 दिन का बच्चा दिल्ली लाया गया तो उसके माता-पिता उसे एक अजनबी के हवाले कर चुके थे, जिसने उन्हें कुछ पैसे देने का वादा किया था. कुछ ही घंटों में बच्चा तस्करों की गोद में था और दिल्ली की ओर रवाना हो गया. जब पुलिस ने उसे बरामद किया, वह एक बाजार में खड़ी कार में था. यह बच्चा उन तीन बच्चों में से एक था जिन्हें पुलिस ने एक महीने की गहन जांच के बाद बचाया. गिरोह की सरगना पूजा सिंह, जो पहले एग डोनर रह चुकी है, ने आर्थिक तंगी से जूझ रही महिलाओं को साथ लेकर यह धंधा शुरू किया. दिल्ली पुलिस ने 2,000 पन्नों की चार्जशीट में 11 आरोपियों के नाम शामिल किए हैं, जिनमें छह महिलाएं हैं.

जन्म के दिन ही सौदा, एक साल में चार बेटे बेचे

पुलिस की जांच में सामने आया है कि गैंग खासतौर पर आदिवासी और गरीब इलाकों में गर्भवती महिलाओं को निशाना बनाता था. जैसे ही बच्चा पैदा होता, डील फाइनल कर ली जाती. नवजात बेटों की मांग सबसे ज्यादा थी, और उन्हें राजस्थान व गुजरात से लाकर दिल्ली में 5 से 10 लाख रुपये तक में बेचा जाता था. पुलिस ने बताया कि बच्चों को एक राज्य से दूसरे राज्य ले जाने के लिए 'कैरियर' तैयार किए जाते थे, जिन्हें प्रति बच्चा ₹1.5 लाख तक मिलते थे. दिल्ली के जिन अमीर परिवारों को बेटा चाहिए होता था, वे इस अवैध सौदे का हिस्सा बनते. एक कारोबारी ने स्वीकार किया कि उसने ₹8 लाख में बेटा खरीदा क्योंकि उसकी तीन बेटियां थीं और उसे जूता कारोबार के लिए बेटा चाहिए था.

फर्जी दस्तावेजों से गोद लेने का झांसा

गिरोह के सदस्य परिवारों को यह विश्वास दिलाते थे कि बच्चे को गोद लेने की प्रक्रिया पूरी तरह कानूनी है. विमला नामक महिला फर्जी शपथपत्र बनाकर देती थी. अब तक ज्योति, सरोज, अंजली, यास्मीन, रंजीत जैसे कई लोग गिरफ्तार हो चुके हैं. दिल्ली पुलिस की टीमों ने कॉल रिकॉर्ड, डिजिटल फॉरेंसिक और ग्राउंड इंटेलिजेंस के जरिए पूरे रैकेट को उजागर किया. सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले में स्वतः संज्ञान लेते हुए इसे “बड़ा ऑपरेशन” करार दिया और दिल्ली पुलिस को कार्रवाई तेज करने का आदेश दिया. फिलहाल चौथे बच्चे की तलाश जारी है, जिसे इंटरनेट कॉल के माध्यम से बेचा गया था, जिससे पुलिस को लोकेशन ट्रैक करने में मुश्किल हो रही है.