menu-icon
India Daily

सीमांचल मे मुस्लिम बहुल इलाकों में 100 लोगों पर 120 आधार कार्ड, बिहार में आधार सैचुरेशन के रहस्य से गरमाई राजनीति

बिहार के कुछ जिलों में आधार सैचुरेशन के आंकड़े एक नई बहस का कारण बने हैं। किशनगंज, कटिहार, अररिया और पूर्णिया जैसे मुस्लिम बहुल जिलों में आधार सैचुरेशन 120% से ज्यादा है। यह सवाल उठता है कि इन अतिरिक्त आधार कार्डों का क्या कारण है और किसके लिए जारी किए गए हैं?

auth-image
Edited By: Princy Sharma
Bihar Elections 2025
Courtesy: Pinterest

Bihar Elections 2025: हाल ही में बिहार के कुछ जिलों में आधार कार्ड सैचुरेशन के आंकड़े एक नई बहस का कारण बने हैं. जहां बिहार का औसत आधार सैचुरेशन 94% है, वहीं मुस्लिम बहुल जिलों में यह आंकड़ा चौंकाने वाला है. किशनगंज में जहां मुस्लिम आबादी 68% है, वहां आधार सैचुरेशन 126% दर्ज किया गया है. इसी तरह कटिहार (44%), अररिया (43%) और पूर्णिया (38%) में भी आधार सैचुरेशन 120% से ऊपर है. यह सवाल उठता है कि ये अतिरिक्त आधार कार्ड किसके लिए जारी किए गए हैं और क्यों?

बिहार के सीमांचल क्षेत्र में, जहां मुस्लिम आबादी 38% से 68% तक है, आधार सैचुरेशन 100% से अधिक होना कई सवाल खड़े करता है. सामान्यत: आधार कार्ड एक व्यक्ति-एक कार्ड नीति पर आधारित है, लेकिन जब आंकड़े यह बताते हैं कि जनसंख्या से अधिक आधार कार्ड हैं, तो इसका मतलब हो सकता है कि डुप्लिकेट कार्ड बनाए गए हैं या फिर गैर-नागरिकों को भी आधार कार्ड जारी किए गए हैं.

क्या है सीमांचल का कनेक्शन?

सीमांचल क्षेत्र पश्चिम बंगाल और नेपाल की सीमा से सटा हुआ है और यहां बांग्लादेश से अवैध रूप से घुसपैठ करने का मुद्दा भी लंबे समय से चर्चा में रहा है. कुछ सोशल मीडिया पोस्ट्स में दावा किया गया है कि इस क्षेत्र में आधार कार्ड की अधिकता का कारण बांग्लादेशी घुसपैठिए हो सकते हैं, जिन्हें फर्जी दस्तावेज के आधार पर आधार कार्ड दिए गए हैं. हालांकि, इस दावे के लिए अभी ठोस सबूत नहीं हैं, लेकिन यह आंकड़ा चिंता का विषय जरूर बन गया है.

विपक्ष का रुख

विपक्ष, खासकर राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और कांग्रेस ने आधार कार्ड को मतदाता सूची में शामिल करने की मांग की है, लेकिन नागरिकता का प्रमाण नहीं मानने का विरोध किया है. वहीं, बीजेपी और उनके समर्थक यह आरोप लगा रहे हैं कि सीमांचल में ज्यादा आधार सैचुरेशन चुनावी लाभ के लिए हो सकता है.

पश्चिम बंगाल का असर

पश्चिम बंगाल में भी इस मुद्दे को लेकर हंगामा है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आधार कार्ड डिएक्टिवेशन के मुद्दे पर केंद्र सरकार पर तीखा हमला किया था. उन्होंने आरोप लगाया कि यह कदम SC, ST और OBC समुदायों के खिलाफ साजिश हो सकता है. उनके आरोपों के मुताबिक, यह कदम अवैध आप्रवासियों को लाभ पहुंचाने के लिए उठाया जा सकता है.

चुनाव आयोग की भूमिका

चुनाव आयोग ने मतदाता सूची के पुनरीक्षण के लिए SIR (Special Intensive Revision) प्रक्रिया शुरू की है. इस प्रक्रिया के तहत आधार को नागरिकता का प्रमाण नहीं माना जा रहा. ऐसे में सीमांचल में आधार कार्ड के अतिरिक्त आंकड़े, गरीब और हाशिए पर रहने वाले समुदायों, खासकर मुस्लिम आबादी, के लिए समस्याएं उत्पन्न कर सकते हैं.