menu-icon
India Daily

दिल्ली-एनसीआर को जहरीली हवा से मिलेगी राहत, लगेंगे हाईटेक सेंसर, AI से होगी प्रदुषण की निगरानी

आने वाले वर्षों में दिल्ली-एनसीआर का वायु प्रदूषण नियंत्रण अब पारंपरिक तरीकों पर नहीं, बल्कि तकनीक और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर निर्भर करेगा. सरकार और वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि इस हाईटेक निगरानी प्रणाली के जरिये आने वाले कुछ वर्षों में राजधानी की हवा में सुधार जरूर दिखेगा.

auth-image
Edited By: Kanhaiya Kumar Jha
Delhi-NCR Pollution India daily
Courtesy: Gemini AI

नई दिल्ली: दिल्ली और एनसीआर को लगातार परेशान कर रही जहरीली हवा से राहत दिलाने के लिए अब एक नई और आधुनिक योजना पर काम शुरू हो गया है. अब तक प्रदूषण पर नियंत्रण के कई प्रयास किए गए, लेकिन वे पूरी तरह सफल नहीं हो सके. अब सरकार की नई योजना के तहत राजधानी को हाईटेक सेंसर सिस्टम से लैस किया जाएगा, जो वायु गुणवत्ता की सटीक निगरानी करेगा और आने वाले दिनों का पूर्वानुमान भी बताएगा.

मार्च 2026 तक हर वार्ड में लगेगा एक सेंसर

जानकारी के अनुसार, अगले साल मार्च से इस परियोजना की शुरुआत होगी, जिसके तहत केवल दिल्ली में ही 250 से अधिक सेंसर लगाए जाएंगे. योजना के मुताबिक, प्रत्येक वार्ड में कम से कम एक सेंसर लगाया जाएगा. इन सेंसरों से मिलने वाले आंकड़ों की निगरानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आधारित सिस्टम करेगा. यह सिस्टम न केवल हर क्षेत्र की वायु गुणवत्ता की वास्तविक जानकारी देगा, बल्कि यह भी अनुमान लगाएगा कि आने वाले दिनों में प्रदूषण का स्तर घटेगा या बढ़ेगा.

फिलहाल केवल 40 सेंसर कर रहे हैं निगरानी

वर्तमान में दिल्ली में वायु प्रदूषण की निगरानी के लिए केवल 40 सेंसर ही कार्यरत हैं. लेकिन बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए सेंसरों की संख्या कई गुना बढ़ाई जाएगी. यह पूरा प्रोजेक्ट केंद्र सरकार की मदद से आईआईटी कानपुर में स्थापित विशिष्ट एआई सेंटर द्वारा तैयार किया जा रहा है. इस सेंटर का उद्देश्य शहरी विकास से जुड़ी चुनौतियों से निपटना और पर्यावरणीय संकट को नियंत्रित करना है.

एआई सिस्टम बताएगा प्रदूषण के कारण

ऐरावत रिसर्च फाउंडेशन के नाम से शुरू किए गए इस एआई सेंटर के प्रोजेक्ट डायरेक्टर प्रोफेसर सच्चिदानंद त्रिपाठी ने बताया कि यह सिस्टम सेंसर से मिलने वाले डेटा के आधार पर सिर्फ आठ दिनों में यह बता सकेगा कि किस क्षेत्र में वायु प्रदूषण सबसे ज्यादा है और इसकी मुख्य वजह क्या है. इसके अलावा, यह सिस्टम भविष्य में प्रदूषण बढ़ने या घटने का पूर्वानुमान भी प्रदान करेगा.

प्रो. त्रिपाठी ने कहा कि वायु प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए पहले यह जानना जरूरी है कि कौन से इलाके या वार्ड सबसे ज्यादा प्रदूषण फैला रहे हैं. जब यह जानकारी मिल जाएगी, तभी ठोस कदम उठाकर समस्या का समाधान किया जा सकेगा. उन्होंने बताया कि यह कोई एक दिन में होने वाला बदलाव नहीं है, लेकिन यदि इस तकनीक को व्यवस्थित तरीके से लागू किया गया तो डेढ़ से दो साल में प्रदूषण के स्तर में स्पष्ट कमी देखी जा सकती है.

लखनऊ और गुरुग्राम में भी शुरू होगी निगरानी

प्रोफेसर त्रिपाठी ने बताया कि उन्होंने लखनऊ में सेंसर लगाने का काम पहले ही शुरू कर दिया है, जहां जनवरी से एआई के जरिए वायु गुणवत्ता की निगरानी शुरू की जाएगी. वहीं गुरुग्राम में जनवरी-फरवरी से आम लोगों की मदद से रीयल-टाइम मॉनिटरिंग की जाएगी.

इस प्रणाली के जरिए संबंधित एजेंसियों को तुरंत यह जानकारी मिल सकेगी कि किस इलाके में प्रदूषण बढ़ा है और उसका कारण क्या है. इससे प्रशासन को समय रहते कदम उठाने में मदद मिलेगी.