राजद सुप्रीमो लालू यादव को लैंड फॉर जॉब के मामले में करारा झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत की कार्यवाही पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है. लालू यादव ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर किया था. कोर्ट ने कहा कि अगर निचली अदालत उनके ख़िलाफ आरोप तय कर देती है, तो उनके ख़िलाफ जारी समन को चुनौती देने वाली दिल्ली हाईकोर्ट में उनकी याचिका "निष्फल" नहीं हो जाएगी.
18 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली की एक अदालत में चल रहे मुकदमे पर रोक लगाने से इनकार कर दिया, हालांकि उसे अपने समक्ष पेश होने से छूट दे दी. बुधवार को सुनवाई के दौरान लालू यादव ने अपनी नई याचिका में मुकदमे को 12 अगस्त तक स्थगित करने का अनुरोध किया, जब उच्च न्यायालय 2022 में उनके खिलाफ केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दर्ज मामले में उन्हें जारी समन को चुनौती देने वाली उनकी याचिका पर विचार करेगा.
साल 2004 से 2009 तक रेल मंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान नियुक्तियों के लिए यादव के परिवार के सदस्यों और सहयोगियों को कथित तौर पर भूमि उपहार में दी गई या हस्तांतरित की गई. यादव ने तर्क दिया कि सीबीआई की प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) विचारणीय नहीं है, क्योंकि यह भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत केंद्र सरकार की मंजूरी के बिना दायर की गई थी, जो सरकारी कर्मचारियों को आधिकारिक क्षमता में किए गए कार्यों के लिए अनावश्यक अभियोजन से बचाता है.
29 मई को उच्च न्यायालय ने यादव की याचिका पर सीबीआई को नोटिस जारी किया और मामले की सुनवाई 12 अगस्त के लिए निर्धारित की. उसने मुकदमे पर रोक लगाने से इनकार कर दिया. 18 जुलाई को सर्वोच्च न्यायालय ने इस इनकार को बरकरार रखा. इसके बाद यादव ने उच्च न्यायालय से अनुरोध किया कि उनकी याचिका पर सुनवाई पहले की जाए या मुकदमे को स्थगित कर दिया जाए, जो अभी आरोप तय होने के चरण में है.
न्यायमूर्ति एम.एम. सुंदरेश और न्यायमूर्ति एन.कोटिस्वर सिंह की पीठ ने बुधवार को जब यह मामला दूसरी बार उनके समक्ष आया तो हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया. लालू यादव की ओर से पेश हुए वकील मुदित गुप्ता ने अदालत से मामले को स्थगित करने का अनुरोध किया क्योंकि वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल व्यस्त थे. सीबीआई की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने यादव की याचिका को कानून का दुरुपयोग बताया. उन्होंने आरोप लगाया कि मुकदमे में बाधा डालने की कोशिश की जा रही है.