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India Daily

कमेंटेटर पर बुरी तरह से भड़के रोहित शर्मा, बोले- 'लोग क्रिकेट के बारे में सुनना चाहते हैं आपकी मसाले वाली बातें नहीं...'

Rohit Sharma: रोहित शर्मा ने भारत के कमेंटेटर की जमकर आलोचना की है. उनका कहना है कि उन्हें क्रिकेट पर बात करनी चाहिए न कि मसाले वाली बातें करनी चाहिए.

Rohit Sharma
Courtesy: Social Media

Rohit Sharma: भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान रोहित शर्मा ने हाल ही में कमेंटेटरों की कार्यशैली पर गहरी नाराजगी जताई है. अपनी बेबाक राय के लिए मशहूर रोहित ने एक इंटरव्यू में कहा कि भारतीय कमेंट्री में 'मसाले' वाली बातों का बोलबाला है, जो क्रिकेट प्रेमियों को पसंद नहीं. उन्होंने कमेंटेटरों से खिलाड़ियों का सम्मान करने और खेल पर ध्यान देने की अपील की.

बता दें कि रोहित अपनी बेबाकी के लिए जाने जाते हैं और उन्होंने अब कमेंटेटरों को करारा जवाब दिया है. रोहित का कहना है कि कमेंट्री में क्रिकेट को लेकर बातें होनी चाहिए न कि कोई मसाला वाली बातें होनी चाहिए.

रोहित शर्मा ने कमेंटेटरों पर उठाए सवाल

रोहित शर्मा ने विमल कुमार के साथ बातचीत में भारतीय और ऑस्ट्रेलियाई कमेंट्री के बीच बड़ा अंतर बताया. उन्होंने भारतीय कमेंट्री को 'निराशाजनक' करार देते हुए कहा, "हम सब कुछ देखते हैं और आपस में चर्चा भी करते हैं. जब हम भारत में टीवी पर मैच देखते हैं, तो कमेंटेटर ऐसी बातें करते हैं जो ऑस्ट्रेलिया की कमेंट्री से बिल्कुल अलग होती हैं. यहां ऐसा लगता है कि वे किसी एक खिलाड़ी को निशाना बनाकर बोलना चाहते हैं. यह बहुत निराशाजनक है."

रोहित ने आगे कहा कि "कई लोग क्रिकेट को दिल से चाहते हैं. वे मसाला नहीं, क्रिकेट देखना चाहते हैं. आजकल हम खेल में बहुत सारी बेकार की बातें जोड़ देते हैं. क्रिकेट प्रेमी यह जानना चाहते हैं कि किसी खिलाड़ी का फॉर्म क्यों खराब है. वे निजी बातें सुनने में रुचि नहीं रखते. सिर्फ इसलिए कि आपको बोलने की आजादी है, आप कुछ भी नहीं कह सकते. खिलाड़ियों का सम्मान करना चाहिए," 

'एजेंडा आधारित आलोचना गलत'

रोहित ने यह भी बताया कि आजकल आलोचना अक्सर किसी 'एजेंडे' के तहत की जाती है, जो सही नहीं है. उन्होंने माना कि खराब प्रदर्शन की आलोचना होनी चाहिए, लेकिन उसका तरीका उचित होना चाहिए.रोहित ने कहा "कुछ मौकों पर हम अच्छा नहीं कर पाए, जैसे न्यूजीलैंड के खिलाफ घर में हार. इसके लिए हमें आलोचना झेलनी चाहिए, इसमें कोई दिक्कत नहीं. लेकिन आलोचना का एक तरीका होता है. आजकल जो एजेंडा आधारित आलोचना हो रही है, वह अच्छी नहीं लगती."