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India Daily

ट्रंप की टैरिफ चाल ने भरा अमेरिका का खजाना, कमाया 50 बिलियन डॉलर का रेवेन्यू

डोनाल्ड ट्रंप की आक्रामक टैरिफ नीति ने अमेरिका को करीब 50 अरब डॉलर का अतिरिक्त राजस्व दिलाया है. यह सफलता तब मिली जब अधिकांश व्यापारिक साझेदारों ने जवाबी कार्रवाई से परहेज किया, जिससे अमेरिका को कस्टम ड्यूटी के रूप में रिकॉर्ड आय हुई है.

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Edited By: Kuldeep Sharma
Donald Trump
Courtesy: web

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की व्यापारिक नीतियों को लेकर भले ही दुनिया भर में आलोचना हुई हो, लेकिन आंकड़ों की मानें तो उनकी टैरिफ रणनीति ने अमेरिकी खजाने को भरपूर फायदा पहुंचाया है. वित्तीय वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही में अमेरिका को रिकॉर्ड 64 अरब डॉलर की कस्टम ड्यूटी मिली, जो पिछले वर्ष की तुलना में 47 अरब डॉलर अधिक है.

ट्रंप प्रशासन ने हाल के महीनों में आयात पर भारी टैरिफ लगाए थे. कम से कम 10% का सामान्य टैरिफ, स्टील और एल्युमिनियम पर 50% और कारों पर 25% तक. उम्मीद थी कि इससे अमेरिका के साझेदार देश पलटवार करेंगे, लेकिन चीन और कनाडा को छोड़कर किसी भी देश ने गंभीर जवाब नहीं दिया. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, "ट्रंप अब मुनाफा कमा रहे हैं, जबकि पहले उन्हें 'पीछे हटने वाला' कहा जाता था."

चीन और कनाडा की सीमित प्रतिक्रिया

ट्रंप के टैरिफ का असर चीन तक सीमित रहा, जिसने अमेरिकी उत्पादों पर ड्यूटी तो बढ़ाई लेकिन उसका असर सीमित रहा. वहीं मई 2025 में चाइना को ऐसे टैरिफ से महज 1.9% ज्यादा राजस्व मिला. वहीं, कनाडा ने भले ही विरोध दर्ज कराया हो, लेकिन उसकी जवाबी नीति अब तक नरम बनी हुई है और उसके दूसरे तिमाही के आंकड़े अभी सार्वजनिक नहीं हुए हैं.

यूरोपीय यूनियन की धीमी प्रतिक्रिया

यूरोपीय यूनियन ने भी काउंटर टैरिफ का मसौदा तैयार किया है लेकिन अब तक उन्हें लागू नहीं किया गया है. रिपोर्ट के अनुसार, ये टैरिफ अब अगस्त 1 को होने वाली अमेरिका के साथ नई बातचीत की समयसीमा से जोड़े जा रहे हैं. इस प्रकार, ट्रंप की रणनीति कुछ हद तक सफल मानी जा रही है क्योंकि अधिकांश देश बातचीत के रास्ते को चुन रहे हैं.

रिकॉर्ड राजस्व और बजट सरप्लस

अमेरिकी वित्त विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, कस्टम ड्यूटी से सरकार को जून महीने में रिकॉर्ड $27.2 अरब का ग्रॉस राजस्व मिला है. यह अब तक का सबसे अधिक मासिक आंकड़ा है और इसकी मदद से सरकार को 27 अरब डॉलर का अप्रत्याशित बजट सरप्लस भी मिला है. ट्रंप समर्थकों का मानना है कि इस रणनीति ने अमेरिका को आर्थिक और कूटनीतिक ताकत दी है, जबकि आलोचक इसके दीर्घकालिक नुकसान की आशंका जता रहे हैं.