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कैसे जिएंगे लोग? पाकिस्तान पूरे एशिया का सबसे महंगा देश, महंगाई दर रुला रही

Pakistan News: पाकिस्तान रहने के लिहाज से एशिया में सबसे महंगा देश बन गया है. महंगाई सातवें आसमान पर है, सरकार के खजाने में पैसे नहीं हैं.

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Pakistan News:  पाकिस्तान के आर्थिक स्थिति दिन पर दिन बिगड़ते जा रही है. देश में लोगों के पास पैसे नहीं और ऊपर से महंगाई तेजी से बढ़ रही है. एशियाई विकास बैंक (एडीबी) की एक हालिया रिपोर्ट से पता चला है कि पाकिस्तान पूरे एशिया में रहने के लिए सबसे महंगा देश है. अध्ययन से पता चला कि आर्थिक संकट से जूझ रहा यह देश 25 प्रतिशत की मुद्रास्फीति दर के साथ लोगों के रहने के लिए सबसे महंगा देश है. 

वैश्विक वित्तीय निकाय ने गुरुवार को मनीला में रिपोर्ट जारी की. पीटीआई की रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि इसमें पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था के लिए 1.9 प्रतिशत की वृद्धि दर का अनुमान लगाया गया है, जो इस क्षेत्र में चौथी सबसे कम गति है. एडीबी रिपोर्ट में पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था के लिए बुरे संकेत हैं.  अगले वित्तीय वर्ष के लिए अनुमानित मुद्रास्फीति दर 15 प्रतिशत है, जो क्षेत्र के 46 देशों में सबसे अधिक है, साथ ही 2024-25 के लिए 2.8 प्रतिशत की विकास दर की भविष्यवाणी की गई है. 

रहने के लिए सहबे महंगा देश पाकिस्तान

ऋण देने वाली संस्था ने कहा कि पाकिस्तान में रहने की लागत पहले दक्षिण एशिया में सबसे अधिक हुआ करती थी और वित्त वर्ष 2025 में अनुमानित मुद्रास्फीति दर 25 प्रतिशत के साथ देश पूरे एशिया में रहने के लिए सबसे महंगा हो जाएगा. रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार द्वारा 22 प्रतिशत की आश्चर्यजनक ब्याज दर लगाने के बावजूद, स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (एसडीबी) 21 प्रतिशत के मुद्रास्फीति लक्ष्य से चूक जाएगा. 

विकास दर निचले स्तर पर पहुंचा

रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2015 में 1.9 प्रतिशत की अपेक्षित विकास दर के साथ पाकिस्तान म्यांमार, अजरबैजान और नाउरू के बाद चौथी सबसे कम गति हासिल करने का अनुमान है. संस्था ने कहा कि पाकिस्तान अभी भी 'स्टैगफ्लेशन चरण' में है और विश्व बैंक ने यह भी कहा है कि किसी भी प्रतिकूल झटके के कारण 10 मिलियन और लोग गरीबी के जाल का शिकार हो सकते हैं. वर्तमान में पाकिस्तान में लगभग 98 मिलियन लोग गरीबी का जीवन जी रहे हैं. 

रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान को वैश्विक मौद्रिक स्थितियों के कारण प्रमुख बाहरी वित्तीय आवश्यकताओं और पुराने कर्ज से चुनौतियों का सामना करना पड़ता रहेगा. इसके अलावा, राजनीतिक अस्थिरता सुधार प्रयासों के लिए जोखिम पैदा करेगी.