लॉर्ड्स टेस्ट में टीम इंडिया की उम्मीदें रवींद्र जडेजा के बल्ले से बंधी थीं. इंग्लैंड के खिलाफ जब टीम एक के बाद एक विकेट गंवा रही थी, जडेजा मोर्चे पर डटे रहे और नाबाद 61 रन बनाए. लेकिन टीम 170 रन पर सिमट गई और जीत महज 22 रन से दूर रह गई. इस हार के बाद क्रिकेट जगत में यह बहस छिड़ गई कि क्या जडेजा को और अधिक आक्रामक रुख अपनाना चाहिए था.
अनिल कुंबले ने मैच के बाद अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि जडेजा का रवैया जरूरत से ज़्यादा रक्षात्मक रहा. उन्होंने कहा, "वो क्रिस वोक्स, जो हवा में ज्यादा तेज़ नहीं हैं, या फिर बैशीर और जो रूट जैसे स्पिनरों पर आक्रमण कर सकते थे. पिच से ज्यादा टर्न भी नहीं मिल रहा था, ऐसे में जोखिम लेने की ज़रूरत थी." कुंबले का मानना है कि जडेजा जैसी काबिलियत वाला बल्लेबाज़ इन हालात में थोड़ा जोखिम उठाकर मैच का पासा पलट सकता था.
उन्होंने यह भी जोड़ा कि, "हां, जडेजा ने कुछ रन लेने से इनकार किया क्योंकि दूसरे छोर पर बुमराह और सिराज जैसे निचले क्रम के बल्लेबाज़ थे, लेकिन फिर भी उन्हें मौके खोजने चाहिए थे."
वहीं पूर्व दिग्गज ओपनर सुनील गावस्कर ने जडेजा का समर्थन किया. उन्होंने कहा कि बल्लेबाज़ को परिस्थिति के अनुसार खेलना होता है और जडेजा ने वही किया. "वह निचले क्रम के साथ खेल रहे थे और स्ट्राइक को फॉर्म करना चाहते थे. ऐसी पिच पर ऊंचे शॉट खेलना जोखिम भरा हो सकता था."
उन्होंने यह भी जोड़ा कि भारतीय टीम अकसर खेल को गहराई तक ले जाने की रणनीति अपनाती है और जडेजा उसी सोच के साथ मैदान पर थे. गावस्कर का मानना है कि जडेजा ने जो किया, उससे बेहतर शायद कुछ और नहीं किया जा सकता था.
टीम इंडिया के कप्तान शुभमन गिल ने भी जडेजा का समर्थन करते हुए उन्हें टीम का सबसे मूल्यवान खिलाड़ी बताया. गिल ने कहा कि जडेजा ने जिन हालातों में बल्लेबाज़ी की, वह आसान नहीं था और उन्होंने अपना सर्वश्रेष्ठ दिया.
गौरतलब है कि भारत ने पहली पारी में अच्छी शुरुआत की थी, लेकिन दूसरी पारी में टीम चरमरा गई. इंग्लैंड की गेंदबाज़ी ने दबाव बनाए रखा, लेकिन जडेजा अंत तक डटे रहे. फिर भी, टीम 193 रनों के लक्ष्य को पार नहीं कर पाई.