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प्रेग्नेंट, फिर मिसकैरेज... गर्भनाल से डॉक्टरों ने सुलाझा दी दंपत्ति के नवजातों की मौत की 14 साल पुरानी गुत्थी

Health News: डॉक्टरों को ऐसे ही 'धरती का भगवान' नहीं कहा जाता है. हरियाणा का एक कपल पिछले 14 साल से काफी परेशान था. दरअसल, उनके नवजातों की हर बार मौत हो जाती थी. डॉक्टरों ने दंपत्ति की ओर से रखे गए गर्भनाल के जरिए नवजातों की मौत की गुत्थी को सुलझा दिया है.

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Health News: हरियाणा में एक दंपत्ति सुधाकर और सुधा पिछले 14 साल से एक समस्या से जूझ रहे थे. समस्या ये थी कि सुधा हर बार प्रेग्नेंट होती थी, लेकिन डिलीवरी के बाद नवजातों की कुछ दिनों बाद मौत हो जाती थी. सुधाकर और सुधा नवजातों की बार-बार मौत से काफी टूट गए थे, परेशान थे. वे बताते हैं कि उनमें अब हिम्मत नहीं बची थी कि बच्चे के लिए कोशिश करें. एक बार तो दोनों ने बच्चा गोद लेने का प्लान भी बनाया लेकिन उन्होंने अपना मन बदल लिया. किसी की सलाह दी तो सुधाकर नवजातों की मौत के बारे में जानने के लिए डॉक्टरों के पास पहुंच गए. डॉक्टरों ने नवजातों के सुरक्षित किए गए गर्भनाल से 14 साल पुरानी गुत्थी को सुलझा दिया.

दरअसल, नवजातों के गर्भनाल को सुरक्षित करने की परंपरा है, जो काफी सालों से चली आ रही है. सुधाकर और सुधा ने भी नवजातों के गर्भनाल को सुरक्षित रखा था. सुधाकर इस गर्भनाल को लेकर डॉक्टर के पास पहुंचे और पूरी कहानी बताई. फिर डॉक्टरों ने तमाम तरह के टेस्ट के बाद नवजातों की मौत के कारणों का पता लगा ही लिया.

सुधाकर ने डॉक्टरों को क्या कहानी बताई?

सुधाकर ने बताया कि 14 साल पहले यानी 2010 में उनकी पत्नी सुधा प्रेग्नेंट हुई थी. कुछ दिनों बाद सामान्य डिलीवरी हुई. ये सुधाकर और सुधा का पहला बच्चा था. जन्म लेने के 10 दिन बाद नवजात को बुखार और सांस लेने में दिक्कत होने लगी. इसके बाद नवजात को सुधाकर और सुधा ने डॉक्टरों की सलाह पर ICU में एडमिट कराया, जिसके बाद उसे वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया. सुधाकर ने बताया कि निमोनिया और सेप्सिस के कारण करीब डेढ़ महीने बाद उनके बच्चे की मौत हो गई. 

सुधाकर ने आगे बताया कि साल 2021 तक सुधा का 4 बार मिसकैरेज हुआ. इसके बाद 2021 में ही सिजेरियन से एक और बच्चा हुआ, जिसमें भी वही लक्षण पाए गए, जो पहले बच्चे में मिले थे. सांस लेने में तकलीफ के कारण नवजात की करीब साढ़े तीन महीने बाद मौत हो गई.

आखिर नवजातों की मौत और मिसकैरेज का क्या कारण था?

दो नवजातों की मौत और 4 मिसकैरेज के पीछे की वजह को जानने के लिए सुधाकर डॉक्टरों के पास पहुंचा था. डॉक्टरों ने पूरी कहानी सुनने के बाद गर्भनाल का जिनेटिक एनालिसिस किया. इस दौरान डॉक्टरों ने सीटीएफआर जीन में एक म्यूटेशन की पहचान की, जो सिस्टिक फाइब्रोसिस का कारण बनता है. एसैप्टोमैटिक माता-पिता में भी इसी तरह के म्यूटेशन की पहचान की गई.

सीड्स में मेडिकल जेनेटिक्स की सीनियर कंसलटेंट डॉक्टर रंजना मिश्रा ने कहा कि म्यूटेशन के साथ होने पर अक्सर कोई लक्षण नहीं होते हैं. लेकिन दोनों बच्चों को माता-पिता दोनों से एक म्यूटेशन सिस्टिक फाइब्रोसिस ट्रांसमेम्ब्रेन कंडक्टर रेगुलेटर (सीएफटीआर) जीन मिला था, जिससे उन्हें बीमारी और परेशानियां हुईं.

क्या होता है गर्भनाल, क्यों रखा जाता है सुरक्षित?

गर्भनाल प्रेग्नेंट महिला के शरीर का एक पार्ट होता है, जो प्रेग्नेंसी के दौरान गर्भ में पल रहे भ्रूण को बीमारियों से सुरक्षित रखता है और इसी के जरिए बच्चे का पोषण भी होता है. गर्भनाल के जरिए महिला अपने गर्भ में पल रहे बच्चे से जुड़ी होती है. मां जो भी खाती है, उसका कुछ अंश गर्भनाल के जरिए बच्चे तक पहुंचता है. गर्भनाल मां के खाए गए भोजने से विषैले पदार्थों को दूर करता है और भ्रूण तक सिर्फ पोषण पहुंचाता है. कई साल पुरानी परंपरा के मुताबिक, डिलीवरी के दौरान गर्भनाल को सहेजकर रखा जाता है. इसके जरिए नवजात की अनुवांशिक बीमारियों या फिर किसी तरह के मेडिकल केस को सुलझाने में मदद मिलती है और सही तरीके से नवजात का इलाज में मदद भी मिलती है.

नोट- खबर में इस्तेमाल किया गया दंपत्ति का नाम काल्पनिक है.
 

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