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IND vs ENG: क्या बारिश बिगाड़ेगी लॉर्ड्स का खेल? जानें तीसरा टेस्ट से पहले मौसम और पिच रिपोर्ट

टेस्ट मैच के पांचों दिनों में से किसी भी दिन बारिश का कोई पूर्वानुमान नहीं है. मौसम साफ़ और धूप वाला रहने, हल्की हवाएं चलने और तापमान 30 से 31 डिग्री सेल्सियस के बीच रहने की उम्मीद है. अगर ये भविष्यवाणियां सच साबित होती हैं, तो फैंस लॉर्ड्स में पूरे पांच दिनों तक मैच का आनंद ले सकते हैं.

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Edited By: Gyanendra Sharma
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Courtesy: Social Media

बर्मिंघम में यादगार जीत के बाद आत्मविश्वास से लबरेज टीम इंडिया पांच मैचों की सीरीज़ के तीसरे टेस्ट मैच लॉर्ड्स में खेलने को तैयार है. भारत इस टेस्ट में काफ़ी जोश के साथ उतर रहा है. दूसरे टेस्ट में ज़बरदस्त जीत के साथ उन्होंने न सिर्फ़ सीरीज़ बराबर की, बल्कि एजबेस्टन में अपनी पहली टेस्ट जीत भी दर्ज की. बल्लेबाज़ी ने कमाल दिखाया, गेंदबाज़ी धारदार रही, और टीम लय में दिखी. अब, लॉर्ड्स में अगला मैच होने के साथ वे इसी लय को आगे भी जारी रखना चाहेंगे.

लीड्स में पहला टेस्ट रनों से भरपूर रहा. दोनों टीमों ने बल्ले से शानदार प्रदर्शन किया. भारत के चार शतकवीर थे शुभमन गिल, ऋषभ पंत, यशस्वी जायसवाल और केएल राहुलसभी ने महत्वपूर्ण पारियां खेलीं. अब, जब मैच लॉर्ड्स में खेला जाएगा, तो मौसम को लेकर कुछ चर्चाएं हो रही हैं और स्वाभाविक भी, क्योंकि पिछले दोनों टेस्ट मैचों में कई बार बारिश हुई थी. लेकिन इस बार, मौसम का पूर्वानुमान आशाजनक लग रहा है.

मैच में पांचों दिन धूप खिली रहने की उम्मीद है, इसलिए उम्मीद है कि दर्शक बिना किसी रुकावट के पूरे मैच का आनंद ले पाएंगे. यह दोनों टीमों के लिए अच्छी खबर है, खासकर जसप्रीत बुमराह और जोफ्रा आर्चर जैसे तेज़ गेंदबाज़ों के लिए, जो मददगार परिस्थितियों में लंबे स्पैल खेलना चाहेंगे. कुल मिलाकर, लॉर्ड्स एक रोमांचक मुकाबला बनता जा रहा है.

लंदन का मौसम

बीबीसी और एक्यूवेदर दोनों के अनुसार, टेस्ट मैच के पांचों दिनों में से किसी भी दिन बारिश का कोई पूर्वानुमान नहीं है. मौसम साफ़ और धूप वाला रहने, हल्की हवाएं चलने और तापमान 30 से 31 डिग्री सेल्सियस के बीच रहने की उम्मीद है. अगर ये भविष्यवाणियां सच साबित होती हैं, तो फैंस लॉर्ड्स में पूरे पांच दिनों तक मैच का आनंद ले सकते हैं.

लॉर्ड्स की पिच रिपोर्ट

लॉर्ड्स की पिच पर हरी-भरी सतह है जिससे असमान उछाल मिल सकता है. यहां खेले गए पिछले टेस्ट मैच विश्व टेस्ट चैंपियनशिप फ़ाइनल में भी यही बात सामने आई थी. लगातार न होने वाली उछाल ने बल्लेबाज़ों और स्लिप क्षेत्ररक्षकों, दोनों को परेशान किया, और अक्सर किनारे से टकराकर गेंदें निकल गईं. फील्डर को पास खड़े होने के लिए मजबूर होना पड़ा.