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India Daily

'PM शहबाज शरीफ बुजदिल, मोदी का नाम नहीं ले सकते', वीडियो में देखें पाकिस्तानी सांसद शाहिद खट्टक ने कैसे धोया?

Operation Sindoor Updates: पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में सांसद शाहिद खट्टक ने प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ पर हमला करते हुए उन्हें 'बुजदिल' कहा और आरोप लगाया कि शरीफ भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम लेने से डरते हैं. साथ ही सेना पर भी गंभीर आरोप लगाए.

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Edited By: Anvi Shukla
Pakistani Member of Parliament here seen calling their Prime Minister Shehbaz Sharif as “Buzdil”.
Courtesy: social media

Operation Sindoor Updates: पाकिस्तान की राष्ट्रीय सभा में सांसद शाहिद खट्टक ने प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ पर कड़ा हमला बोलते हुए उन्हें 'बुजदिल' कहा है. इस सांसद ने यह भी दावा किया कि शहबाज शरीफ भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम तक नहीं ले सकते.

वीडियो में देखा जा सकता है कि सांसद खड़े होकर शहबाज शरीफ के फैसले की कड़ी निंदा कर रहे है और पाकिस्तान की सेना पर भी गंभीर आरोप लगाते हुए कह रहे हैं कि भारत के हमलों के बाद पाकिस्तानी सेना पूरी तरह से हताश और निराश हो गई है. उन्होंने यह भी कहा कि 'पाकिस्तान की वास्तविक शक्ति, सेना प्रमुख जनरल असिम मुनीर, कहीं छुपे हुए हैं और उनकी कोई खबर नहीं है.'

भारत-पाक के बीच युद्ध जैसे हालात

यह घटना ऐसे समय में सामने आई है, जब भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है. हाल ही में भारत ने 'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर मिसाइल हमले किए, जिसके बाद से दोनों देशों के बीच युद्ध जैसे हालात बन गए हैं. पाकिस्तान ने इन हमलों को 'युद्ध का कार्य' करार दिया है और इसका जवाब देने की धमकी दी है.

क्या पाक के प्रधानमंत्री मोदी से डर गए?

सांसद के बयान में कहा गया, "हमारे प्रधानमंत्री इतने डरे हुए हैं कि वे भारतीय प्रधानमंत्री का नाम तक नहीं ले सकते. पाकिस्तानी सेना, जो कभी अपने शौर्य के लिए जानी जाती थी, अब भारत के हमलों से पूरी तरह से टूट गई है. असल में, असिम मुनीर, जो पाकिस्तान के वास्तविक प्रधानमंत्री हैं, वे कहीं छुपे हुए हैं."

इस वीडियो को सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से साझा किया जा रहा है और इसने पाकिस्तान की आंतरिक राजनीति और सेना की स्थिति पर सवाल खड़े कर दिए हैं. पाकिस्तान की ओर से इस बयान पर अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह घटना पाकिस्तान की आंतरिक अस्थिरता और नेतृत्व संकट को दर्शाती है.